Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: समाज को डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को स्वीकार कर गतिविधियों में शामिल करना चाहिए- डॉ श्रेष्ठा अग्रवाल

Monday, February 28, 2022

समाज को डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को स्वीकार कर गतिविधियों में शामिल करना चाहिए- डॉ श्रेष्ठा अग्रवाल


बठिंडा। संजीवनी फेटल मेडिसिन एंड जेनेटिक क्लिनिक को बस स्टेंड के पास पावर हाउस रोड स्ट्रीट लाइट के पास जीटी रोड में अपने नए परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। अपने नए भवन के शुभारंभ समारोह में एसईएमसी की ओनर और फेटल मेडिसिन कंसल्टेंट श्रेष्ठा अग्रवाल ने डाउन सिंड्रोम स्पोर्ट ग्रुप. लॉन्च करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सिंड्रोम सहायता ग्रुप डाउन सिंड्रोम के निदान में सहायता करती है और ऐसे कई गर्भावस्था के दौरान अन्य जन्म दोष और आनुवंशिक रोग के बारे में बच्चे के जन्म से पूर्व ही जानकारी देती है। बच्चा होने से पहले पति-पत्नी यह जानने के लिए उससे संपर्क करते हैं कि क्या उनका अजन्मा बच्चा ऐसे किसी आनुवंशिक दोष से प्रभावित तो नहीं है। कई लोगों की काउंसलिंग के दौरान अपने करियर में ऐसे जोड़े जिनके पहले से ही डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे हैं, उन्होंने महसूस किया कि ऐसे बच्चों का जीवन कठिन होता है क्योंकि समाज ऐसे बच्चों को स्वीकार नहीं करता है  और पश्चिमी दुनिया के विपरीत हमारे यहां इस तरह की समूह स्तर पर व्यवस्था नहीं है कि  जिसमें हम उन्हें स्पोर्ट कर सके। डाउन सिंड्रोम मानसिक मंदता का सबसे आम कारण है। !800 जीवित जन्मों में से लगभग 1 को यह प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों और वयस्कों में कम बुद्धि होती है। कुछ बच्चे थेरेपिस्ट की थोड़ी सी मदद से समाज में यथोचित समायोजन कर सकते हैं, कुछ नौकरी भी कर सकते हैं। जो लोग अधिक गंभीर रूप से प्रभावित हैं वे समूह में शामिल हो सकते हैं और अपनी समस्या साझा कर इसमें उबरने में सहायता हासिल कर सकते हैं। इस ग्रुप में डॉक्टर, व्यावसायिक चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत मुद्दे पर चर्चा कर हल निकाला जाता है। 


श्रीमती अंजना सिंगला एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो कई वर्षों से हमेशा ऐसे कारणों के लिए काम कर रही हैं। लॉन्च इवेंट में बोलते हुए उन्होंने कहा, उन्होंने अपने पड़ोस और करीबी रिश्तेदारों में बहुतों को देखा है जिसमें कई परिवार में ऐसे प्रभावित बच्चे हैं और हमेशा सोचते हैं कि उनकी परिस्थितियाँ कितनी चुनौतीपूर्ण हैं। खासकर इन बच्चों की परवरिश करते हुए सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। वही ग्रुप में चीना जैन  इस समूह से जुड़ी एक प्रसिद्ध व्यावसायिक चिकित्सक हैं। उसके पास ऐसे बच्चों को स्पीच थेरेपी, संवेदी-मोटर समन्वय और कई परामर्श देने का अनुभव व अन्य तकनीकें है। वह नियमित रूप से अपनी सेवाएं देती रहेंगी। वही सुमन पराशर, समूह से जुड़ी एक विशेष शिक्षिका हैं। वह बच्चों को पढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि थोड़े धैर्य और स्नेह से आप इनकी मदद कर सकते हैं जिससे बच्चे बेहतर जीवन जीते हैं।



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