-मकान मालिक पर दबाब बनाने के लिए झूठी शिकायतों का पुलिंदा
-राजनीतिक दबाब में पुलिस भी दे रही है कब्जा जमाने वाले का साथ
बठिंडा। गांधी मार्किट में पिछले लंबे समय से दुकान पर कब्जा जमाकर बैठे दुकानदार सीनाजोरी पर उतर आया। यही नहीं भगवान चाट के नाम से मशहूर दुकानदार पिछले लंबे से उक्त दुकान पर किराये पर रह रहा है लेकिन वर्तमान मे जब मकान मालिक ने अपनी हीं दुकान की छत्त पर निर्माण करने के लिए प्रयास किया तो दुकानदार गुंडागर्दी पर उतर आए। उन्होंने न सिर्फ मकान मालिक पर हमला किया बल्कि पुलिस के पास कब्जा जमाने की झूठी शिकायत दर्ज कर दबाब बनाने का प्रयास किया। इसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। मामले में हैरानी इस बात से होती है कि पुलिस ने भी मामले में पूरी जांच पड़ताल किए बिना ही दुकान मालिक के साथ दो अन्य लोगों को हिरासत में ले लिया। यही नहीं कोतवाली थाना के प्रभारी बलविंदर प्रेमी इस मामले में किसी तरह के प्रभावी तथ्य के बिना ही आला अधिकारियों के सामने कुछ व्यापारी नेताओं के दबाब में थपथपी लेने का प्रयास करते रहे।
गौरतलब है कि गांधी मार्किट में भगवान चाट भंडार के नाम से एक दुकान किराये पर हासिल की थी। इसमें मकाम मालिक से कहा गया था कि जब भी उसे जरूरत होगी वह दुकान खाली कर देगा। वर्तमान में काम चलने के बाद भगवान चाट भंडार के मालिक के मन में बेइमानी आ गई व उसने दुकान कब्जा करने की नियत से पुलिस के पास झूठी शिकायते दर्ज करवानी शुरू कर दी। इसमें कमलदीप व बग्गा वर्तमान में दुकान के असल मालिक है। उन्होंने कुछ समय पहले भी भगवान चाट भंडार के मालिक से दुकान खाली करने का आग्रह किया लेकिन उसने दुकान खाली करने की बजाय बठिंडा के एक अकाली नेता के साथ पुलिस पर दबाब बनाना शुरू कर दिया।यही नहीं तीन दिन पहले दुकान मालिक ने भगवान चाट भंडार को सूचित किया कि वह अपने व्यक्तिगत काम के लिए दफ्तर दुकान के ऊपरी छत्त पर बनाना चाहता है। इस बाबत उसे सूचित भी कर दिया गया कि सोमवार की सुबह वह काम शुरू करेंगे। इसमें भगवान चाट भंडार ने सहमती जता दी लेकिन मन में पाप के चलते एक साजिश के तहत भगवान चाट भंडार के मालिक व उसके नौकरो ने उस समय शोर मचाना शुरू कर दिया जब मालिक अपने साथियों के साथ दुकान के पास पहुंचे। दुकानदार ने मार्किट में शोर मचाया कि दुकान मालिक बंदूक की नोक पर कब्जा करना चाहता है। उसकी बात पर आसपास के दुकानदारों ने भी विश्वास कर लिया। इसके बाद मामला पुलिस कोतवाली के पास पहुंचा। पुलिस ने भी बिना किसी जांच पड़ताल के दुकान मालिक व राजनीतिक दबाब के बीच दोनों दुकान मालिक व उसके साथ खडे़ एक पत्रकार को हिरासत में ले लिया। यहां बताना जरूरी है कि उक्त पत्रकार मनीश कार्की पंजाब का सच अखबार का प्रसार प्रबंधक भी है, जो एक जिम्मेवारी वाला पद है और मौके पर उक्त पूरे घटनाक्रम को देख रहा था। इसमें हैरानी इस बात पर होती है कि पुलिस दावा कर रही है कि पत्रकार भी मामले में शामिल था। एक बार मान भी लेते है कि पत्रकार मौके पर उन लोगों के साथ था तो वहां वह कोई गलत काम नहीं कर रहा था वही अगर किसी मकान व दुकान मालिक की जमीन पर कोई जबरन कब्जा कर रहा है तो उसे रोकना या फिर जायज का पक्ष लेना कोई भी गलत काम नहीं होता है। दूसरी तरफ यह एक पत्रकार का फर्ज भी होता है। अब पुलिस अधिकारी व थाना प्रभारी कानून की पढ़ाई दूसरों को सिखाने लगे और मनमाने ढंग से दूसरों पर दबाब बनाने लगे तो उसे किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता है। दूसरी तरफ अगर अब शहर के कुछ व्यापारी व नेता नाजायज कब्जों को जायज ठहराने के लिए एकजुट हो जाए व कानून को छिंके पर टांग दे तो वह कहां तक जायज है। फिलहाल पुलिस के आला अधिकारियों को भी इस तरह के गंभीर मामलों में सोच समझ कर फैसला लेना होगा ताकि लोगों में कानून व इंसाफ का रुतबा बरकरार रहे। वही कानून और पुलिस अधिकारियों से ऊपर कुछ धार्मिक पंथों के नेता और लोगों की बात सुनने वाले पुलिस अधिकारीं को भी इस तरह के मसलों को तूल देने से गुरेज करना चाहिए।
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