बठिंडा. नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) में को लेकर पिछले कई दिनों से सरकार व सरकारी डॉक्टर्स के बीच कोई सहमति नहीं बन पाने की वजह से पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के बैनर तले सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने फिर से हड़ताल जाने की घोषणा की है। इसी क्रम में सोमवार को डाक्टरों ने कामकाज बंद रख हड़ताल रखी। एसोसिएशन के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. गगनदीप सिंह ने स्टेट स्तर पर मीटिंग के दौरान ऐलान किया कि 12 से 14 जुलाई तक लगातार 3 दिनों तक इमरजेंसी सेवा व कोरोना मरीजों को छोड़ सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, यूडीआइडी, सरबत बीमा योजना, ऑनलाइन कंसलटेशन सहित अन्य सेवाएं पूरी तरह ठप रखी गई। जानकारी देते हुए एसोसिएशन के जिला स्तरीय पदाधिकारियों व मेंबरों में शामिल डॉक्टर हर्षित गोयल, डा. खुशदीप सिंह सिद्धू और डा. रविकांत गुप्ता ने बताया कि एनपीए के मुद्दे पर सरकार के मौन के चलते डाक्टरों की तरफ से हड़ताल की जा रही है।
सरकारी
अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर पंजाब के छठे वित्त आयोग की उस सिफारिश का विरोध कर
रहे हैं जिसके जरिए गैर-प्रैक्टिस भत्ता को मूल वेतन से असंबद्ध कर दिया गया है।
वे भत्ते को 25 प्रतिशत से घटा कर 20 प्रतिशत करने की वेतन आयोग की सिफारिश का भी
विरोध कर रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा सेवाओं का भी 12 से 14 जुलाई
तक बहिष्कार करने का फैसला लिया है। इसमें पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन
के सदस्य भी शामिल हैं। एसोसिएशन के डॉक्टर खुशदीप सिंह सिद्धू ने बताया कि उनकी
मांगों के प्रति राज्य सरकार की चुप्पी ने पीसीएमएस एसोसिएशन को हड़ताल की घोषणा
के लिए मजबूर किया है। हड़ताल से बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सहित स्वास्थ्य सेवाएं
प्रभावित रही। इसके अलावा पशु चिकित्सा सेवाएं भी बंद रखी गई। हालांकि, आपातकालीन, पोस्टमार्टम, मेडिकोलीगल
सेवाएं और कोविड से जुड़ी सेवाएं जारी रहेंगी। पीसीएमएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों
का कहना है कि पंजाब सरकार ने एनपीए कम करके कोरोना काल में जान की परवाह किए बगैर
ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों से अन्याय किया है। कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह
किए बिना काम करने वाले कोरोना योद्धाओं को काम के बदले सरकार हमें कोई आर्थिक लाभ
देने की बजाय उल्टा हमारे हक पर ही चोट पहुंचाने का काम कर रही है, जो
हमें मंजूर नहीं है। सरकार को अपना फैसला बदलना होगा।
19
जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे
पंजाब में सरकारी डॉक्टरों ने च्गैर-प्रैक्टिस भत्ताज् के मुद्दे पर राज्य सरकार की चुप्पी को लेकर 12 जुलाई से 14 जुलाई तक मांगों को लेकर हड़ताल का शनिवार को स्टेट कमेटी की ओर से फैसला लिया गया है। स्ट्राइक के बाद भी अगर सरकार ने उनकी मांग पर अमल नहीं किया, तो 15 से 17 जुलाई तक सरकारी ओपीडी का बायकॉट करेंगे और अस्पताल के परिसर में अपनी अलग ओपीडी सर्विस शुरू कर देंगे। इसके बाद भी सरकार का रवैया नहीं बदला, तो 19 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान ओपीडी सेवाएं ठप रखने के साथ साथ एमएलआर, सैंपलिंग, वैक्सीनेशन और कोविड से संबंधित सभी कार्यों को ठप कर दिया जाएगा।
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