- भोगपुर व करतारपुर में पकड़ी गई दो अवैध कॉलोनियां, एक केस में छह परिवारों तो दूसरे में जमीन मालिक के नाम पर दर्ज करवाया केस
जालंधर। शहरी विकास मंत्री सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया से कुछ दिन पहले जालंधर के कॉलोनाइजरों की मुलाकात के बाद जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी (JDA) ने अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई की दिशा बदल दी है। पहले आवेदन के बावजूद रेगुलराइजेशन से मुकरने वाले कॉलोनाइजरों पर केस दर्ज किया जा रहा था लेकिन अब जमीन मालिकों पर ही पर्चे दर्ज किए जाने लगे हैं। ऐसे ही दो केस थाना भोगपुर व करतारपुर में दर्ज किए गए हैं।
भोगपुर में 6 परिवार के 18 मेंबर किए नामजद
जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी(JDA) के जेई नवप्रीत सिंह के बयान पर चार भाईयों गुरजिंदर सिंह, बलवीर सिंंह, हरभजन सिंह व परविंदर सिंह, विजय पत्नी मनजीत व उसके बेटे विनाश, गुरदेव सिंह व उसके भाई अमरीक सिंह, सतनाम सिंह व मांं नसीब कौर, तरसेम सिंह व उसके भाई वरिंदर सिंह, सर्बजीत कौर व उसके बेटों जगदीप सिंह व संंदीप सिंह, दविंदर कौर व उसके बेटों जुझार सिंह व अमरजीत सिंह के खिलाफ यह केस दर्ज किए गए हैं। इन पर आरोप है कि भोगपुर के गांव नाहल में 7 कनाल 18 मरले पर अवैध कॉलोनी काट दी। इसके लिए पंंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेगुलेशन एक्ट 1995 की धारा 5 के तहत कोई लाइसेंस नहीं लिया गया। इस अवैध कॉलोनी में अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर रेजिडेंशियल व कॉमर्शियल प्लॉट की रजिस्ट्री करवा दी गई।
करतारपुर में जमीन मालिक के नाम से केस
करतारपुर के गांव बल्ल में भी JDA को ऐसी अवैध कॉलोनी मिली है। इसमें कॉमर्शियल व रेजिडेंशियल के साथ इंडस्ट्रियल प्लॉट काटकर भी बेच दिए गए। इसके मालिकों का पता नहीं चल सका है लेकिन पुलिस ने थाना करतारपुर में जमीन के खसरा नंबर के रिकॉर्ड में दर्ज मालिक के नाम से केस दर्ज कर लिया है।
कॉलोनाइजरों के खेल में फंसी JDA
इस रूख के बाद चर्चा है कि जालंधर डेवलपमेंट अथॉरिटी व सरकार कॉलोनाइजरों के खेल में फंस गई है। वैसे भी, कहीं भी अवैध कॉलोनी काटी जाती है तो कॉलोनाइजर कहीं भी ऑन रिकॉर्ड नहीं होता। जिसकी जमीन होती है, उसी के जरिए खरीदने वाले के नाम पर कॉलोनाइजर रजिस्ट्री करवा देते हैं। कॉलोनाइजर बीच में से अपनी कमाई कर निकल जाता है। यही वजह है कि JDA के पास यह बढ़िया मौका आया था कि जिन कॉलोनाइजरों ने अवैध कॉलोनी को अपनी मानते हुए रेगुलराइजेशन के लिए आवेदन किया था, उन पर कार्रवाई कर रेवेन्यू इकट्ठा कर सकती थी लेकिन अब कार्रवाई की पूरी दिशा ही बदल दी गई है। ऐसे में जमीन मालिकों के लिए ही मुसीबत खड़ी होगी क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड में उनका ही नाम है।
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