बठिंडा. एम्स बठिंडा में यूरोलॉजी ओपीडी विभाग में एक नई अत्याधुनिक मशीन लगाई गई है। यह मशीन बिना किसी सर्जरी और एनेस्थीसिया के गुर्दे की पथरी को बाहर निकालती है। यह जर्मनी से आयातित सबसे आधुनिक मशीन है जो पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ और एम्स नई दिल्ली सहित उत्तर भारत में कहीं भी उपलब्ध नहीं है और देश के इस क्षेत्र में गुर्दे की पथरी से पीड़ित रोगियों के लिए वरदान साबित होगी। एम्स में इस मशीन के लगने के बाद मालवा के साथ हरियाणा व राजस्थान के हजारों मरीजों को लाभ मिलेगा। खासकर इस मशीन में सभी तरह के आधुनिक यंत्र होने के कारण मरीजों को अस्पताल में लंबे समय तक दाखिल रहने के झंझट से भी राहत मिलेगी। मशीन का उद्घाटन 26 जनवरी 2021 को दोपहर 12:30 बजे निदेशक एम्स बठिंडा और श्री श्वेत मलिक, एम.पी., राज्य सभा द्वारा किया जाएगा।
किडनी में पथरी से पीड़ित मरीजों को अब ऑपरेशन से डरने की जरूरत नहीं हैं। किडनी से स्टोन निकालने के लिए चीरफाड़ जरूरत नहीं होगी। अब एम्स बठिंडा में किडनी स्टोन बिना चीरफाड़ के निकाली जाएगी।
आईजीएमसी में एक्स्ट्राकापोरियल शॉक वेब लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्लूएल) से किडनी की पथरी का उपचार होगा। इसके लिए एम्स में दो करोड़ की लिथोट्रिप्सी इस्टाल हो चुकी है। इससे इलाज 26 जनवरी के बाद शुरू होगा। अभी तक लिथोट्रिप्सी की सुविधा प्रदेश में नहीं है। ऐसे में या मरीज ऑपरेशन नहीं कराते या प्रदेश से बाहर जाते हैं।
ऑपरेशन से सस्ता होगा इलाज, अभी रेट फिक्स नहीं
दो करोड़ की लिथोट्रिप्सी मशीन 26 जनवरी से काम शुरू करेगी। अभी इसका काम चल रहा है। अभी तक इससे इलाज के रेट डिसाइड नहीं हुए हैं। रेट डिसाइड करने के लिए मीटिंग होगी। अभी किडनी के स्टोन के उपचार के लिए किए जाने वाले आपरेशन पर कम से कम 15 हजार रुपए का खर्च आता है। मरीजों को कम रेट पर ही इस उपचार की सुविधा मुहैया कराएंगे।
क्यों होती है गुर्दे की पथरी
किडनी स्टोन गलत खानपान का नतीजा है। गुर्दे की पथरी होने पर असहनीय दर्द होता है। जब नमक एवं अन्य खनिज (जो मूत्र में मौजूद होते हैं) एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं तब पथरी बनती है। कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत छोटे आकार की होती है तो कुछ मटर के दाने की तरह। पथरी मूत्र से बाहर निकल जाती है, लेकिन जो पथरी बड़ी होती है वह बहुत ही परेशान करती है।
ऐसे काम करती है मशीन
लिथोट्रिप्सीमशीन के ऑपरेटिंग टेबल पर मरीज काे लेटा दिया जाएगा। टेबल पर पेट की सीध में पानी से भरा तकिया लगा दिया जाएगा। ये किडनी के पीछे होगा। इसके बाद शॉक वेब से स्टोन को टारगेट किया जाएगा। पत्थरी को क्रश करने के लिए 1 से 2 हजार शॉक वेब की जरूरत होती है। इस प्रोसिजर के बाद किडनी की पथरी का चूरा पेशाब के साथ बाहर निकलेगा।
मशीन से यह होंगे फायदे : लिथोट्रिप्सीसे सबसे बड़ा फायदा कि ऑपरेशन नहीं होगा। जब ऑपरेशन नहीं होगा तो मरीज और उसके तीमारदार को अस्पताल में ब्लड के लिए भटकना नहीं होगा। इस मशीन से किडनी में मौजूद पथरी को क्रश करने की पूरी प्रक्रिया में 45 से 60 मिनट का समय लगेगा। उपचार के बाद अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अभी ऑपरेशन से होता है इलाज
अभी किडनी के स्टोन से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए चीरफाड व लेजर विधि से सुराख कर उफचार किया जाता है। इसमें मरीज को बेहोश करने की जरूरत पड़ती है व आपरेशन के बाद उसे 24 से 48 घंटे तक अस्पताल में दाखिल होकर डाक्टर की निगरानी में रहना पड़ता है। आपरेशन के बाद 10 से 15 दिन तक उसे बैड रेस्ट भी करना पड़ता है। वर्तमान में नई विधि में मरीज को इससे निजात मिलने वाली है।
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