नई दिल्ली। सोशल मीडिया के चहेते सितारे अरविंद
केजरीवाल ने धरने पर बैठकर अपने लिए मुसीबत मोल ले ली है। ट्विटर पर तो
उनका जमकर मजाक उड़ाया ही जा रहा है, फेसबुक पर भी उनकी लोकप्रियता घटने के
संकेत मिले हैं। लोगों ने फेसबुक व ट्विटर पर केजरीवाल के धरने की खूब
आलोचना की है। एक आंकड़े के अनुसार 13 जनवरी को उनके फेसबुक पेज पर 68 हजार
लोग जुड़े। 20 जनवरी को यह संख्या 30 हजार ही दर्ज की गई।
पढि़ए सोशल मीडिया पर आए कुछ कमेंट..
मैंने कहीं पढ़ा है कि अगर आप भिखारी को सोने का कटोरा दे दो तो भी वह उसका इस्तेमाल भीख मांगने के लिए ही करेगा। -सर रवींद्र जडेजा
केजरीवाल की तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने 3डी सिनेमा और वीडियो
गेम्स के इस जमाने में नुक्कड़ नाटक का प्रचार करने की हिम्मत दिखाई। -द बैड डॉक्टर
मैं शर्त लगाता हूं कि अगर केजरीवाल प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो वह सेनाओं का मुखिया बनने के लिए राष्ट्रपति के खिलाफ धरना देंगे। -राजदीप चक्रवर्ती
आप के दो नियम हैं। पहला- केजरीवाल कभी गलत नहीं होते। दूसरा-अगर कोई संदेह हो तो पहला नियम देखें। -आरिफ अख्तर
आप राजनीति की आइटम गर्ल्स बन गई है। उसने अपनी नौटंकी से मुझे निराश कर दिया। -चेतन भगत, एक टीवी चैनल पर
मुख्यमंत्री के धरने से असंतुष्ट दिखे लोग
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस के तीन अधिकारियों के
निलंबन की मांग को लेकर धरने पर बैठे अरविंद केजरीवाल ने भले ही
दिल्लीवासियों के हितों के लिए लड़ने का दावा किया पर लोगों की राय इस बारे
में बिल्कुल अलग है। लोगों के मुताबिक इसके चक्कर में दिल्ली सरकार जनता की
मूलभूत जरूरतों से जुड़े मसलों को नजरंदाज कर रही है। वहीं कुछ लोगों का
कहना है कि राजनीति से जुड़े लोगों को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि आखिरकार
एक मुख्यमंत्री को धरने पर बैठने की नौबत क्यों आई?
मुख्यमंत्री का पद एक संवैधानिक पद है। इसीलिए अरविंद केजरीवाल का इस
तरह धरने पर बैठना शोभा नहीं देता है। अगर उन्हें पुलिस अधिकारियों को
निलंबित कराना ही था तो संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था। पिछले
एक सप्ताह से अतिथि शिक्षक स्थायी करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं।
सरकार को धरना देने के बजाए उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए था। - डॉ. जे एस सक्सेना राज, आनंद विहार
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के धरने की वजह से ऑफिस आने जाने वालों को
काफी समस्या हुई। इसके चलते जगह-जगह जाम लगा। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री
को सबसे पहले दिल्लीवासियों की बिजली, पानी की समस्या का समाधान निकालना
चाहिए। -साजिद खान, दिलशाद कॉलोनी
दिल्ली की जनता को धरने से परेशानी तो जरूर हुई है, लेकिन इस बात पर भी
विचार किया जाना चाहिए कि हर किसी को अपनी मांगों के लिए धरना-प्रदर्शनों
का सहारा क्यों लेना पड़ा। -आयुष केसरी, मयूर विहार फेज-2
राजधानी का मुख्यमंत्री अपनी मांगों को लेकर धरना पर बैठा है। यह अपने
आप में दिलचस्प है। लेकिन राजनीतिज्ञों को इस पर मंथन करना चाहिए कि आखिर
इस तरह की नौबत क्यों आई कि मुख्यमंत्री को धरने का सहारा लेना पड़ा। -ममता सिंह, शकरपुर
मुख्यमंत्री को धरने पर बैठना पड़ रहा है। यह थोड़ा अजीब है, लेकिन
केंद्र सरकार जिस तरह से पेश आ रही है, उससे तो लगता है कि अब धरना और
प्रदर्शन ही एक मात्र विकल्प रह गया है। मुख्यमंत्री का यह कदम ऐतिहासिक
है। -अस्मि पांडे, मयूर विहार फेज-3
धरना प्रदर्शन राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। हमारे मुख्यमंत्री इसका लोकसभा चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं। -आदित्य प्रवेश, लक्ष्मीनगर
अरविंद केजरीवाल एच्च् अच्च्े मुख्यमंत्री हैं। अगर वे धरने पर बैठे हैं तो यह दिल्लीवासियों के हित के लिए हैं। -नगमा खान
धरना-प्रदर्शन के कारण लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा। भले ही
यह अस्थाई समस्या रही हो, लेकिन मुख्यमंत्री को जनता की दिक्कतों का भी
ख्याल रखना चाहिए। -भारत भूषण
SPONSER--जागरण न्यूज नेटवर्क
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