मंगलवार, 13 जुलाई 2010

मानसून की पहली मुसलाधार बरसात से ही सहम गया सीवर

-सीवरेज बोर्ड के दावे कई क्षेत्रों में हो गए खोखले, लोगों को झेलनी पड़ी परेशानी
-सीवरेज व्यवस्था के सुधार को लेकर किए जा चुके हैं करोड़ों रुपया खर्च
बठिंडा। मानसून की पहली बरसात से ही बदहाल सीवर सहम उठा। आषाढ़ माह में महज दो घंटे हुई बारिश की बौछार से शहर में  ड्डैञ्ले सीवर लाइन की सांस अटक गई। श्रावण की झड़ी अभी बाकी है। खैर मनाइए कि तीन माह से सूखी धरती की गोद ने पानी गिरते ही इसे सोख लिया। नहीं तो शहर 'पानी-पानी' हो जाता। करीब ४० दिनों से चल रहे डीसिल्टिंग अभियान ने निगम की लाज बचा ली। अलबत्ता निकम्मे सीवरेज बोर्ड की कलई खुल गई। करोड़ों रुपये के  प्रोजेक्ट को हाथ में लेकर बैठा सीवरेज बोर्ड इसे लेकर खेल खेलने में मस्त है, जबकि सुखवीर बादल के सपनों की महानगरी बदहाल सीवर से पस्त है। लोकसभा चुनावों में उपमुख्यमंत्री सुखवीर बादल ने दावा किया था कि बठिंडा की सड़कों को चंडीगढ़ की तर्ज पर सीवरेज प्रणाली से ऐसा बनाया जाएगा जिसमें पानी की एक बूंद भी खड़ी नहीं हो सकेगी। 
राज्य में जहां पिछले एक सप्ताह से बरसाती पानी के कहर ढां रखा है वही बठिंडा में इस दौरान पानी की एक बूंद भी नहीं पड़ी थी लेकिन सोमवार को एकाएक पानी बरसा लेकिन कुछ समय बाद ही सड़कों में पानी भर गया। बाहरी क्षेत्र में कीचड़ व गंदगी की भरमार ने लोगों को नाक में कपडे़ रखने के लिए मजबूर कर दिया। यह आलम बठिंडा वासियों के साथ पहली बार नहीं हो रहा है बल्कि पिछले दो दशक से नगर कौंसिल व बाद में बनी नगर निगम के अधिकारी करोड़ों रुपये के प्रोजेक्टों पर हर साल काम करते हैं। शहर की सीवरेज लाईनों को साफ करने के साथ नए सिरे से बनाने के कागजी दावे जोर शोर से होते हैं लेकिन स्थिति वहीं पुरानी रहती है। हाल में नगर निगम महानगर में सीवरेज सफाई के लिए आधुनिक मशीनों की खरीद का दावा कर रहा है। प्रेसर मशीनों से सीवरेज के अंदर जमी गाद व पालीथीन तक के कागज कुछ समय में ही बाहर होंगे व इसमें नगर निगम को कर्मचारियों की भारी भरकम फौज भी नहीं रखनी पडे़गी। बरसात से पहले नगर निगम के साथ सीवरेज बोर्ड की बैठकों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के  अलावा सीवर के  अपग्रेडेशन पर भी सीवरेज बोर्ड ने खूब सिरखपाई की। बरसाती पानी केञ् निकासी को लेकर प्रोजेक्ट बनाने को अब और तब शुरू  करने का वादा किया गया, लेकिन बात अभी भी कागजों में सीमित है। 

सड़कों का हुआ भारी नुकसान

दूसरी तरफ पंजाब के  कई स्थानों पर आई बरसात और बाढ़ के  कारण लोक निर्माण विभाग द्वारा शहरों व गांवों में बनाई गई लिंक और प्लान सडक़ों का भी नुकसान होने की संभावना है। सरकार से आदेश मिलने के  बाद लोक निर्माण के  अधिकारी होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाने में लगे हैं। लेकिन लिंक सडक़ों पर पानी खड़ा होने के  चलते विभाग को नुकसान का आकलन करने में काफी परेशानी हो रही है। बताया जाता है कि इससे विभाग द्वारा बनाई गई करोड़ों रुपये की सड़कें  पानी की भेंट चढ़ गई।
बरसात के  चलते पंजाब के  कई स्थानों पर बाढ़ आ गई। जिस कारण लोगों व सरकार का काफी नुकसान हुआ है। इस दौरान लोक निर्माण विभाग  द्वारा बनाई गई सडक़ों पर भी असर पड़ा है। इसके  चलते सरकार द्वारा लोक निर्माण विभाग के  अधिकारियों को खराब होने वाली सडक़ों के  बारे में जानकारी जुटाने को आदेश दिया गया है। जानकारों के  मुताबिक बरनाला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, संगरूञ्र , रोपड़ , मोहाली, मानसा, लुधियाना जिलों में बाढ़ व बरसात के  पानी को लेकर खराब होने वाली सडक़ों का डाटा तैयार करने में अधिकारी जुट गए है। 

बारिश से खेतों को मिली संजीवनी

काफी दिनों से धोखा दे रहा मानसून क्षेत्र पर आखिरकार मेहरबान हो गया है। क्षेत्र में शुरू  हुई रिमझिम बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं वहीं आम लोगों ने भी गर्मी व उमस से काफी राहत महसूस की। गौरतलब है कि मालवा के कई क्षेत्रों में बारिश नहीं हो रही थी। मानसून में बिना बारिश लोगों की परेशानी बढ़ रही थी। बारिश न होने से मानसून का भटकना था। पटियाला, बरनाला, समराला में भारी बारिश से मानसून का दबाव क्षेत्र बदल गया था। अब बठिंडा क्षेत्र में बारिश हुई तो संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में बारिश देखने को मिलेगी। बिना बारिश किसान कुञ्छ ज्यादा ही विचलित थे। बरसात न होने से किसानों की धान की फसल सूख रही थी। भूजल स्तर भी गिरता जा रहा था। किसानों को बिजली के  अलावा डीजल इंजन का इस्तेमाल कर अपनी फसल को पानी मुहैया करवाना पड़ रहा था। इंद्रदेव प्रसन्न हुए और क्षेत्र में बारिश हुई। बारिश से जहां पारा करीब ४० डिग्री रहा था। बारिश न होने से ३० डिग्री तापमान हो गया। तापमान गिरने से बिजली की खपत में भी कमी आई है। बारिश का दौर मंगलवार की सुबह तक जारी रहा। विभिन्न इलाकों में बारिश अलग-अलग गति से हुई। 

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