बठिंडा. बठिंडा के सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक से एक महिला और चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव डोनरों का बिना जांच खून चढ़ने का खुलासा होने पर अस्पताल की तरफ से डोनरों की पहचान कर सैंपलिंग का काम शुरू किया है। लॉकडाउन के दौरान ब्लड बैंक व कैंपों में ब्लड डोनेट करने वाले रक्तदानियों को इसमें शामिल किया गया है।
अब तब 15 डोनरों को बुलाकर ब्लड टेस्ट करवाया गया है। इसमें आए दिन उठ रहे विवाद के चलते अस्पताल प्रबंधन उनकी रिपोर्ट जारी करने से गुरेज कर रहा है लेकिन अस्पताल प्रशासन की ओर से उक्त डोनरों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव व नेगेटिव तथा डोनर के संक्रमित आने पर एआरटी सेंटर में इलाज शुरू करवाने संबंधी कुछ भी बताने से इंकार किया है। उक्त मामले में 8 से 12 साल के मध्य बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया जिसकी ब्लड बैंक में जांच नहीं हुई थी। बठिंडा ब्लड बैंक में थैलेसीमिया की बीमारी से पीड़ित 4 बच्चों के एचआईवी संक्रमित होने पर तहलका मच गया था तथा लगातार मामले सामने आने के बाद सेहत विभाग की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।
वहीं लगातार ब्लड बैंक में इस तरह की घटनाएं घटित होने को संयोग नहीं माना जा सकता। इसमें बाल अधिकार आयोग की सख्त टिप्पणी व मामले में बड़ी लापरवाही के साथ किसी घपले की आशंका के तहत जांच करवाने की हिदायत ने सेहत विभाग की किरकरी की है। इसमें आला अधिकारियों की कारगुजारी पर भी सामाजिक व राजनीतिक संगठनों की तरफ से सवाल उठाकर जांच की मांग कर दोषियों पर आपराधिक मामले दर्ज करने की मांग लगातार की जा रही है। वही ब्लड बैंक में बाहरी लोगों के हस्तक्षेप व जानबूझकर ब्लड बैंक कर्मियों को बदनाम करने के लिए साजिश करने की संभावना के बीच सेहत विभाग ने सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा गार्ड के अलावा वार्ड अटेंडेट की तैनाती भी कर दी है।
वही आयोग की तरफ से आला अधिकारियों की तरफ से ब्लड़ बैंक में लापरवाही के मद्देनजर अपने स्तर पर गहराई से जांच नहीं करने की बात के बाद गत दिवस सिविल सर्जन डा. अमरीक सिंह संधू ने ब्लड बैंक का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने एक घंटा रिकार्ड जांचा। बता दें कि ब्लड बैंक में अक्टूबर व नवंबर के मध्य थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एड्स संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में जांच के बाद सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की तरफ से बठिंडा सरकारी ब्लड बैंक में तैनात चार कांट्रेक्ट लैब टेक्नीशियनों को जांच के बाद आरोपी पाए जाने पर नौकरी से डिसमिस कर दिया गया।
3 अक्टूबर को थैलासीमिया पीड़ित बच्चे को इश्यू किए गए एचआईवी संक्रमित ब्लड के मामले में आरोपी पाए जाने पर ब्लड बैंक में तैनात सीनियर एमएलटी बलदेव रोमाणा पर विभागीय कार्रवाई के बाद पुलिस कार्रवाई कर जेल भेजा गया। वहीं मामले में शामिल कांट्रेक्ट पर बीटीओ डा. करिश्मा व एलटी रिचा को सस्पेंड किया जा चुका है। ब्लड से अलग-अलग दिनों में इश्यू किए ब्लड के चढ़ाने से अब तक 4 थैलासीमिया पीड़ित बच्चे एचआईवी पॉजिटिव से ग्रस्त हो चुके हैं।
इस संबंध में हेल्थ सेक्रेटरी हुस्न लाल द्वारा सिविल सर्जन व डीएमसी को समय-समय पर ब्लड बैंक का निरीक्षण करने के आदेश जारी किए थे। सिविल सर्जन बठिंडा डा. अमरीक सिंह संधू ने रविवार को फिर टीम समेत ब्लड बैंक का निरीक्षण किया और ब्लड बैंक का पूरा रिकार्ड, ब्लड स्टाक समेत अन्य संसाधनों की चेकिंग की। इस दौरान जांच टीम द्वारा करीब एक घंटे तक रिकार्ड चेक करने के साथ ब्लड बैंक में तैनात एलटी से ब्लड डोनेशन से लेकर ब्लड सैंपलों की क्रास चेकिंग व इश्यू करने संबंधी जरूरी निर्देश दिए वहीं रिकार्ड में इंट्री करते समय कोई गलती होने पर ओवर राइटिंग न किया जए। गलती होने पर साथ में इंट्री की करें ताकि गलती का आसानी से पता चल सके। इस दौरान उन्होंने ब्लड बैंक की इमारत में चल रहे रैनोवेशन व निर्माण कार्य का भी जायजा लिया।
ब्लड बैंक में खून की कमी, नहीं आ रहे डोनर
जब से ब्लड बैंक की ओेर से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी पाजिटिव डोनर का खून चढ़ने के बाद ब्लड बैंक विवाद में आया है। उसके बाद से ब्लड बैंक में खून की कमी हो गइ है। ब्लड डोनर और खूनदानी संस्थाएं खूनदान करने के लिए आगे नहीं आ रही हैं। खून की कमी के चलते आए दिन मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस समय ब्लड बैंक में 68 यूनिट ब्लड है। जिसमें इमरजेंसी के लिए एबी पाजिटिव का एक ही यूनिट बचा है जब कि प्रत्येक ग्रुप के इमरजेंसी के लिए कम से कम 15 यूनिट होने चाहिए। इससे पहले प्रतिदिन 25-30 यूनिट खून ब्लड बैंक से जारी होता था जो इन दिनों प्रतिदिन 4-5 यूनिट खून जारी हो रहा है।