बठिंडा। बजट सैशन खत्म होते ही एक बारगी फिर शहर में मेयर पद को लेकर चर्चाएं पुन: तेज हो गई हैं। 50 में से 43 वार्डों में प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद कांग्रेस के नेता खुशी से लबालब हैं। सितंबर 2019 में शिअद का हाउस तोड़ने का प्रयास करने वाली कांग्रेस ने जीत के लिए सही वक्त का इंतजार किया तथा विपक्ष को किसी भी तरह की सहानुभूति नहीं मिले, इसके लिए निर्णय को टाल दिया, लेकिन अब जब निगम हाउस पूरी तरह कांग्रेसमयी हो गया है, में टॉप तीन पदों को लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं जिसमें सबसे अव्वल व महत्वपूर्ण मेयर पद है।
शहर में 43 लोगों में मेयर पद पर एक भाग्यशाली पुरुष या औरत भी इसमें शामिल हो सकता है, इसके कयास लग रहे हैं, पर इसका जवाब भविष्य के गर्त में है, लेकिन एक बात तय है कि पद चाहे कोई भी व्यक्ति संभाले, लेकिन निगम के स्टेयरिंग का कंट्रोल बादल परिवार के पास रहेगा, यह पत्थर पर लकीर वाली बात कही जा सकती है।
निगम चुनाव में जिस तरह से बादल परिवार ने कांग्रेस की आवाज को अनसुना कर अपने स्तर पर आजाद होकर टिकटों अलॉट करने के बाद उन्हें चुनाव जिताया है, उससे कांग्रेस में उनके खिलाफ विरोधी स्वर कहीं दबकर रह गए हैं, जोकि हार के बाद बेहद मुखर हो सकते थे। वहीं एक बात तय नजर आ रही है कि शहर में जातीय समीकरण को कांग्रेस जरूर बनाकर रखेगी ताकि 2022 की विधानसभा को जीतना आसान रहे। ऐसे में टॉप तीन पदों पर अलग-अलग जाति वर्ग के लोगों को कांग्रेस लाना चाहेगी।
मेयर पद के दावेदारों में पुरुष व महिलाएं दोनों ही शामिल
निगम हाउस में सबसे सर्वोच्च पद मेयर होता है, ऐसे में इस की लालसा बहुतेरे लोगों के मनों में होगी, लेकिन इस पद के लिए कितने लोग उस स्तर या रैंक पर हैं, यह समझने वाली बात है।बठिंडा मेयर पद के लिए वर्तमान में 8 लोगों को मेयर की कतार में शामिल जा रहा है जिसमें पुरुषों में वार्ड 28 से मास्टर हरमंदर सिंह, वार्ड 30 से बलजिंदर ठेकेदार, वार्ड 37 से अशोक प्रधान व वार्ड 48 से जगरूप गिल शामिल हैं। वहीं महिलाओं में वार्ड 5 से सोनिया बांसल, वार्ड 29 से रीना गुप्ता, वार्ड 31 प्रवीण गर्ग (पवन मानी) तथा वार्ड 35 से रमण गोयल शामिल हैं।
राजनीतिक व जातीय समीकरण देखेगी कांग्रेस
वर्तमान में मेयर पद की रेस में शामिल पुरुषों में सीनियर लोगों में जहां पुराने कांग्रेसी नेताओं में अशोक प्रधान हैं तो जगरूप गिल परिपक्व व विषय एक्सपर्ट माने जाते हैं। वहीं बलजिंदर ठेकेदार के पिता कांग्रेस में पार्षद रहे हैं तथा पिछले काफी समय से वह खुद मनप्रीत बादल ग्रुप में हैं। वहीं हरमंदर मास्टर शिअद में रहे हैं, लेकिन शिअद से बगावत कर उन्होंने बादल परिवार का हाथ थामा था तथा बादल परिवार के निकट व एक्टिव रहे हैं।
वहीं महिलाओं में वार्ड 5 से सोनिया बांसल के पति सुनील बांसल जयजीत जौहल के करीबी हैं। इसी तरह वार्ड 29 से रीना गुप्ता का परिवार पुराना कांग्रेसी है तथा कुछ ही समय पहले पुन: एक्टिव हुए हैं। वार्ड 31 में प्रवीण गर्ग के पति पवन मानी पुराने कांग्रेसी हैं तथा मनप्रीत बादल के काफी करीबी माने जाते हैं। वार्ड 35 की रमण गोयल के पति संदीप गोयल भी बादल परिवार से जुड़े हुए हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस निगम के टॉप तीन पदों को अवार्ड करते समय हर तरह के समीकरण साधने की कोशिश करेगी।
मेयर पद के लिए अशोक प्रधान का नाम पर बाजार गर्म
नगर निगम बठिंडा में चुनाव नीतीजे घोषित हुए 20 दिन बीत चुके हैं वही अभी तक मेयर को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो सका है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब सरकार के बजट सत्न के बाद इस बाबत निकाय विभाग के साथ मुख्यमंत्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह व वित्त मंत्नी मनप्रीत सिंह बादल मिलकर इस महत्वपूर्ण पद को लेकर अंतिम फैसला लेंगे। वर्तमान में कांग्रेस कमेटी आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस पद पर टकसाली कांग्रेसी को मेयर बनाने में प्रथामिकता दे रहे हैं। इसमें सबसे आगे बठिंडा कांग्रेस में पिछले चार दशक से अधिक समय से सिक्र य रहे रजिर्व कैटागिरी से संबंधित पार्षद अशोक कुमार प्रधान का नाम आगे चल रहा है। अशोक के नाम पर बाजार गर्म है। हालांकि उनके मुकाबले में पूर्व पार्षद जगरु प सिंह गिल का नाम भी चल रहा है लेकिन वित्तमंत्नी मनप्रीत सिंह बादल व निगम चुनावों में कमान संभालकर चल रहे वरिष्ठ कांग्रेसी जयजीत सिंह जौहल अशोक कुमार प्रधान के नाम पर मूक सहमत दिखाई दे रही है। मेयर के चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्नी कैप्टन अमरिंदर सिंह भी फैसला लेते हैं तो वह वित्तमंत्नी मनप्रीत सिंह बादल की पसंद व सहमती को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इस स्थिति में अशोक कुमार प्रधान वर्तमान स्थिति में सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। बशर्ते निगम में मेयर की सीट महिला के लिए आरिक्षत ना हो जाए। बताते चलें कि अशोक प्रधान पांच साल शहरी यूथ प्रधान, 10 साल जिला यूथ प्रधान, फिर 10 साल जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान रहे हैं। वह पिछले पांच साल से पंजाब कांग्रेस के महासचिव हैं। करोना काल में अशोक प्रधान ने वित्त मंत्नी मनप्रीत बादल और जयजीत सिंह जौहल जोजो के सहयोग से 15000 परिवारों तक राशन की किटें उपलब्ध कराई थी। अशोक मिलनसार और सेवा भाव वाले लीडर है। वह यस बास की फिलास्फी पर काम करते हैं। अगर नगर निगम में मेयर की सीट महिला के लिए आरिक्षत नहीं होती तो अशोक प्रधान की लाटरी निकल सकती है। उधर, शहर में भी अशोक का मेयर बनाने की मांग बलवती होने लगी है। बहुत से पाषर्द भी अशोक प्रधान को मेयर बनाने के पक्षधर है। उधर, अशोक प्रधान कहते हैं कि उन्होंने 45 साल पार्टी की सेवा की है। उन्हें कभी पद का लालच नहीं रहा। अगर कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई पद दिया जाता है, तो वह ना नहीं करेंगे।
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