बठिंडा. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों और उसमें नान प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) घटाने के विरोध में सरकारी डॉक्टरों के अलावा लैब टेक्नीशियन समेत अन्य सेहत कर्मियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मंगलवार को पीसीएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन के आह्वान पर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों, सब डिवीजन अस्पतालों के अलावा अन्य सेवाओं केंद्रों पर ओपीडी समेत अन्य सेहत सेवाएं पूरी तरह बंद कर पंजाब सरकार व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के खिलाफ रोष प्रदर्शन कर अपनी जमकर भड़ास निकाली। सुबह 9 से 12 बजे तक एमरजेंसी के सामने रोष धरना देने के बाद डाक्टरों ने 12 बजे के बाद वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल की अर्थी को स्ट्रेचर में डालकर पूरे अस्पताल परिसर में उसकी शव यात्रा निकाली। इसके बाद सिविल सर्जन दफ्तर के बाहर आकर अर्थी फूंककर जमकर नारेबाजी की। इस दौरान डाक्टरों ने एलान किया कि बुधवार को वित्तमंत्री की फूंकी गई अर्थी के फूल लेकर डीसी दफ्तर तक पैदल रोष मार्च कर रोष प्रदर्शन किया जाएगा। मंगलवार को डाक्टरों की हड़ताल में सिविल सर्जन आफिसर के मिनिस्ट्रियल स्टाफ के सदस्य, पैरा मेडिकल स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, पीसीएएस, वैटरनरी, डैंटल, होम्योपैथी, आयुर्वैदिक, रूरल मेडिकल अफसर और मेडिकल और वैटरनरी कालेजों के टीचर भी शामिल हुए। इसके कारण मंगलवार दूसरे दिन भी जिले के सभी सिविल अस्पताल व सेहत केंद्रों में मेडिकल सेवाएं पूरी तरह ठप रही। वहीं अस्पतालों में पहुंचे मरीजों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ी। पिछले आठ दिनों से लगातार डाक्टरों की हड़ताल चल रही है। जिसका कारण एनपीए में कटौती का विरोध हैं। पीसीएमएस के प्रधान डा. गुरमेल सिंह व महासचिव खुशदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि रोष व्यक्त करने के लिए केवल ओपीडी तथा मेडिको लीगल केस बंद किए गए हैं। कोविड व अन्य आपातकालीन सेवाएं जारी हैं। अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो इमरजेंसी सेवाएं और कोरोना से संबंधित सभी कार्य भी ठप कर दिए जाएंगे। डा. उमेश गुप्ता, डा. रविकांत गुप्ता, डा. सतीश जिंदल ने कहा कि डाक्टरों के एनपीए में कटौती को वापस लेने की जायज मांग है। कोरोना काल के दौरान मरीजों की सेवा करने पर सरकार ने उनका वेतन बढ़ाने के बजाय एनपीए में 5 फ़ीसद कटौती कर दी है, जोकि पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से लागू किए गए 6वें पे कमीशन में एनपीए को 25 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही इसे प्राथमिक वेतन से डि-लिंक किया गया है। डाक्टरों ने एनपीए 33 प्रतिशत करने की मांग की। इस मौके पर डा. धीरज गोयल, डा. सतीश जिंदल, डा. जगरूप सिंह, डा. उमेश गुप्ता, डा. अंजली, डा. अमित कंबोज, डा. गुरजीवन सिंह, डा. हरमीत सिंह, डा. साहिल गर्ग, डा. जोबन, डा. रूपिंदर कौर, डा. पुनीत, एसएमओ डा. मनिंदरपाल सिंह, डा. गुरिंदर कौर, डा. विशेषभर चावला, डा. मनु गुप्ता, डा. प्रिंयका सिंगला, डा. गगनदीप सिंह और डा सर्बजीत सिंह रंधावा आदि उपस्थित थे।
फोटो -अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे सिविल अस्पताल व दूसरे विभागों के सरकारी डाक्टर। फोटो-सुनील
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