जालंधर। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में होने वाली ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए पंजाब-हरियाणा सीमा पर स्थित शंभू बैरियर से पंजाब से हजारों ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए। शंभू बार्डर से करीब तीस से चालीस ट्रैक्टर ट्रालियों के काफिले निकले। कई किसान एक ट्रैक्टर के साथ तीन-चार ट्रैक्टर टोचन कर लेकर गए। कई किसानों ने ट्रालियों पर भी ट्रैक्टर लादे हुए थे। प्रदेश के अन्य जिलों से भी किसान काफिले में ट्रैक्टर लेकर दिल्ली रवाना हुए।
दिल्ली में किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए ट्रैक्टरों पर सवार महिलाएं, बुजुर्ग, युवा व बच्चे पूरे जोश के साथ किसान आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे। पटियाला शहर से गुजरते हुए कहीं भी ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं आई, क्योंकि सभी एक साइड से एक साथ निकल रहे थे। किसी भी ट्रैक्टर ट्राली को हरियाणा पुलिस की ओर से रोका नहीं गया।
भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रदेश सदस्य हरजीत टहलपुरा, मान सिंह व उजागर सिंह धमौली ने बताया कि शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिल्ली की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने का काफी उत्साह है। हर गांव से उम्मीद से ज्यादा ट्रैक्टर दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि पंजाब से हजारों ट्रैक्टर दिल्ली रवाना हो रहे हैं। सोमवार को भी शंभू बैरियर व अन्य बैरियरों से ट्रैक्टरों के काफिले दिल्ली के लिए निकलेंगे।
नाभा के गांव कल्याण निवासी मुख्तयार सिंह ने बताया कि वह कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए अपनी बाइक पर रविवार दोपहर गांव से चले हैं। वहीं, पटियाला और राजपुरा के गांवों से भी सैकड़ों किसान आंदोलन समर्थक स्कूटरों और मोटरसाइकिलों पर सवार होकर दिल्ली गए। किसान आंदोलन के समर्थन में रविवार को प्रदेशभर में ट्रैक्टरों और मोटरसाइकिलों पर रोष मार्च भी निकाले गए।
अमृतसर से 170 व नवांशहर से 300 ट्रैक्टरों का काफिला गया
अमृतसर जिले से रविवार दोपहर तीन बजे तक करीब 170 ट्रैक्टर ट्रालियों का जत्था दिल्ली रवाना हुआ। तहसील अजनाला से 90, अटारी से 50, कत्थूनंगल से 30 ट्रैक्टर ट्रालियों का जत्था दिल्ली गया। वहीं नवांशहर जिले से 300 ट्रैक्टर ट्रालियों में किसान दिल्ली रवाना हुए। इसके अतिरिक्त मानसा ने छह, कपूरथला से सुभानपुर से 11 और अन्य जिलों से भी किसान ट्रैक्टर ट्रालियों के जत्थे में दिल्ली रवाना हुए।
किसान संगठनों और दिल्ली पुलिस के बीच 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड पर सहमति बनने के बाद सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर तैयारियां जोरों पर हैं। पंजाब और हरियाणा से ट्रैक्टरों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। सूत्रों के मुताबिक, रविवार की रात तक टीकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर करीब 20 हजार ट्रैक्टर पहुंच चुके हैं। किसान नेताओं का दावा है कि 26 जनवरी की सुबह तक एक लाख ट्रैक्टर आ जाएंगे।
टीकरी बॉर्डर पर एक साइड से रोड खोली गई
रविवार की शाम को रूट पर सहमति बनने के बाद दिल्ली पुलिस ने टीकरी बॉर्डर से दिल्ली की तरफ आने वाली सड़क पर एक साइड से बैरिकेडिंग हटा दी है। आंदोलन स्थल से करीब एक किलोमीटर आगे सीमेंट के बैरिकेड्स और लोहे के बड़े कंटेनरों को हटाकर सड़क खाली कर दी गई है। साथ ही तय रूट पर दिल्ली पुलिस और CRPF के जवानों ने भी सुरक्षा व्यवस्था संभाल ली है। परेड में सबसे ज्यादा ट्रैक्टर टीकरी बॉर्डर से ही दिल्ली में आएंगे। इसीलिए यहां व्यवस्था सबसे ज्यादा चाक-चौबंद है। पुलिस ने शर्त रखी है कि एक ट्रैक्टर पर तीन से ज्यादा लोग नहीं बैठेंगे। दूसरी चीजें तय करने के लिए किसान संगठन और पुलिस सोमवार को भी बाचतीत करेंगे।
मार्केट बंद रहेगा, सड़कें भी खाली होंगी
टीकरी से दिल्ली वाले रूट पर 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान सुरक्षा बलों और किसानों के अलावा कोई नहीं होगा। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 25 जनवरी की शाम को ही सारी दुकानें बंद करवा दी जाएगी। ऐसा इसलिए, ताकि कुछ गड़बड़ी हो तो वाहनों और दुकानों को नुकसान न पहुंचे। टीकरी बॉर्डर के आसपास जहां किसान जुटे हैं, वह रिहायशी इलाका है। इसलिए यहां भारी सुरक्षा के बंदोबस्त किए गए हैं। परेड के तय रूट के अलावा आसपास की सड़कों पर भी डायवर्शन का प्लान तैयार किया गया है।
किसान सोशल आर्मी के 1000 वॉलियंटर्स भी तैनात रहेंगे
टीकरी बॉर्डर से दिल्ली आने वाली ट्रैक्टर परेड के लिए किसान सोशल आर्मी के एक हजार वॉलियंटर्स भी तैनात रहेंगे। ये सूची पुलिस से भी साझा की जाएगी। इन वॉलियंटर्स को लीड कर रहे अजीत सिंह ने बताया, 'वॉलियंटर्स ड्रेस कोड में होंगे। इनमें फर्स्ट एड, पानी-चाय मुहैया कराने वालों के अलावा ट्रैक्टर मैकेनिक भी होंगे। हम इसके लिए उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।'
ट्रैक्टरों पर लगे झंडों को लेकर चर्चा
परेड में शामिल होने वाले ट्रैक्टरों पर तीन तरह के झंडों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें किसान संगठन, तिरंगा (राष्ट्रीय ध्वज) और खालसा पंथ का झंडा शामिल हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से ऐलान किया गया है कि कोई संगठन अपने ट्रैक्टर पर तिरंगे का इस्तेमाल भले ही न करे, लेकिन उसका अपमान नहीं करेगा। हरियाणा और यूपी से आए किसानों ने अपने ट्रैक्टरों पर किसान संगठन के साथ तिरंगा लगा रखा है। वहीं, पंजाब से आए ट्रैक्टरों पर किसान संगठन और खालसा का झंडा लगा है।
गड़बड़ी हुई तो वरिष्ठ किसान नेता होंगे जिम्मेदार
किसानों नेताओं से बाकायदा इस बात की गांरटी ली गई है कि परेड के दौरान कोई भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश न करे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अगर परेड के दौरान कहीं कुछ गडबड़ी हुई तो इसके लिए वरिष्ठ किसान नेता जिम्मेदार माने जाएंगे और उन पर कार्रवाई होगी।
किस रूट पर कितने किलोमीटर की अनुमति
टीकरी बार्डर से 63 से 64 किलोमीटर, सिंघु बार्डर से 62 से 63 किलोमीटर और गाजीपुर बार्डर से 46 किलोमीटर का ट्रैक्टर रैली का रुट तय किया गया है। किसान सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर से ही दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। पलवल और शाहजहांपुर सीमा पर बैठे किसानों को उस रूट से दिल्ली में प्रवेश की इजाजत नहीं मिलेगी। यहां बैठे किसान बदरपुर बॉर्डर से होकर आश्रम तक आना चाहते हैं। लेकिन पुलिस का कहना है कि अगर वे परेड में शामिल होना चाहते हैं तो तय रूट से ही आएं।
करीब 32 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है ट्रैक्टर-ट्राली बस्ती
आंदोलन के दौरान किसानों की सबसे बड़ी संख्या टीकरी बॉर्डर पर ही है। यहां करीब 32 किलोमीटर के एरिया में किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दो महीने से जमे हैं। टीकरी बॉर्डर पर ही ट्रैक्टरों की संख्या भी सबसे ज्यादा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, टीकरी पर 10 से 12 हजार ट्रैक्टर हैं।