Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: तहसील दफ्तर में मचा हडकंप, घपलेबाजों ने बनाई जुडली

Wednesday, July 7, 2010

तहसील दफ्तर में मचा हडकंप, घपलेबाजों ने बनाई जुडली

-फोटोग्राफर को धमकियां दी जान से मारने को कहा   
-जिला प्रशासन अभी भी सो रहा है कुंभकरणी नींद, घपलेबाजों की पौ बहार 
बठिंडा। पंजाब की तहसील परिसरों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर पंजाब का सच अखबार की तरफ से सामाचार प्रकाशित करने के बाद घपलेबाजों में हडकंप का माहौल बन गया है। बुधवार को पूरा दिन घपलेबाजों की जुड़ली सामाचार को लेकर अपनी चमड़ी बचाने में जुटे रहे। तहसील में फर्जीवाडा चलाने वाले एक व्यक्ति ने तो यहां तक कह दिया कि जब कैप्टन और बादल को भ्रष्ट्राचार करने से नहीं रोक सके तो हमे क्या रोक लेंगे। इसके बाद अखबार के फोटोग्राफर सतपाल शर्मा को भी तहसील परिसर में एक नक्शा बनाने वाले व्यक्ति ने जान से मारने की धमकी दी व खबर प्रकाशित करने के परिणाम भुगतने की धमकी दी। इस मामले की शिकायत स्थानीय थाना को लिखित तौर पर की गई। फिलहाल बुधवार को तहसील परिसर में पूरा दिन भ्रष्ट्राचार को संरक्षण देने वाले लोग अपने आकाओं के पास जाकर अपनी चमड़ी बचाने की गुहार लगाते रहे। फिलहाल मामले में प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
गौरतलब है कि पंजाब का सच अखबार ने मंगलवार को तहसील परिसर में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को लेकर सामाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया था कि किसी भी सरकार ने ईमानदारी से इस गौरखधंधे को रोकने का प्रयास नहीं किया है। वतर्मान में हालात यह है कि तहसील दफ्तरों में नीचले स्तर से लेकर ऊपरी स्तर तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसमें जहां अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेबें भरने में लगे हैं वही सरकार को हर साल करोड़ों की चपत लगती है। दो नंबर में होने वाली कमाई का ही नतीजा है कि इस विभाग में एक अर्जी नवीस से लेकर सामान्य क्लर्क  भी लाखों की कमाई कर आलीशान बंगलों के  मालिक बने हुए है। इसमें एक नक्शा बनाने वाला व्यक्ति को ऐसा है जिसने लाइसेंस तो किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर ले रखा है लेकिन काम वह दूसरे से करवा रहा है। इस तरह के एक नहीं कई मामले हैं जिसमें लोगों ने पैसे कमाने के लिए नए-नए धंधे कानून को छीके पर टांगकर शुरू कर रखे हैं।  
तहसील दफ्तर में तो प्राइवेट स्तर पर रजिस्ट्री लिखने वाले ही लाखों में खेलते हैं। इस मामले में भ्रष्टाचार को उच्च अधिकारी से लेकर नीचले स्तर पर राजनेता जमकर प्रोत्साहन देते हैं। यही कारण है कि अगर जिला इकाई में सत्ता पक्ष से जुड़ा कोई भी समारोह हो या फिर सरकारी समागम किया जाए सबसे अधिक बगार (अवैध वसूली के  पैसे से समागम का खर्च) पूरा करने का जिम्मा इसी विभाग पर होता है। तहसील दफ्तर में प्रतिदिन डेढ़ सौ के करीब रजिस्ट्री, इंतकाल और बयाने किए जाते हैं। सामान्य तौर पर जिला प्रशासन की तरफ से हर क्षेत्र में जमीनों की खरीद और बिक्री करने के लिए सरकारी मूल्य निर्धारित कर रखे हैं। दूसरी तरफ जिले में क्षेत्र में मिलने वाली सुविधा के  अनुसार व्यापारी व प्रार्पटी डीलर जमीन को मोटे दाम में बेच देता है। इसमें एक जमीन जो दस से १५ हजार रुपये प्रतिगज बेची गई उसमें स्टाप ड्यूटी व आयकर बचाने के लिए मिलीभगत कर जमीन को मात्र एक हजार रुपये प्रति गज बिका दिखा दिया जाता है।

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