Friday, July 9, 2021

बठिंडा में मरीज की मौत के बाद नार्थ एस्टेट रोड स्थित निवारण अस्पताल के बाहर लोगों का हंगामा, इलाज में लापरवाही का आरोप लगा की नारेबाजी


बठिंडा.
शहर के नार्थ एस्टेट रोड स्थित निवारण अस्पताल में दाखिल एक मरीज की वीरवार रात्रि मौत हो गई। मृतक मरीज के परिजनों ने डाक्टर पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए शुक्रवार को अस्पताल के बाहर रोष धरना दिया और प्रबंधकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। परिजनों का धरना देर शाम तक जारी था, जबकि उन्होंने लाश को भी अस्पताल से नहीं उठाया। परिजनों का आरोप है कि डाक्टर ने इलाज में लापरवाही दिखाई है, जिसके कारण उनके मरीज की मौत हो गई, इसलिए वह सरकारी अस्पताल के डाक्टरों का बोर्ड बनवाकर लाश का पोस्टमार्टम करवाना चाहते है, ताकि सच सामने आ सके। वहीं परिजनों द्वारा मामले की शिकायत पुलिस को भी दी गई है।

मामले की जानकारी देते हुए श्री मुक्तसर साहिब के रहने वाले सौरव कुमार ने बताया कि बीती 27 जून को उसके पिता दलवीर सिंह ने कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाया था, जिसके कुछ समय बाद उनकी अचानक हालत बिगड़ने लगी। वहीं उनके पिता के शरीर का एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर दिया, जिसके बाद उन्हें मुक्तसर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर सिटी स्कैन करवाने पर पता चला कि उनके दिमाग समस्या है, जिसके चलते उन्हें न्यूरोसर्जन के डाक्टर के लिए बठिंडा के निवारण अस्पताल में रेफर कर दिया गया। 28 जून को निवारण अस्पताल में भर्ती करवाने पर डाक्टरों ने बताया कि उनके दिमाग में सूजन है, जिसका आप्रेशन हो गया। परिजनों के अनुसार आप्रेशन करने के बाद उनके पिता की हालत में काफी सुधार भी होने लगा, लेकिन जब डाक्टरों ने उनसे पैसे जमा करवाने के लिए कहा और उन्होंने आयुषमान स्कीम के तहत इलाज करने की बात कहीं, तो उसके बाद डाक्टरों ने उनके पिता के इलाज में लापरवाही दिखाने लगे। जिसके चलते उसके पिता की बीती वीरवार को मौत हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पैसे नहीं देने पर डाक्टरों ने उनके पिता का सही तरीके से इलाज नहीं किया, इसलिए वह पोस्टमार्टम करवाना चाहते है, ताकि सच सामने आ सके।

वहीं मरीज का इलाज करने वाले डाक्टर एसके बांसल ने बताया कि जब मरीज उनके पास ला गया था, तब उनके दिमाग में सूजन बहुत ज्यादा थी। उन्होंने परिजनों को पहले ही बता दिया था कि आप्रेशन के बाद भी मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम है, इस बाबत उन्होंने परिजनों से पहले लिखित में ले लिया था, लेकिन अब उनपर झूठे आरोप लगाएं जा रहे है, जबकि उन्होेंने जब मरीज का आप्रेशन किया था, तब मरीज के परिजनों ने महज पांच हजार रुपये ही जमा करवाएं थे। इसके बाद भी उन्होंने मरीज की जान बचाने के लिए सर्जरी की। परिजन लाश का पोस्टमार्टम करवा ले, सब सच सामने आ जाएगा।

फोटो सहित-बीटीडी-23-अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन करते लोग। फोटो-अशोक 


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