-सामाजिक व किसान संगठनों ने धरना लगाने की दी चेतावनी तो अस्पताल प्रबंधन ने किया बकाया बिल माफ
बठिंडा. बठिंडा के मानसा रोड पर स्थित आईवीवाई अस्पताल में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला से आए परिवार में पहले ही कोरोना से दो लोगों की मौत हो चुकी थी व एक व्यक्ति अभी गंभीर हालत में है। अस्पताल प्रबंधन ने कोविड उपचार के लिए करीब 9.50 लाख रुपए का बिल बनाया था जिसमें परिजनों ने 5 लाख 30 हजार रुपए जमा करवा दिए थे व एक लाख रुपए प्लाजमा के अलग से दिए थे। अस्पताल प्रबंधन दाखिल रहे कोविड मरीज की मौत के बाद बकाया राशि जमा करवाने के लिए कह रहा था।
वही परिजनों ने जब घरेलु हालत खराब होने व दो अन्य परिजनों की मौत की बात बताई लेकिन उन्होंने मृतक का शव नहीं देने व मौत का प्रमाणपत्र देने से इंकार कर दिया। इस स्थिति में मामले की जानकारी जब शहर की धार्मिक, सामाजिक व किसान संगठनों को मिली तो उक्त लोगों ने मृतक के पक्ष में अस्पताल के बाहर विरोध जताना शुरू कर दिया। वही अस्पताल प्रबंधन को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मृतक के परिजनों की बकाया राशि माफ नहीं की तो वह अनिश्तकाल के लिए अस्पताल के बाहर धरना लगा देंगे। इसके बाद हरकत में आए अस्पताल प्रबंधन ने बकाया राशि माफ करने व मरीज का शव देने की हामी भर दी। इस दौरान जिला प्रशासन का रवैया काफी नकारात्मक रहा। परिजनों के अनुसार वह जिला सहायता के लिए प्रशासन की तरफ से जारी किए नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश करते रहे लेकिन उनका फोन किसी ने नहीं उठाया।
जानकारी अनुसार मानसा रोड पर स्थित उक्त अस्पताल में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वासी गौरव कुमार शर्मा करीब एक माह पहले कोरोना पोजटिव होने के चलते दाखिल हुए थे। उनके परिवार में पहले पिता व बड़े भाई की गुड़गाव के एक अस्पताल में कोरोना से मौत हुई वही उनकी माता भी कोरोना पोजटिव है। उक्त लोगों ने बताया कि उनके पास जितनी जमा पूंजी थी वह परिजनों के उपचार में खर्च हो चुकी थी वही अब गौरव का बठिंडा में उपचार करवा रहे थे। इस दौरान वह अस्पताल प्रबंधन को करीब पांच लाख 30 हजार रुपए की राशि ट्रीटमेंट व एक लाख रुपए प्लाजमा के जमा करवा चुके हैं। वही मंगलवार की सुबह उन्हें बताया गया कि मरीज की हार्टएटैक से मौत हो गई है व अस्पताल में उनका करीब साढ़े नौ लाख रुपए का बिल बना है जिसे वह जमा करवा दे। इस दौरान परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन को जिला प्रशासन की तरफ से तय रेट के हिसाब से बिल लेने व कुछ राहत देने की बात कही लेकिन उन्होंने उनकी एक बात नहीं सुनी व पैसे दिए बिना शव, रिपोर्ट व मृत्यु प्रमाणपत्र देने से इंकार कर दिया।
मामले में भारतीय किसान यूनियन के साथ शहर की समाज सेवी संस्थाओं ने दखल दिया व आंदोलन की चेतावनी दी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने बकाया बिल माफ कर शव लेकर जाने की अनुमति दी। किसान संगठन भाकियू सिद्धूपुर के हरप्रीत सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के दौर में अस्पतालों के अंदर इंसानियत खत्म हो रही है। इसमें मरीजों का जहां शोषण हो रहा है वही उनके परिजन भी नहीं बच रहे हैं। मरीजों की मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन मरीजों को पैसे देने की मांग कर रहे हैं। बठिंडा में घटित मामले में गौरव शर्मा वासी मथुरा का पूरा परिवार खत्म हो गया अब घर में केवल महिलाएं बची है व परिवार ने अपने गहने बेचकर व जानकारों से कर्ज लेकर मरीजों पर लगाया लेकिन घर का कोई भी मुखी को बचा नहीं सके। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन मजबूरी नहीं समझ रहे हैं व शव देने से इंकारकर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर की सामाजिक, धार्मिक व किसान संगठनों की चेतावनी के बाद अस्पताल ने बकाया बिल नहीं लेने की बात कही है।
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