बठिंडा (हरिदत्त जोशी)। बठिंडा के नए डिप्टी कमिश्नर (डीसी) की जिम्मेवारी शौकत अहमद को सौंपी गई है। जमीन से जुड़े व काम के प्रति सजग व इमानदार अफसर के तौर पर उनकी पहचान है। पंजाब में सीएम दफ्तर से लेकर जिला प्रशासकीय अफसर के तौर पर विभिन्न जिम्मेवारी निभाने वाले शौकत अहमद किसी पहचान के मोहताज नहीं है। सामान्य परिवार में जन्में शौकत अहमद ने अपनी मेहनत के दम पर देश की सबसे बड़ी प्रशासकीय सेवा यूपीएससी की परीक्षा पास की व आईएएस अफसर बने। उनका जन्म 7 मार्च, 1985 को एक मिडिल क्लास परिवार में जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के वगनूरा ब्लाक के अधीन एक दूर –दूराज के गांव विजार में हुआ। यह गांव श्रीनगर से 50 किलोमीटर दूर है, परन्तु यहां न कोई पक्की सड़क थी, न पीने वाले पानी की सुविधा थी, और बिजली की सप्लाई कभी -कभी आती थी। पिता बशीर अहमद बिजली डिपार्टमैंट में लाईनमैन रहे, शौकत जी की माता जी का नाम राजा बेगम है। बहुत ही कठिन हालातों में शौकत जी ने गांव के स्कूल में 10वीं तक पढ़ाई की, उसके बाद नाउपुरा में अलनूर इस्लामिया माडल स्कूल में 12वीं तक पढे। जो कि उनके घर से 3 किलोमीटर दूर था और प्रतिदिन उन्हें पैदल स्कूल जाना पड़ता था। इसके बाद उन्होंने सीईटी का टैस्ट क्लियर किया और वेटनरी विज्ञान एंड एनिमल हेसबैंडरी पाठ्यक्रम ज्वाइन किया। साल 2008 में उक्त डिग्री कम्पलीट हुई। जहां शौकत अहमद जी ने इसमें टाप किया वही गोल्ड मैडिलिस्ट रहे | परन्तु इसके बाद भी उनके पास रोजगार का कोई मौका नहीं था, फिर इसके बाद सिवल सर्विसज की बिना किसी कोचिंग के तैयारी शुरू की और साल 2009 -10 में पहली कोशिश में ही पूरे देश में से 256वें रैक हासिल किया। उसके बाद पोस्टल सर्विस में असिटैंट चीफ अकाउटेस अफसर के तौर पर जम्मू में काम किया, परन्तु इस सर्विस में शौकत जी खुश नहीं थे और फिर 2013 में दूसरी बार यूपीएससी में 41वां रैक हासिल किया। अपनी मेहनत व लग्न के साथ कठिन परिश्रम के दम पर वह गांव में शौकत डीसी के नाम के साथ मशहूर हो गए। शौकत अहमद चीफ मिनिस्टर के एडीशनल प्रिसीपल सैक्ट्री, एसडीएम संगरूर, सीईओ वक्फ़ बोर्ड चंडीगढ़, एक्साइड व टैक्सटेशन कमिश्नर पटियाला, कमिश्नर म्यूंनिसीपल कार्पोरशन पटियाला, एडीसी डवेलप्मेंट पटियाला के तौर पर बड़े ओहदों में रहते अच्छा काम कर चुके हैं | अब उन्हें बठिंडा के डिप्टी कमिशनर के तौर पर प्रभार दिया गया है। शौकत अहमद जी की खासियत यह है कि वह बहुत ज़्यादा मेहनती इंसान हैं, जो सिर्फ अपनी मेहनत के दम पर एक 2,500 की आबादी वाले छोटे से गांव से आज इतने बड़े ओहदे तक पहुंचे हैं।
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