-बिना किसी हमले के ही लगा दी धारा ३०७
जितना पैसा जेब में डालोंगे उतना केस बना देगें मजबूत
-आम आदमी इंसाफ के लिए जाएगा कहां
हरिदत्त जोशी
बठिंडा। पंजाब पुलिस लक्ष्मी की खातिर कानून को ठेंगे पर रखकर चलने की आदी हो गई है। अब हालात यह है कि पुलिस पैसे बटोरने के साथ सत्तापक्ष से जुडे़ राजनेताओं को खुश करने के लिए लोगों पर मनमाने ढंग की धाराएं जोड़ने से भी गुरेज नहीं करती है। वर्तमान में थाना कोतवाली पुलिस इसकी चसमदीद गवाह है जहां रात के अंधेरे में जमकर लोगों की जेब कूटने का काम चलता है। जिस पार्टी की तरफ से जितना पैसा वहां तैनात कर्मचारियों की जेब में डाल दिया जाता है उसका केस उतना ही मजबूत कर दिया जाता है चाहे वह जमीनी स्तर पर किसी तरह से भी व्यवहारिक न होता हो। बठिंडा में सोमवार की सुबह घटित एक घटनाक्रञ्म का जिक्र करते हैं इसमें गांधी मार्किट में बनी भगवान चाट भंडार वाली दुकान के असल मालिक पर उसके किरायेदार ने झूठा मामला दुकान में अवैध कब्जा करने की नियत से दर्ज करवाया। तीन लोग अपनी ही जायदाद को देखने के लिए गांधी मार्किञ्ट में गए तो किरायेदार ने शहर के एक अकाली नेता के इशारे पर साजिशन शोर मचा दिया कि उक्त लोग उनकी दुकान पर कब्जा करना चाहते है।
अब दुकान का मालिक अपनी ही दुकान पर नहीं आ सकता है यह कहां का कानून है। पुलिस को तो पैसे कमाने का साधन चाहिए, अब पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और तीन लोगों को उठाकर ले आई। इसमें दुकान के असल मालिक पर किरायेदार की तरफ से लगाए गए झूठे आरोपों की जांच पड़ताल तक नहीं की गई और अकाली राजनेता ने फोन पर जो धाराएं दर्ज करने के लिए कहा उसे बिना कुछ सोचे समझे दर्ज कर दिया गया। अब सबसे पहले पुलिस की तरफ से लिखी गई धारा ३०७ का जिक्र करते हैं। सामान्य तौर पर उक्त धारा कातिलाना हमला व इरादे कतल में लगाई जाती है। गांधी मार्किट में हुए घटनाक्रम में आसपास के दुकानदार व मौके पर मौजूद गवाह की बात करे तो तीनों लोगों ने किसी पर भी हमला नहीं किया, अगर किया होता को चोट भी लगती, अब पुलिस बताए कि पूरे घटनाक्रम में किस व्यक्ति को चोट लगी है। अगर उक्त लोगों के पास से बंदूक बरामद की गई है तो वह भी लाइसेंसी है और उसमें से एक भी कारतूस नहीं चला है। हां पुलिस अब कोई कारतूस अपने कागजों में चला दिखा दे तो क्या कहना क्योंकि पुलिस इस तरह के नाटकों का मंचन करने में पूरी माहिर है। थाना कोतवाली पुलिस ने राजनेताओं के इशारे व मोटे पैसों के लालच में मामला तो दर्ज कर लिया लेकिन अब अपनी तरफ से दर्ज मामले में स्वयं पुलिस फंसती नजर आ रही है। इस मामले में पूरे घटनाक्रञ्म को देखने पर सुगमता से अंदाजा लगाया जा सकता है पुलिस की तरफ से घटित कहानी मनगढ़त और बिना सिर पैर के है। दुकान मालिक पर धारा ३०७ का केस मात्र इसलिए दर्ज करवा दिया गया कि उनकी जमानत आसानी से न हो सके और इस दौरान दूसरा पक्ष दबाब बनाकर दुकान पर अवैध कब्जा जमा ले, इसमें अगर ४०-५० लाख रुपए की दुकान किसी को बिना कुछ करे मात्र नाटक खेल मिल रही हो तो वह पुलिस की सेवा भी मोटी करेगा।
अब सोमवार की रात को बठिंडा कोतवाली पुलिस के अंदर घटित एक घटनाक्रम का जिक्र करते हैं इस दौरान पंजाब का सच अखबार की टीम थाने में ही मौजूद थी। गांधी मार्किट के एक व्यापारी अपने साथियों के साथ थाने में आते हैं गेट से लेकर थाने में मौजूद हर महत्वपूर्ण कमरे में बैठे कर्मचारी की जेब गर्म की जा रही है। पुलिस भी अखबार के प्रतिनिधियों के सामने बिना किसी भय के पैसे लेने, गिनने के साथ उसे अपनी जेब में डालने का काम आसानी से कर रहे हैं। थाने में ऐसा प्रतित हो रहा है जैसे वहां तैनात सभी कर्मचारी अपने दिन भर का मेहनताना हासिल कर रहे हो। अब जब मामले की जानकारी आला अधिकारी को दी जाती है तो वह भी तपक कर कहते हैं साहब सब चलता है। अब आप ही सोच सकते हैं कि एक पुलिस थाने में सामान्य व्यक्ति इंसाफ की उम्मीद कैसे कर सकता है। अगर प्रभावित व्यक्ति की जेब में लक्ष्मी की भरमार है तो उसकी हर बात सुनी जाएगी और उसका मान सम्मान भी जमकर होगा, अगर सामान्य व्यक्ति खाली जेब इस कोतवाली के अंदर जाता है तो उसकी बात सुनने वाला कोई भी नहीं होगा। फिलहाल पुलिस के आला अधिकारियों को इस बाबत पूरे घटनाक्रम की जानकारी लिखित तौर पर देने के साथ पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के जज, पंजाब मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री पंजाब व डीजीपी पंजाब को भी शिकायत भेजकर उपरोक्त मामलों में हस्तक्षेप करने व भ्रष्ट्राचार के दलदल में धसी पुलिस के सामने नग्न होते कानून की रक्षा करने की गुहार लगाई गई है। इसमें शिकायतकर्ता पंजाब का सच अखबार के चीफ इडीटर हरिदत्त जोशी स्वयं बने है।
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