रात में थी 'क्रैकडाउन' की तैयारी
नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों और समर्थकों का दो दिनों का धरना मंगलवार शाम को खत्म हो गया। लेकिन केजरीवाल
ने धरना अपनी मांग पूरी हुए बिना ही खत्म कर दिया। केजरीवाल के धरना खत्म
होने की असली वजह कुछ और मानी जा रही है। इस धरने को लेकर खुद को अराजक
कहने वाले केजरीवाल, उनकी सरकार और पार्टी की जमकर आलोचना हो
रही है। केजरीवाल ने सबसे पहले दिल्ली के कुछ पुलिसवालों को सस्पेंड करनी
की मांग की थी। लेकिन बाद में उन्होंने इसमें ढील देते हुए कहा कि इन
पुलिसवालों का तबादला कर दिया जाए। लेकिन केंद्र सरकार ने इनमें से कोई भी
मांग नहीं मानी। मंगलवार को दिल्ली के मालवीय नगर थाने के एसएचओ और
पहाड़गंज पीसीआर वैन के इंचार्ज को छुट्टी पर भेजते ही अरविंद केजरीवाल ने धरना खत्म कर दिया। केजरीवाल ने धरना खत्म होने पर कहा,
'लेफ्टिनेंट गवर्नर साहब ने हमारी मांगें आंशिक रूप से मान ली हैं। यह
दिल्ली की जनता की बहुत बड़ी जीत है। दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा
हासिल करने की दिशा में यह पहला कदम है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार
वचनबद्ध है।'
सुरक्षा तंत्र ने कर ली थी धरना खत्म करने की तैयारी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश की राजधानी में मौजूद
राजपथ के नजदीक शास्त्री पार्क में मंगलवार शाम पौने आठ बजे तक धरने पर
बैठे हुए थे। 26 जनवरी को राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के मद्देनजर केजरीवाल
का धरना सरकार के लिए बड़ी परेशानी बनता जा रहा था। यही वजह है कि केंद्र
सरकार का शीर्ष नेतृत्व और सुरक्षा से जुड़े आला अफसर आम आदमी पार्टी
समर्थकों के खिलाफ मंगलवार को निर्णायक कार्रवाई करने की योजना को अंतिम
रूप देने लगे थे। बताया जाता है कि अगर मंगलवार को केजरीवाल का धरना खत्म
नहीं होता तो रात में ही सुरक्षा बल धरना दे रहे लोगों पर धावा बोल देते।
यह कार्रवाई कुछ वैसी ही हो सकती थी, जैसी कार्रवाई 4-5 जून की रात को
दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ की गई
थी। केजरीवाल का धरना खत्म होने की एक बड़ी वजह सुरक्षा बलों की तकरीबन
निश्चित कार्रवाई भी थी।
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