कपूरथला (राजेश तलवाड़). सिविल अस्पताल कपूरथला के जन औषधि केंद्र में मरीजों को दवा नहीं मिल रही है। कभी कभार कुछ दवाएं मिल जाती है लेकिन अधिकांश जरुरी दवाएं जन ओषधि केंद्रों पर ना मिलने की वजह से मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोर से दवा लेनी पड़ती है। अस्पताल के ज्यादातर डाक्टर भी साल्ट की बजाय ब्रांड लिख रहे है। सिविल अस्पताल व जन औषधि केंद्र का दौरा करने पर देखा कि वहां पर ब्रांड की दवाईयां ज्यादा एवं साल्ट की कम थी। उधर, सूत्रों के अनुसार डाक्टर जन औषधि केंद्र की दवाईयां नहीं लिखते और कहते हैं कि उन दवाईयों में कुछ नहीं होता।सिविल अस्पताल में कहीं भी जन औषधि दवाई के बारे में कहीं कोई सूची दिखाई देती है। पिछले सात सालों से केंद्र सरकार की ओर से भेजी जा रही साल्ट दवाईयां भी स्टोर पर पूरी तरह उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यदि डाक्टर ब्रांड ही लिखेगा, तो अन्य कंपनी की वही साल्ट वाली दवाई कैसे मिलेगी। उधर, सिविल अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को अस्पताल की ओर से मुहैया करवाई गई दवाइयां भी नहीं मिल रही है। मरीजों का कहना है कि डाक्टरों की ओर से लिखी गई अधिकतर दवा उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ता है क्योकि वह जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध ही नही होती। हालाकि सिविल अस्पताल में दो जन औषधि केंद्र है लेकिन मरीजों को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है।गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में हर रोज लगभग 750 मरीज उपचार के लिए आते हैं।अलग-अलग विभाग के ओपीडी में 11 माहिर डाक्टरों की ओर से मरीजों की जांच कर दवाइयां लिखी जाती है। डाक्टरों की ओर से लिखी गई दवा मरीजों को अस्पताल के जन औषधि केंद्र पर नहीं मिलती। सिविल अस्पताल में कुल 125 किस्म की दवाईयां उपलब्ध है। इसके बावजूद भी डाक्टरों की तरफ से लिखी जाती दवाइयां सिविल अस्पताल के अंदर से मिलने की बजाए बाहर से मिलती है। फार्मासिस्ट गुरमुख सिंह ने बताया कि जेनरिक दवाईयां लगभग 250 तरह की उपलब्ध है। जो दवाईयां नहीं है, उसे मरीज बाहर से खरीदते हैं। जिले में दो औषधि केंद्र है, जहां पर डाक्टर की लिखी साल्ट दवाईयां ही दी जाती है।सिविल अस्पताल में इलाज के लिए आई गांव किशन सिंह वाला निवासी महिदर कौर व अवतार सिंह ने बताया कि चेकअप करने के बाद डाक्टर ने पर्ची पर कुल चार दवा लिखी है। इनमें से सिर्फ एक दवा अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर मिली है। उन्हें बांकी दवाइयां निजी मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ा है जिसमें 700 रुपये खर्च हुए हैं।गांव नवा ठट्टा निवासी सुरिदर कौर ने बताया कि वह हार्ट की समस्या के कारण सिविल अस्पताल से इलाज करवा रही है। डाक्टर की तरफ से लिखी गई सभी दवाईयां बाहर से ही लेनी पड़ती है। अस्पताल में दवा नहीं मिलने से उन्हें अधिक पैसे खर्च कर निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदना पड़ता है।फूलेवाल निवासी राम सिंह ने बताया कि वह पेट की बीमारी से पीड़ित है तथा सिविल अस्पताल में उपचार करवा रहा है। डाक्टर की ओर से लिखी गई छह दवाइयों में से सिर्फ तीन दवाईयां ही अस्पताल से मिली है। बाकी दवाइयां बाहर के मेडीकल स्टोर से खरीदनी पड़ी।इस संबंध में एसएमओ डा. संदीप धवन से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि डाक्टर साल्ट लिखते है और जन औषधि केंद्र पर सभी साल्ट की दवाईयां उपलब्ध है। यदि कोई डाक्टर ब्रांड लिखता है तो उसके खिलाफ बनती कारवाई की जाएगी।
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