-सुप्रीम कोर्ट में साल 2015 में जारी आदेश को बनाया आधार वही सुप्रीम कोर्ट में 11 जून को होनी है अगली सुवाई
बठिंडा. इन दिनों सोशल मीडिया पर कोरोना से मृत लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए की सहायता राशि सरकार की तरफ से जारी करने का मैसेज वायरल हो रहा है। इस मैसेज को देखकर जहां लोग जिला प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं वही मैसेज के साथ दिए फार्म को भरकर दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। असल में इस मैसेज की सच्चाई जाने बिना लोग पिछले कुछ दिनों से लगातार वट्सएप ग्रुप व फेसबुक में इसे भेज रहे हैं। उक्त मामले में जमीनी सच्चाई जानने पर पता चला कि एक साल पहले देश में कोरोनावायरस संक्रमण के 99 मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने इसे आपदा घोषित किया, लेकिन जिस दिन आपदा घोषित कर पत्र जारी किया उसी दिन महज तीन घंटे बाद ही मौत पर मुआवजे का प्रावधान वापस ले लिया था। आदेश में गृह मंत्रालय ने कोरोनावायरस से किसी की मौत होने पर परिवार को चार लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की थी। राहत कार्यों में शामिल व्यक्तियों को भी मुआवजे के दायरे में रखा गया था। इसके लिए राज्य आपदा राहत कोष से मदद देने की बात कही गई थी। महज 3 घंटे बाद सरकार की तरफ से नया आदेश जारी किया गया, जिसमें कोरोनावायरस को आपदा तो माना गया, लेकिन मृतक के परिवार को मुआवजे देने का कोई जिक्र नहीं था।
वही
इस मामले में साल 2015 में केंद्र की तरफ से जारी एक आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में भी
सुनवाई चल रही है जिसमें कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को
चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्र सरकार
से जवाब तलब किया गया है व 11 जून को इसमें अगली सुनवाई होनी है। साथ ही कहा कि
कोरोना वायरस से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति
अपनाई जाए। इसके बाद से लोगों के मन में एक सवाल कौंधने लगा है कि क्या सरकार
कोविड से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देगी।
क्या
है मामला?
सुप्रीम
कोर्ट कोविड से मरने वालों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने के संबंध में दो
अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं में केंद्र तथा राज्यों को
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के
परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के
लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
यही
नहीं केंद्र सरकार ने अधिनियम की धारा 12(3) को ध्यान में रखते हुए 8 अप्रैल,
2015
को भी एक आदेश जारी किया था। इसके तहत राष्ट्रीय आपदा में मरने वाले प्रत्येक
व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। यह मुआवजा
राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष से दिया जाना है। याचिका
में कहा गया कि सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत ही कोरोना वायरस को
राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया है। इसलिए, आपदा प्रबंधन अधिनियम,
2005
की धारा 12 (iii) के तहत प्रत्येक परिवार जिसके सदस्य की आपदा के
कारण मृत्यु हुई है, वह चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि का हकदार है।
वही
मुआवाजे में रोड़ा बन सकती हैं ये बातें
देश
में कोरोना वायरस से तीन लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। इसके बावजूद ज्यादातर
मृतकों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण लंग्स इन्फेक्शन,
हर्ट
प्रॉब्लम या फिर कोई अन्य गंभीर बीमारी दिया गया है। ऐसे पीड़ित परिवार मुआवजे के
हकदार नहीं हो सकते हैं।
क्या
कहती है आईसीएमआर की गाइडलाइंस?
आईसीएमआर
और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) ने पिछले साल
कोविड-19 से होने वाली मौतों के संबंध में गाइडलांइस जारी की थी। गाइडलाइंस के मुताबिक,
कोरोना
संक्रमित होने के दौरान मरीज को श्वसन संबंधी, हार्ट अटैक जैसी कई अन्य गंभीर
बीमारियां भी हो सकती हैं। इन स्थितियों को मृत्यु का अंतर्निहित कारण नहीं माना
जाता है क्योंकि ये सीधे तौर पर कोविड-19 के कारण मृत्यु का कारण नहीं बने हैं। आईसीएमआर
की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस सिर्फ सलाह है, अनिवार्य नहीं। इसका मतलब है कि इसे
लागू करना राज्यों पर निर्भर है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 जून को होगी।
आपदा का मतलब है- किसी क्षेत्र में
प्राकृतिक रूप से, इंसान या किसी दुर्घटना की वजह से
भारी विपत्ति आना। इससे जनहानि या संपत्ति का इतना नुकसान हो कि स्थानीय समुदाय के
लिए उससे निपटना असंभव हो। बाढ़, तूफान, चक्रवात, भूकंप, सुनामी को प्राकृतिक
आपदा और एटमी, जैविक या रासायनिक आपदाओं को मानव
जनित आपदा कहा जाता है। हालांकि, इसे घोषित करने के
लिए कोई तय मानक नहीं हैं।
इसके क्या फायदे होते हैं?
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के मुताबिक, राष्ट्रीय आपदा
घोषित होने पर ऐसी स्थिति एनडीआरएफ को मदद के
लिए भेजा जाता है। आपदा राहत कोष के जरिए 75% मदद केंद्र और 25% राज्य सरकार करती
हैं। जरूरत होने पर केंद्र के 100% फंडिंग वाले ‘राष्ट्रीय आपदा
आकस्मिक फंड’ से अतिरिक्त सहायता दी जाती है।
प्रभावित लोगों को कर्ज में रियायत दी जाती है।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे सरकार के पूर्व में जारी आदेश व फार्म की कापियां-
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