Thursday, December 24, 2020

बठिंडा नगर निगम हदबंदी को लेकर कोर्ट ने मांगी वार्डवाइज मैपिंग, 4 जनवरी को होगी विस्तार से सुनवाई

 


बठिंडा. नगर निगम बठिंडा की कांग्रेस सरकार के दौरान की गई हदबंदी को लेकर हाईकोर्ट ने शहर की अधिकारिक मैपिंग देने के लिए कहा है। यह दस्तावेज तय करेंगा कि नगर निगम बठिंडा के वार्डों को तोड़कर सही बनाया या फिर राजनीतिक लाभ लेने के लिए इसमें जोड़तोड़ किया गया है। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में नगर निगम क्षेत्र की हदबंदी को लेकर अकाली दल की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है। पहले जहां अदालत ने सुनवाई के लिए तीन माह का समय डाला था वही इस मामले में अब 10 से 5 दिन के बीच में सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट ने पहले सात दिन का समय 15 दिसंबर को दिया था जबकि इसमें अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर का समय रख दिया वही अब कोर्ट में ठंड की छुट्टियों के चलते सुनवाई 4 जनवरी को निर्धारित की गई है। खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम बठिंडा में हदबंदी को नियमों के विपरित किया गया है तो प्रभावित पक्ष इसमें तथ्य लेकर अगली पेशी में आए जिसमें हंदबदी को दर्शाने वाले मैप के साथ वार्डबंदी की स्थिति को बताते मैपिंग को भी पेश किया जाए।

इसमें कोर्ट उठाए गए सवालों पर विचार करेगी। राज्य में सरकार की तरफ से फरवरी माह के पहले सप्ताह में चुनाव करवाने की संभावना के चलते कोर्ट इस मामले में सभी दस्तावेजों व पक्षों के बयान दर्ज कर फैसला लेना चाहता है ताकि पंजाब में दूसरे निगम व काउंसिलों के साथ बठिंडा में भी चुनाव संभव हो सके। वही दोनों पक्षों के वकीलों का तर्क है कि अगर मामले में कोर्ट को लगता है कि केस में अभी अन्य तथ्य व सबूतों की जरूरत है तो सुनवाई लंबी भी चल सकती है व इस स्थिति में नगर निगम चुनाव अन्य निगमों न काउंसिलों के साथ न करवाकर सरकार को केस की सुनवाई पूरी होने के बाद वार्डबंदी को लेकर अदालत के नए निर्देशों की पालना करते अलग से नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा।

स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में

फिलहाल अभी स्पष्ट नहीं है कि बठिंडा नगर निगम के चुनाव दूसरे निगमों के साथ होगे या फिर बाद में। अदालत में याचिका दायर करने वाले अकाली दल का कहना है कि कांग्रेस ने सत्ता का लाभ हासिल कर अपने स्तर पर वार्डों को तोड़कर नए इलाकों को जोड़ दिया है। कांग्रेस ने इस वार्डबंदी में ऐसे वार्डों की तोड़फोड़ की है जहां वह कमजोर थी व वहां अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जनसंख्या, इलाके की स्थिति, पुलिस थाना, जातिगत समीकरण व अन्य जरुरी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। इसमें अब कई वार्ड ऐसे बना दिए हैं जहां सामान्य वर्ग की अधिकता है है पर वह पिछड़े वर्ग के लिए आरंक्षित कर दिया गया है वही बहुल दलित वर्ग वाले इलाकों को तोड़कर दूसरे वार्डों में जोड़ दिया गया। कांग्रेस ने हदबंदी के बाद वाडों कों इस तरह से डिजाइन किया है कि उसे समझना आसान नहीं है वही इससे वहां रह रहे लोगों को भी दिक्कत होगी व जनप्रतिनिधि भी लोगों के काम करवाने में परेशानी का सामना करेगे।

स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई

गौरतलब है कि नगर निगम के चुनाव के लिए स्थानीय निकाय विभाग की ओर से सितंबर में शहर की नई हदबंदी जारी की गई थी। इसको लेकर शिरोमणि अकाली दल के शहरी अध्यक्ष और पूर्व पार्षद एडवोकेट राजबिदर सिंह सिद्धू की रिव्यू पिटीशन पर मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इससे पहले इस केस पर 15 दिसंबर को सुनवाई हुई थी, जिसकी तारीख 22 दिसंबर निर्धारित कर दी गई थी। वही अब 4 जनवरी 2021 को अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले बठिडा के इस केस के अलावा मोहाली के भी डीलिमिटेशन संबंधी केस की सुनवाई की गई। जस्टिस राज कुमार गुप्ता और जस्टिस कर्म सिंह ने सुनवाई की। अदालत की ओर से मोहाली के केस को डिसमिस कर दिया गया था। इस पर स्थानीय निकाय विभाग के सरकारी वकील ने भी बठिडा के केस डिसमिस करने की मांग की लेकिन याचिकाकर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू के वकील केएस डबवाल ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि बठिडा का यह केस मोहाली के केस से बिलकुल अलग है। इसलिए इस पर और बहस की जरूरत है। इस पर बैंच ने इस केस को जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस अशोक के बैंच को भेज दिया। एडवोकेट केएस डडवाल ने बताया कि अब नई बैंच की ओर से इस केस की सुनवाई हो रही है।

राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत

बता दें कि याचिककर्ता राजबिदर सिंह सिद्धू ने बीते दिनों यह रिव्यू पिटीशन दायर करते हुए कहा था कि नई वार्डबंदी पूरी तरह से गलत है। इससे पहले सितंबर में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी एतराज ध्यानपूर्वक सुने जाएं लेकिन निर्देश के बावजूद निकाय विभाग ने उनके एतराजों की सुनवाई नहीं की। वार्डबंदी में अनेक खामियां है। उनके वकील केएस डडवाल का कहना है कि नई वार्डबंदी पंजाब म्यूनिसिपल आर्डिनेंस के क्लाज 95 का उल्लंघन है। नई वार्डबंदी में न तो एकरूपता है और न ही एक-दूसरे से मिलते हैं।
नगर निगम पर काबिज होने को लेकर कांग्रेस की हदबंदी प्लानिंग ने जहां कांग्रेस सहित शिअद व भाजपा को इस स्कीम को समझने के लिए सिर खुजलाने को मजबूर कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों के लिए एक नई मुसीबत पैदा हो गई है तथा वह है वार्डबंदी बदले जाने से पुराने उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर नियमानुसार रोक लग जाना। ऐसे में अब जहां राजनीतिक दल वार्डबंदी को सेट करवाने को पूरे जोर लगा रहे हैं, वहीं इन वार्डों के लिए नए चेहरों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। हालांकि शिअद कांग्रेस द्वारा करवाई गई इस हदबंदी को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है, लेकिन कांग्रेस नेता, जिनके चुनाव लड़ने के सपने पर ब्रेक लग चुकी है, भी अपने सीनियर्स की इस प्लानिंग से बेहद नाराज व निराश हैं, ऐसे में वह भी अपने एतराज देने को इंतजार कर रहे हैं।
नए एरिया बनने से अब नए चेहरों की तलाश
नगर निगम की नई हदबंदी की तैयारियों के बीच जहां शिअद कांग्रेस से इसकी खुलकर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं तथा हदबंदी को लेकर कांग्रेस पर उन्होंने बिना चुनाव ही निगम की कुर्सी संभालने की बात तक कह दी है। हदबंदी में सारे ही वार्डों की सीमाएं बदलने के बाद पुराने उम्मीदवार में अधिकतर वार्डों की संरचना ही बदल गई है तथा दूसरे वार्ड में जनाधार नहीं होने के चलते उनके पास चुनाव लड़ने की कोई आप्शन ही बाकी नहीं बच रही है। यह हाल अकेले शिअद या भाजपा में ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के भी करीब-करीब ऐसे ही हाल हैं। विशेषकर महिला या जाति आरक्षित वार्ड में सभी दलों को उम्मीदवार तलाशने को बेहद माथा-पच्ची करनी पड़ेगी जिसे सभी दलों के नेता स्वीकार करते हैं। महिला कैडर की बात करें तो करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों में महिलाओं को दोयम स्तर का दर्जा हासिल है यानी की किसी भी पार्टी में शहर में एक भी महिला नेता पहली कतार में खड़ी नजर नहीं आती है जिससे गांवों की भांति शहरों में भी पुरुष ही पीछे से सिस्टम को कंट्रोल करेंगे।

कांग्रेस के भीतर नाराजगी, कई विपक्षी उम्मीदवारों में खुशी भी

कांग्रेस ही हदबंदी योजना का पूरा मकसद शिअद को चुनाव से पहले ऐसी बिसात बिछना है ताकि चुनाव से पहले ही उन्हें मात दी जा सके, लेकिन इस टारगेट को हासिल करने को कांग्रेस ने अपने ही घर में कई नेताओं के सपनों को तिलांजलि दे दी है जिससे उनमें निराशा का आलम है, लेकिन दूसरी तरफ शहर में हाल ही में घटित कुछ घटनाक्रमों के बाद कई शिअद नेताओं ने चुनाव से दूर रहने का भी मन बना लिया है तथा वार्डबंदी का ढांचा बदलने से उनके मन की मुराद पूरी हो गई है। हालांकि बाहर वह इस बात को जाहिर करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन किसी तरह का पंगा मोल लेने की बजाए हदबंदी के ऊपर सारा दोष डालना उनके लिए आसान हो गया है।

बठिंडा कोर्ट ने ब्लड बैंक में संक्रमित रक्त चढ़ाने पर टिप्पणी करते कहा कि कर्मियों का काम गंभीर अपराध के साथ अमानवीय, इसलिए नहीं देंगे कोई राहत


 

बठिंडा. ब्लड बैंक में जुलाई से नवंबर के मध्य थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एड्स संक्रमित खून चढ़ाने के मामले में कानूनी कारर्वाई का सामना कर रहे दो कर्मचारियों की तरफ से पिछले दिनों जिला अदालत में जमानत याचिका दायर की थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसमें पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा ने जहां गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन किया था वही पुलिस की तरफ से पिछले दिनों एक अन्य पूर्व कर्मी रुचि गोयल के खिलाफ केस दर्ज किया था व उक्त कर्मी ने अग्रीम जमानत के लिए एडीशनल सेशन जज के पास अर्जी दाखिल की थी।

इसमें कोर्ट की तरफ से दोनों की अर्जी पर विचार करते टिप्पणी की कि आप लोगों ने अमानवीय काम किया जिसमें लापरवाही की हद करते पहले से थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी पोजटिव बनाने की कोशिश की जो गहन अपराध की श्रेणी में आता है व इसमें वह जमानत नहीं दे सकते हैं। इसके बाद अब दोनों आरोपियों के पास जमानत के लिए ऊपरी अदालत में जाने का विकल्प ही बचा है। गौरतलब है कि सिविल अस्पताल में एक महिला व चार बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का काम वहां स्थित ब्लड बैक में किया गया।

इस दौरान दोनों आरोपी बैंक में तैनात थे जबकि उक्त लोगों के साथ एक अन्य कर्मी को भी मामले में आरोपी ठहराते सेहत विभाग के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने पहली जांच में निलंबित कर दिया था। इसमें तीसरे आरोपी पर अभी पुलिस की तरफ से किसी तरह की कारर्वाई नहीं की गई है। वही अक्तूबर व नवंबर माह में फिर से तीन बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले सामने आए थे जिसमें  जांच के बाद सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बठिंडा ब्लड बैंक में कार्यरत चार कांट्रेक्ट लैब टेक्नीशियनों को जांच के बाद दोषी पाए जाने पर नौकरी से डिसमिस कर दिया था। सेहत विभाग की अक्टूबर माह के बाद यह दूसरी बड़ी कार्रवाई थी जबकि 3 अक्टूबर के केस में जहां एक एमएलटी बलदेव रोमाणा जेल में है तो कांट्रेक्ट पर बीटीओ डा. करिश्मा व एलटी रिचा गोयल को सस्पेंड किया जा चुका है। इसमें रिचा गोयल पर पिछले माह बाल सुरक्षा आयोग की सख्ती के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था। उक्त मामले में 8 से 12 साल के मध्य बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाया गया जिसकी ब्लड बैंक में जांच नहीं हुई थी।


लगातार एचआईवी संक्रमित खून लगने के पीछे साजिश होने की आशंका के बाद विजिलेंस जांच

बठिंडा के सरकारी सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से एक महिला के अलावा तीन थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी पॉजिटिव डोनरों का बिना जांच खून चढ़ने के मामले में जहां सेहत विभाग चार एलटी को डिसमिस करने की कार्रवाई कर चुका है, वहीं लगातार ब्लड बैंक में ही इस तरह की घटनाएं घटित होने को संयोग नहीं माना जा सकता तथा इसी बात ने सेहत विभाग को बुरी तरह उलझा दिया है। रक्त की जांच नहीं होना तथा उनके थैलेसीमिया मरीजों को चढ़ने के अलावा अन्य कई केस, जिनका अभी रिकार्ड सेहत विभाग को मालूम नहीं है, को लेकर आशंकित सेहत विभाग इसकी विजिलेंस जांच करवा रहा है ताकि इस मामले की तह तक पहुंचा जा सके। इसमें विजिलेंस विभाग की तरफ से ब्लड बैंक का रिकार्ड व अब तक हुई जांच की पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है लेकिन इसमें अभी किसी के बयान दर्ज नहीं किए जा सके हैं। अक्टूबर 2020 में पहले केस के सामने आने तथा लोकल टीम द्वारा की गई जांच में ब्लड बैंक के सारे स्टाफ का रोल शक के दायरे में आने तथा अपना काम ईमानदारी से पूरा नहीं करने के चलते ब्लड बैंक के सभी लोकल कर्मियों का नाम सामने आने के बाद भले ही एक्शन हो गया हो, लेकिन सेहत विभाग एक के बाद एक एचआईवी संक्रमित केसों के सामने आने के बाद इसे सामान्य नहीं मान रहा है। सेहत विभाग की मानें तो एक ही ब्लड बैंक से इतने एचआईवी संक्रमण के केस नहीं हो सकते तथा इसमें किसी तरह की शरारत हो सकती है, इसलिए विभाग भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता, क्योंकि टीम के होते हुए भी संक्रमित खून अगर ब्लड बैंक में पहुंच सकता है तो विभाग इसकी गंभीरता को समझ रहा है। विजिलेंस इंक्वायरी के माध्यम से सेहत विभाग इस मामले में छिपे तथ्यों को सामने लाकर संक्रमण फैलने व फैलाने वालों पर लगाम कसना चाहता है।

पंजाब के गुरदासपुर में फिर घुसे पा‍क ड्रोन, बीएसएफ जवानों ने सीमा पार से आए दो ड्रोन पर की फायरिंग


 

पंजाब के गुरदासपुर जिले में भारत-पााकिस्‍तान बार्डर पर बीती रात दो पाकस्‍तानी ड्रोन घुस आए। इसके बाद बीएसएफ के जवानों ने उन पर फायरिंग की। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। इससे पहले भी बार्डर क्षेत्र में पाकिस्‍तान ड्रोन दिख चुके हैं।

कलानौर (गुरदासपुर)। पंजाब के गुरदासपुर में एक बार फिर पाकिस्‍तानी ड्रोन घुस आया। जिले के कलानौर क्षेत्र में भारत-पाक सरहद पर देर रात दाे ड्रोन घुस आए। एक ड्रोन रोसा बार्डर निगरानी पोस्‍ट (BOP)  पर दिखाई दिया और दूसरा ड्राेन चंदू वडाला बीओपी के पास पाकिस्‍तान की ओर से घुसा। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों ने दोनों पाकिस्तानी ड्रोन पर फायरिंग की। इसके बाद से पूरे क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया जा रहा है।


बता दें कि गुरदासपुर के बार्डर क्षेत्र में 19 दिसंबर को भी पाकिस्‍तान की ओर से ड्रोन घुसा था। इस पर बीएसएफ के जवानों ने फा‍यरिंग की थी और इसके बाद ड्रोन से हथियार और हेरोइन के पैकेट गिरे थे। तलाशी अभियान में क्षेत्र से पांच किलो हेरोइन और 11 ग्रेनेड मिले थे। बाद में एक एके-47 राइफल, 30 कारतूस और मैगजीन बरामद की गई।


इसके बाद बीत रात कलानौर क्षेत्र में पाकिस्‍तान की ओर से दो ड्रोन घुस आए। प्राप्त जानकारी अनुसार, बीएसएफ के रोसा बीओपी के पास दर रात करीब 12.35 बजे एक पाकिस्‍तानी ड्रोन दिखाई दिख। इसके बाद बीएसएफ के जवानों ने उस पर फायरिंग की। जवानों की फायरिंग के बाद यह ड्रोन पाकिस्‍तान की ओर भाग गया।

इसके बाद रात करीब  1.07 बजे चंदू वडाला बीओपी पर एक और पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया। यहां भी बीएसएफ जवानों ने ड्रोन पर गोलियां चलाईं और ड्रोन वापस पाकिस्तान की ओर  भाग गया। बीएसएफ के डीआइजी का कहना है कि दोनों जगह पर ड्रोन करीब दो मिनट के  लिए दिखे। बीएसएफ के जवानों ने उन पर फायरिंग की। बताया जाता है कि उक्त दोनों पोस्ट के पास कुछ दिन पहले भी पाकिस्तानी ड्राेन देखे गए थे और बीएसएफ जवानों ने गोलियां चलाकर उनको भगा दिया था।

 

मोगा में कार्रवाई : खाद्य आपूर्ति विभाग से माल ढोने का टेंंडर लेते समय ठेकेदार ने ट्रकों की बजाय दे दी स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट

 


  • रिपोर्ट तैयार कर चंड़ीगढ़ विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को भेजने पर हुई कार्रवाई, जांच में आरोप साबित होने पर केस दर्ज, आरोपी फरार

    मोगा। खाद्य आपूर्ति विभाग की ओर से गेहूं व धान की फसल की लिफ्टिंग के लिए टेंडर अलाट करते समय ठेकेदार द्वारा जालसाजी करने का मामला सामने आया है। टेंडर भरने वाले ठेकेदार को टेंडरों के साथ-साथ ट्रकों के आरसी की कापी साथ लगाने के लिए विभाग द्वारा कहा गया था। ऐसे में ठेकेदार ने ट्रकों के नंबरों की जगह स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट दे दी थी।

    विभाग को मामले की भनक लगते ही ठेकेदार का टेंडर रद करके दूसरे ठेकेदार को दे दिया गया था। साथ ही आरोपी के खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई करने के लिए एसएसपी को सिफारिश की गई थी। इसके चलते पुलिस ने ठेकेदार के खिलाफ केस दर्ज किया है।

    जालसाजी... टेंडर लेने के समय लगाए दस्तावेज फर्जी निकले, आरोपी की तलाश में पुलिस कर रही रेड

    डीएसपी (डी) जंगजीत सिंह ने बताया कि खाद्य आपूर्ति विभाग के जिला कंट्रोलर ने 15 मार्च 2020 को एसएसपी को दी लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि फरीदकोट निवासी संदीप कपूर ने साल 2019-20 के लिए जिला मोगा का टेंडर लेने के लिए गेहूं व धान की लिफ्टिंग व अन्य सरकारी सामान ढोने के लिए टेंडर लगाया था। लेकिन सरकारी नियमों के अनुसार ठेकेदार द्वारा टेंडर के साथ ट्रकों की आरसी व नंबरों की लिस्ट मांगी थी, जबकि संदीप कपूर ने सरकारी नियमों के साथ टेंडर व जो ट्रक माल ढोने के लिए इस्तेमाल होने थे, उनके दस्तावेज साथ लगा दिए थे।

    इसके चलते संदीप कपूर को टेंडर अलाट हो गया था। बाद में विभाग को जानकारी मिली कि संदीप ने जो दस्तावेज टेंडर लेने समय लगाए थे, वह फर्जी है। इस पर विभाग द्वारा गुप्त ढंग से जांच करने के बाद पता चला कि ट्रकों के नंबरों के स्थान पर स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों व बसों के नंबरों की लिस्ट दी गई थी। इसके बाद रिपोर्ट तैयार करके चंड़ीगढ़ विभाग के प्रिंसीपल सेक्रेटरी केईपी सिन्हा को भेजी गई थी। इसके बाद

    संदीप कपूर का टेंडर रद करके अन्य ठेकेदार राम सरूप को अलाट कर दिया गया। बाद में सीनियर अधिकारियों के आदेश पर एसएसपी को शिकायत देते हुए ठेकेदार संदीप कपूर के खिलाफ बनती कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी। एसएसपी ने मामले की जांच डीएसपी (डी) जंगजीत सिंह को सौंप दी थी। जांच अधिकारी द्वारा सात महीने की लंबी जांच के बाद संदीप कपूर निवासी फरीदकोट के खिलाफ धारा 420 व 177 के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस आरोपी की तलाश में रेड कर रही है। लेकिन आरोपी फरार है।


बठिंडा में पीएनजी गैस:आठ महीने में शहर के हर घर तक पहुंचेगी गैस पाइपलाइन

 



ट्रायल सफल रहने के बाद अब शहर के 1500 घरों में इस्तेमाल हो रही पीएनजी गैस

    बठिंडा के निवासियों को जल्द ही गैस सिलेंडर की परेशानी से छुटकारा मिलेगा। न ही सिलेंडर की बुकिंग और न ही सप्लाई के लिए इंतजार करना होगा। शहर के अधिकांश इलाकों के लिए सर्वे मुकम्मल हो चुका है, नगर निगम से गैस पाइपलाइन डालने का मंजूरी लेकर काम जोर-शोर से चल रहा है जिससे उम्मीद


    है कि आगामी 8 महीने तक शहर के तमाम इलाकों में हरेक घर तक गैस पाइपलाइन उपलब्ध होगी। फिलहाल शहर के 1500 से ज्यादा घरों को गैस पाइपलाइन का लाभ मिल रहा है। गेल इंडिया लिमिटेड की ओर से गैस पाइपलाइन सेवा शुरू कर दी गई है।

    सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट के तहत बठिंडा में काम कर रही जीएसपीएल (गुजरात स्टेट पेट्रो नेट लिमिटेड) की शहर के एक चौथाई हिस्से में गैस पाइप लाइन बिछा दी गई जबकि लोगों की मांग पर गैस कनेक्शन भी दिए जा रहे हैं। नगर निगम की हिदायतों के अनुसार जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिव राडार सिस्टम) का काम शुरू किया गया है, जिसके साथ देखा जा रहा है कि कहां पर सीवरेज की लाइन है और कहां पर पानी की लाइन। आदर्श नगर से शुरू हुए प्रोजेक्ट के तहत शहर में प्रवेश करते हुए माता जीवी नगर, हजूरा कपूरा कॉलोनी, बैंक कॉलोनी, सुच्चा सिंह नगर, बल्लाराम नगर, गुरु गोबिंद सिंह नगर, माहेश्वरी कॉलोनी, माॅडल टाउन फेज 1 के अलावा नई बसी कॉलोनी ग्रीन सिटी, मॉडल टाउन फेज 4-5 व पार्क पनोरमा में भी गैस पाइप लाइन बिछा दी गई है।

    वहीं पश्चिम दिशा की ओर से मुल्तानिया पुल डीडी मित्तल टावर तक पाइप लाइन बिछाई गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी कवायद शुरू हो गई है, गोनियाना की तरफ भी पाइप लाइन बिछाने का काम जोरों पर है। हरेक छोटी-बड़ी गली में पाइप लाइन बिछाने के साथ ही घरों में गैस कनेक्शन का प्रावधान रखा जा रहा है, डिमांड के साथ ही घर की रसोई में कनेक्शन दिया जाएगा।

    रुपये 25 प्रति मीटर क्यूब के हिसाब से चुकाना होगा बिल

    उपभोक्ता को पाइपलाइन से घर में दी जाने वाली नेचुरल गैस में ट्रांसपोर्टेशन तथा फिलिंग का काम खत्म होने के बाद सिलेंडर में लिक्विड पैट्रोलियम गैस (एलपीजी) के मुकाबले पाइप्ड नेचुरल गैस लगभग 20 प्रतिशत यानी लगभग 200 रुपए तक सस्ती पड़ेगी। पाइपलाइन पर लगाए मीटर से खपत की रीडिंग के आधार पर 25 रुपये प्रति मीटर क्यूब के हिसाब से मासिक बिल उपभोक्ता को चुकाना होगा और सिलेंडर में गैस कम होने की शिकायत नहीं रहेगी। सबसे बड़ी राहत यह है कि गैस खत्म होने का झंझट नहीं रहेगा, जितना प्रयोग किया, बिल जमा किया जाएगा। वहीं सिलेंडर से अधिक सुरक्षा पीएनजी में हैं। सिलेंडर फटने पर अधिक नुकसान होता है। पीएनजी में आग लगने की संभावना न के बराबर है। रेग्युलेटर से अधिक सुरक्षित वाल्व सिलेंडर में गैस प्रवाह को रोकने के लिए रेग्युलेटर का प्रयोग होता है। जबकि पीएनजी गैस पाइपलाइन में सुरक्षा के लिए तीन वाल्व लगे हैं, जहां से बंद किया जा सकता है।

    सीएनजी स्टेशन से हो रही गैस की सप्लाई

    पेट्रोलियम व नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड ने गुजरात स्टेट पेट्रो नेट लिमिटेड (जीएसपीएल) को पाइपलाइन बिछाने का जिम्मा सौंपा है। पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) सप्लाई करने के लिए केंद्र सरकार के सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन प्रोजेक्ट के तहत रेडक्रास से मेन रोड पर 1 लाख 80 हजार रुपए प्रति वर्ष लीज पर ली गई जगह पर सीएनजी स्टेशन स्थापित किया गया है। सीएनजी स्टेशन से पाइपलाइन के जरिए गैस की सप्लाई दी जा रही है।

लुधियाना-फौज में भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा:रिटायर अफसरों की मोहरें लगा बनाए जाॅइनिंग लेटर, पूर्व कैप्टन समेत 9 से रुपये 34 लाख ठगे


 

लुधियाना। फौज में भर्ती के नाम फर्जीवाड़े का एक और मामला सामने आया है। इसमें आर्मी से रिटायर्ड जवानों ने गैंग बनाकर रिटायर कैप्टन समेत 9 लोगों से 34 लाख की ठगी मार डाली। शातिर ठगों ने आर्मी के ही अधिकारियों की फर्जी मोहरें बनाकर जाॅइनिंग लेटर तक जारी कर दिए, लेकिन नौकरी की बजाय लोगों को मिला धोखा। थाना सदर रायकोट की पुलिस ने गांव बरमी निवासी सुखदीप सिंह, अवध बिहारी उपाध्याय और बनारस निवासी मनी भूषण पांडे के खिलाफ धोखाधड़ी का पर्चा दर्ज किया है। फिलहाल आरोपियों की तलाश में रेड जारी है। पुलिस को दिए बयान में विसाखा सिंह ने बताया कि वो आर्मी से कैप्टन रिटायर हैं।

उनका एक बेटा है। गांव में एक चाय की दुकान पर आरोपी सुखदीप आया करता था, जोकि पास के ही गांव का है। उसने कहा कि वो बीएसएफ से रिटायर है, लेकिन उसकी वहां अच्छी-खासी पहचान है। अगर किसी को एमईएस (मिल्ट्री इंजीनियर सर्विस) में नौकरी पर लगाना हो तो उसके लिए मिनटों का खेल है। तभी वहीं होशियार सिंह आया जोकि उसी गांव का है।

उसने कहा कि सुखदीप ने उनके बेटा-बेटी को भी भर्ती करवाने का काम करवा दिया है। उसने जाॅइनिंग लेटर भी दिखा दिया। इससे विसाखा को यकीन हो गया। आरोपी ने कहा कि उसका एक साथी अवध बिहारी उपाध्याय है। इसके जरिए वो सारा काम करता है, वो भी बीएसएफ से रिटायर है। इतना बताने के बाद आरोपी ने सभी से 3.50 लाख रुपए कुछ-कुछ दिनों के गैप के बाद लेने लगा। कुछ कैश अवध और मनी भूषण के

अकाउंट में डलवाने लगा। इस तरह से करीब 9 लोगों को आरोपियों ने अपने झांसे में ले लिया। पैसे लेने के एक महीने बाद भी किसी को भी जाॅब नहीं मिली। थाना सदर रायकोट के जांच अधिकारी सईद शकील ने बताया कि आरोपियों के घरों पर रेड की थी, लेकिन वो सभी फरार हैं और उनके नंबर भी बंद आ रहे हैं, लेकिन उन्हें काबू कर लिया जाएगा।

एक-एक से लिए भर्ती के नाम पर 3.50 लाख, फिर 4 बार नासिक ले जाकर होटलों में भी कराया खर्च

आरोपी 2018 में 9 पीड़ितों के बच्चों के अलावा कुछ अन्य को भी ट्रेन से नासिक ले गया। इस दौरान ट्रेन की टिकट का खर्च उनसे लिया। फिर उन्हें होटल में ठहरा दिया, जहां उन्हें एक हफ्ते रखा और कहा कि अभी काम नहीं हो पाएगा। फिर उन्हें भेज दिया। इसी तरह से दो बार और आरोपी उन्हें नासिक ले गया, जहां एक फर्जी लिस्ट निकलवा दिखाई कि अभी लिस्ट में नाम नहीं आया। अगली बार जरूर होगा। अंत में चौथी बार कैप्टन विसाखा सिंह बच्चों के साथ खुद गया। जहां उसने कहा कि अधिकारी एक हफ्ते की छुट्टी पर हैं, लेकिन विसाखा को शक हुआ, वो वहां अधिकारियों के आॅफिस में पहुंच गए और उन्हें सारी बात बता जाॅइनिंग लेटर दिखाया। इसे देखने के बाद उक्त अधिकारी ने कहा कि ये फर्जी है। जिस अफसर की लेटर पर मोहरें लगी हैं, अफसर रिटायर हो चुके हैं। उन्होंने गांव लौट पुलिस को शिकायत दी। फिर आरोपी सभी के पैसे लौटाने की बात कहने लगा और समझौता हो गया, लेकिन 2 साल तक न पैसे दिए और न ही जाॅब लगवाई।

लाखों की ठगी मामले के साथ लिंक कर रही पुलिस

लाखों की ठगी मामले के साथ लिंक कर रही पुलिस छह माह पहले लाडोवाल में भी आर्मी से निकाले हुए प्रदीप सिंह उर्फ स्वर्ण सिंह ने 100 से ज्यादा लोगों से भर्ती के नाम पर करोड़ों की ठगी मारी थी। फिलहाल रायकोट व लुधियाना दोनों की पुलिस आरोपी का लिंक भी चेक कर रही है कि कहीं उसका इन आरोपियों से कोई लिंक तो नहीं। फिलहाल आरोपी जेल में बंद है।


Wednesday, December 23, 2020

दिल्ली के कोटला स्टेडियम में जेटली की मूर्ति पर विवाद, बेदी ने DDCA से दिया इस्तीफा, स्टैंड्स से नाम हटाने की मांग


 

नई दिल्ली. फिरोजशाह कोटला मैदान पर डीडीसीए के दिवंगत अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा लगाने के फैसले से खफा महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने क्रिकेट संघ से उनका नाम दर्शक दीर्घा से हटाने के लिए कहा है। उनके नाम पर दीर्घा 2017 में बनाई गई थी। इसके विरोध में डीडीसीए से भी इस्तीफा भी दे दिया है। एक टीवी चैनल से बातचीत में बेदी ने कहा कि मेरे जमीर ने जो कहा, मैंने कर दिया। एक क्रिकेट ग्राउंड में एक नेता का बुत बनाना शोभा नहीं देता है। यह बात मेरे जेहन में उतर नहीं रही है। मैंने उन्हें बुत लगाने से रोक नहीं रहा हूं। मेरा कहना है कि मेरा नाम बस वहां से हटा दीजिए।


दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) पर बरसते हुए बेदी ने भाई भतीजावाद और ‘क्रिकेटरों से ऊपर प्रशासकों को रखने’ का आरोप लगाते हुए संघ की सदस्यता भी छोड़ दी। उन्होंने डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष और अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली को लिखे पत्र में कहा , ‘मैं काफी सहनशील इंसान हूं लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा है । डीडीसीए ने मेरे सब्र की परीक्षा ली है और मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिये मजबूर किया।’

बेदी ने कहा ,‘तो अध्यक्ष महोदय मैं आपसे मेरा नाम उस स्टैंड से हटाने का अनुरोध कर रहा हूं जो मेरे नाम पर है और यह तुरंत प्रभाव से किया जाए। मैं डीडीसीए की सदस्यता भी छोड़ रहा हूं।’

जेटली 1999 से 2013 के बीच 14 साल तक डीडीसीए अध्यक्ष रहे। क्रिकेट संघ उनकी याद में कोटला पर छह फुट की प्रतिमा लगाने की सोच रहा है। डीडीसीए ने 2017 में मोहिंदर अमरनाथ और बेदी के नाम पर स्टैंड्स का नामकरण किया था। बेदी ने कहा, ‘मैने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है। मैं सम्मान का अपमान करने इवालों में से नहीं हूं। लेकिन हमें पता है कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए सम्मान वापस कर रहा हूं कि जिन मूल्यों के साथ मैने क्रिकेट खेली है, वे मेरे संन्यास लेने के चार दशक बाद भी जस के तस हैं।’


उन्होंने कहा कि वह कभी जेटली की कार्यशैली के मुरीद नहीं रहे और हमेशा उन फैसलों का विरोध किया जो उन्हें सही नहीं लगे। उन्होंने कहा,‘ डीडीसीए का कामकाज चलाने के लिए जिस तरह से वह लोगों को चुनते थे, उसे लेकर मेरा ऐतराज सभी को पता है। मैं एक बार उनके घर पर हुई एक बैठक से बाहर निकल आया था क्योंकि वह बदतमीजी कर रहे एक शख्स को बाहर का रास्ता नहीं दिखा सके थे।’

बेदी ने कहा, ‘मैं इस मामले में बहुत सख्त हूं। शायद काफी पुराने ख्याल का। लेकिन मैं भारतीय क्रिकेटर होने पर इतना फख्र रखता हूं कि चापलूसों से भरे अरुण जेटली के दरबार में हाजिरी लगाना जरूरी नहीं समझता था।’ उन्होंने कहा,‘फिरोजशाह कोटला मैदान का नाम आनन फानन में दिवंगत अरुण जेटली के नाम पर रख दिया गया जो गलत था लेकिन मुझे लगा कि कभी तो सदबुद्धि आएगी। लेकिन मैं गलत था। अब मैने सुना कि कोटला पर अरुण जेटली की मूर्ति लगा रहे हैं। मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।’

उन्होंने कहा कि दिवंगत जेटली मूल रूप से नेता थे और संसद को उनकी यादों को संजोना चाहिए। उन्होंने कहा,‘ नाकामी का जश्न स्मृति चिन्हों और पुतलों से नहीं मनाते। उन्हें भूल जाना होता है।’

बेदी ने कहा, ‘आपके आसपास घिरे लोग आपको नहीं बताएंगे कि लॉडर्स पर डब्ल्यू जी ग्रेस, ओवल पर सर जैक हॉब्स, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सर डॉन ब्रेडमैन, बारबाडोस में सर गैरी सोबर्स और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर शेन वॉर्न की प्रतिमाएं लगी हैं।' उन्होंने कहा,‘खेल के मैदान पर खेलों से जुड़े रोल मॉडल रहने चाहिए। प्रशासकों की जगह शीशे के उनके केबिन में ही है। डीडीसीए यह वैश्विक संस्कृति को नहीं समझता तो मैं इससे परे रहना ही ठीक समझता हूं। मैं ऐसे स्टेडियम का हिस्सा नहीं रहना चाहता जिसकी प्राथमिकताएं ही गलत हो। जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों से ऊपर रखा जाता हो। कृपया मेरा नाम तुरंत प्रभाव से हटा दें।’

ग्रीन सिटी सुसाइड मामला:अब लुधियाना रेंज के आईजी नौनिहाल सिंह करेंगे दविंदर गर्ग केस की जांच

 


  • आरोपी मनजिंदर सिंह हैप्पी, अशोक कुमार व प्रवीण को मिली जमानत
  • कांग्रेसी नेता संजय जिंदल बॉबी की गिरफ्तारी पर 21 जनवरी तक रोक

    बठिंडा। 22 अक्तूबर को ग्रीन सिटी 2 कालोनी में हुए कारोबारी दविंदर गर्ग फैमिली सुसाइड केस की जांच डीजीपी पंजाब ने लुधियाना रेंज के आईजी आईपीएस नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। डीजीपी पंजाब ने मामले में आईजी रेंज को पत्र जारी कर इस केस की कानून अनुसार तथ्यों के आधार पर जांच करने के बाद रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए हैं। इस हाई प्रोफाइल केस की जांच दूसरे जिले के किसी सीनियर अधिकारी से

    करवाने के लिए मृतक दविंदर गर्ग के भाई मुद्दई अश्वनी कुमार के वकील शिंदरपाल सिंह बराड़ ने डीजीपी को शिकायत भेजी थी। उक्त शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीजीपी पंजाब ने 22 दिसंबर को उक्त मामले की पूरी तथ्यों के आधार पर जांच करने के लिए आईजी रेंज लुधियाना नौनिहाल सिंह को सौंप दी है। इस मामले में एसएसपी बठिंडा भूपिंदरजीत सिंह विर्क को भी पत्र लिखकर निर्देश जारी किए गए कि उक्त केस से

    संबंधित रिकार्ड आईजी लुधियाना रेंज को जल्द भेजा जाए।सुसाइड नोट में 9 पर प्रताड़ित करने का था आरोप : 22 अक्तूबर, 2020 को दविंदर गर्ग ने अपनी पत्नी, 14 साल के बेटे व 10 साल की बेटी के सिर में गोली मारने के बाद खुद भी खुदकुशी कर ली थी। दविंदर गर्ग ने सुसाइड नोट में 9 आरोपियों मनजिंदर सिंह धालीवाल, राजू कोहेनूर, अमन कोहेनूर, बब्बू कालड़ा, संजय जिंदल बॉबी, अशोक कुमार रामा मंडी, प्रवीन बंसल, अभिषेक जोहरी दिल्ली व मनी बंसल पर उसे टार्चर करने का आरोप लगाया था। अपने सुसाइड नोट में दविंदर गर्ग ने प्रत्येक आरोपी का नाम और मोबाइल नंबर लिखकर उनके द्वारा की गई प्रताड़ना के बारे में लिखने के अलावा किसी को भी माफ नहीं करने की बात कही थी। इस मामले में उक्त सभी आरोपियों के खिलाफ खुदकुशी के लिए मजबूर करने के तहत थाना कैंट में केस दर्ज किया गया था।

    क्या था पूरा मामला

    ग्रीन सिटी निवासी व ट्रेडिंग व्यापारी दविंदर गर्ग की तरफ से अपनी पत्नी व बच्चो की गोली मारकर खुद भी आत्महत्या करने के 24 घंटे के भीतर पुलिस ने एक यूथ कांग्रेसी नेता समेत चार आरोपित जिसमें बठिंडा निवासी मनजिंदर सिंह धालीवाल, प्रवीन बांसल, मनी बासंल व रामा मंडी निवासी अशोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मृतक दविंदर के बिजनेस पार्टनर व आरोपित बठिंडा राजू कोहनूर उर्फ जादूगर, उसका भाई बब्बू कालड़ा, पत्नी अमन काहूनर, कांग्रेसी नेता संजय जिंदल उर्फ बाबी के अलावा सेंट्रल दिल्ली निवासी अभिषेक जोहरी की गिरफ्तारी होनी अभी बाकी है। यह सभी आरोपित अभी फरार है, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की विभिन्न टीमें उनके ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पुलिस का दावा है कि बाकी आरोपित भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

    गौर होकि थाना कैंट पुलिस ने मृतक दविंदर गर्ग के सुसाइड नोट के आधार पर इन नाै आरोपितों के खिलाफ आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया था, जबकि मृतक दविंदर पर अपनी पत्नी व बच्चों की गोली मारकर हत्या करने का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने घटना के बाद ही सुसाइड नोट में लिखे गए नामाें के आधार पर पुलिस ने आरोपित लोगों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। वहीं कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की गई थी। इसके आधार पर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर चार आराेपितों को गिरफ्तार करने में सफल हो सकी। उधर, शुक्रवार दोपहर बाद चारों शवाें का पोस्टमार्टम करवाने के बाद स्थानीय दाना मंडी वाले रामबाग में एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मृतक के बड़े भाई अश्वनी गर्ग ने चारों को मुख्यअग्नि दी। वहीं राजनीति पार्टियों के नेताओं के अलावा शहर के व्यापारी वर्ग ने रामबाग पहुंचकर परिवार के साथ शोक व्यक्त किया, वहीं पूरे परिवार को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

    बिजनेस पार्टनर की तरफ से धोखा दिए जाने से अहाता था मृतक दविंदर

    कैंट पुलिस को बयान देकर मृतक के बड़े भाई व पंचवटी नगर निवासी अश्वनी गर्ग ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उसके भाई दविंदर गर्ग ने आरोपित राजू कोहनूर उर्फ जादूगर के साथ मिलकर करिपटो करंसी बिट क्वाइंन में पार्टनर के तौर पर काम शुरू किया था। इस बिजनेस में और भी लोग हिस्सेदार थे, लेकिन उसका भाई पूर्व छह माह से मानसिक तौर पर काफी परेशान था, चूकिं लाकडाउन के कारण बिट क्वाइंन कंपनी के रेट कम हाे गए थे। आरोपित राजू,उसके भाई बब्बू व पत्नी अमन ने कंपनी में लगाया अपने हिस्से का पैसा निकालकर अपने पास रख लिया, जबकि जो पैसा लोगों का देना था वह दविंदर गर्ग पर डाल दिया। यह राशि कराेड़ों में थी, जिसके चलते कुछ पैसा तो दविंदर ने किसी तरह दे दिया, लेकिन कई लोग उसे पैसे वापस करने के लगातार दबाव बना रहे थे। वहीं उसे लगातार धमकियां भी दे रहे थे, जिसके कारण उसका भाई मानसिक तौर पर परेशान था।

    इसी दौरान मनजिंदर सिंह धालीवाल उर्फ हैप्पी, प्रवीण बांसल, संजय जिंदल उर्फ बाबी, मनी बांसल बठिंडा, अशोक कुमार, अभिषेक जौहरी भी उसके भाई को पैसा जल्दी देने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। वही ऐसा नहीं करने पर उसे राजनीतिक डालकर बर्बाद करने व पुलिस के पास केस दर्ज करवाने की धमकियां देना शुरू कर दी। उक्त लोग राजू से मिलकर उसे सत्तापक्ष में पहचान होने व उसके खिलाफ कानूनी करने की लगातार धमकियां दे रहे थे, जबकि उनके पैसे आरोपित राजू, उसका भाई बब्बू कालड़ा व महिला आरोपित अमन अपने हिस्से में ले चुके थे। बिजनेस पार्टनर की तरफ से दिए गए धोखे से आहात व लेनदारों की तरफ से बार-बार पैसे मांगने से परेशान दविंदर गर्ग ने बीती वीरवार की दोपहर अपने ग्रीन सिटी स्थित किराये की कोठी में पहले पत्नी मीना गर्ग, बेटा अरूष गर्ग, बेटी मुस्कान गर्ग को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया व बाद में स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मरने से पहले आठ पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसके आधार पर पुलिस ने एक महिला समेत 9 लोगों पर थाना कैंट में मामला दर्ज किया था।

किसान आंदोलन का 28वां दिन :सरकार से बातचीत के न्योते पर किसानों में 48 घंटे बाद भी सहमति नहीं, आज फिर मीटिंग करेंगे





 नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 28वां दिन है। सरकार ने बातचीत के न्योते की जो चिट्ठी रविवार रात भेजी थी, उस पर किसान बीते 2 दिन में फैसला नहीं ले पाए। मंगलवार को कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के किसान नेताओं की मीटिंग हुई, इसके बाद कहा गया कि संयुक्त मोर्चा के सदस्य बुधवार को तय करेंगे कि सरकार से बात करनी है या नहीं।

राजनाथ बोले- किसानों के लिए सरकार संवेदनशील
आज किसान दिवस है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों को शुभकामनाएं दी हैं। राजनाथ ने कहा कि किसान देश को खाद्य सुरक्षा देते हैं। कुछ किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता से बात कर रही है। उम्मीद है कि वे जल्द आंदोलन खत्म करेंगे।

अपडेट्स

  • किसानों के समर्थन में कांग्रेस आज उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के दफ्तरों और घरों का घेराव करेगी। कांग्रेस कार्यकर्ता ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन करेंगे।
  • कांग्रेस ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति से दखल की मांग की है। पार्टी का कहना है कि 2 करोड़ किसानों के साइन वाला ज्ञापन राहुल गांधी के नेतृत्व में 24 दिसंबर को राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।

ब्रिटिश PM को भारत आने से रोकने की अपील करेंगे किसान
किसान नेता कुलवंत संधू ने कहा कि हम ब्रिटेन के सांसदों को लिख रहे हैं कि जब तक केंद्र सरकार किसानों की बात नहीं मानती, तब तक PM बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकें। दूसरी तरफ किसानों की भूख हड़ताल भी जारी है। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर जहां-जहां प्रदर्शन चल रहा है, वहां रोज 11 किसान 24 घंटे के उपवास पर बैठ रहे हैं।

सरकार का दावा- UP के किसान नेता हमारे साथ
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा, 'उत्तर प्रदेश के कुछ किसान नेता मुझसे मिले। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कानूनों में बदलाव नहीं होने चाहिए।'

8 माह में बठिंडा जिला प्रशासन को कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए मिले तीन करोड़ 6 लाख से अधिक


 

-सर्वाधिक 1 करोड़ 53 लाख 5 हजार 250 रूपये सिविल सर्जन बठिंडा दफ्तर  ने सेहत प्रबंधन पर तो 40 लाख रु पए नगर निगम ने लोगों को राशन वितरण करने में खर्च करे
 

बठिंडा. मार्च माह में कोरोना वायरस ने जिले में दस्तक दी तो जिला प्रशासन ने आपात तैयारियां शुरू की। इस दौरान कोरोना वायरस से संक्रिमत लोगों के लिए कोरनटाइन सेंटर बनाने से लेकर उनके खानपान की व्यवस्था करना, मृतक व्यक्तियों के संस्कार करना व टेस्टिंग के साथ दवाईयों का इंतजाम किया गया। इस काम के लिए प्रशासन 

को जहां सरकार की तरफ से अनुदान मिला वही सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने भी खुलकर सहयोग दिया। इसमें सरकार की तरफ से तीन करोड़ 6 लाख रु पए की आर्थिक सहायता दी गई जिसमें सर्वाधिक राशि प्रशासन ने सेहत विभाग को जारी की जिसमें सिविल सर्जन, बठिंडा ने एक करोड़ 53 लाख पांच हजार 250 रु पए खर्च किए। यह राशि एकांतवास सेंटरों/ कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तु देने के साथ मशीनरी की खरीद परोख्त पर लगाए गए। वही दूसरी नंबर पर राशि खर्च करने में नगर निगम बठिंडा आगे रहा जिसने 40 लाख रु पए की राशि विभिन्न वार्डों में जरु रतमंदों को सूखा व बना हुआ खाना देने में खर्च किया गया। यह राशि उक्त राशन से अलग है जो सामाजिक संस्थाओं व लोगों ने नगर निगम को दान के तौर पर दिया था। इसमें प्रशासन ने रेडक्र ास सोसायटी के अलावा जिले में विभिन्न मंडलों के एसडीएम व एडीसी विकास को भी राशि का आबांटन किया। जिले में कोरोना के पीक काल में एक दिन में कोविड सेंटरों में 500 से एक हजार लोग दाखिल रहते थे। इन सभी लोगों को पहले चरण में जिला प्रशासन की तरफ से जहां खानपान दिया गया वही उनकी केयर व रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद प्रशासन ने सेंटरों में दाखिल लोगों की देखभाल का जिम्मा सामाजिक संस्थाओं को सौंप दिया था लेकिन इसमें प्रबंधन व्यवस्था के लिए संस्थाओं को आर्थिक सहयोग भी दिया गया।

 

पांच चरणों में किया गया फंड का आबांटन

 

फिलहाल आर.टी.आई. में मिली सूचना के अनुसार सरकार की तरफ से पांच चरणों में फंडों का आबांटन किया गया। इसमें 23 मार्च 2020 को 1,00,00,000 रूपये, 11 मई को 7,10,937 रूपये, 15 मई को 21,32,813 रूपये, 19 जून को फिर से 1,00,00,000 रूपये और 13अगस्त को 77,82,500 रूपये प्रशासन को जारी किया। इस तरह से राज्य सरकार ने आपातकालिन फंड में से तीन करोड छह लाख 26 हज़ार 250 रूपये जारी किए। इसमें 23 मार्च 2020 को मिले एक करोड रु पयों में से  कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा दफ्तर को लगभग 40 लाख रु पए का गरीब लोगों को राशन उपलब्ध करवाया गया। वही  सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा द्वारा लगभग 10 लाख रु पयों की राशि कोविड केयर सेंटरों में बैडिंग मटेरियल, अवेर्नेस कैम्पेन, स्प्रे पम्पस के ऊपर खर्च की गई।

 

विभिन्न मंडलों व सिविल सर्जन के मार्फत मिली राशि खर्च हुई

इसमें उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा द्वारा लगभग 13,70,607 रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किए गए प्रयासों और एकांतवास सेंटरों व कोविड केयर सेंटरों में खाना और अन्य जरु री वस्तुयों के लिये खर्च किए,  उप मंडल मिजस्ट्रेट रामपुरा फूल की तरफ से लगभग 30,800 रूपये एकांतवास सेंटरों में रखे व्यक्तियों के लिए राशन, खानपान, साजो समान पर खर्च किए गए। उप मंडल मिजस्ट्रेट तलवंडी साबो की तरफ से लगभग 1,31,900  रूपये एकांतवास सेंटरों में राशन,खाना, साजो समान पर, उप मंडल मिजस्ट्रेट मौड की तरफ लगभग 62,000 रूपए एकांतवास सेंटरों में 10 कूलर उपलब्ध करवाए गए। अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा की तरफ से लगभग 5 लाख रूपये एकांतवास सेंटरों में ठहराये गये व्यक्तियों के लिए राशन, खाना व अन्य साजो समान पर खर्च किए गए। इसी तरह बी.एंड.आर., पी.डब्ल्यू.डी. बठिंडा के एक्सीईन की तरफ से लगभग 5,04,943 रूपये कोविड-19 के दौरान कंटोनमेंट जोन/ माईक्र ो कंटोनमेंट जोन और अन्य अलग-अलग स्थानों पर की गई बैरीकेडिंग पर खर्च किए गए। सिविल सर्जन बठिंडा द्वारा लगभग 23 लाख 99 हजार 750 रूपए कोविड केयर सेंटरों और आईसोलेशन फेसिलटी  के लिए रखे गये वलंटीयर्ज को मान भत्ता और अन्य खर्चे और पी.ओ.एल. में खर्च किए गए हैं। इस तरह से एक करोड़ की राशि पहले चरण में खर्च कर दी गई। इसी तरह 11 मई को मिले सात लाख दस हज़ार 937 रु पयों में से  7,10,937 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए।

 

कोरोना काल में जिले में फंसे प्रवासी लोगों को घर भेजने पर भी हुई राशि खर्च

 

वही 15 मई 2020 को मिले इक्कीस लाख बत्तीस हज़ार 813 रु पयों में से 17,19, 168 रूपये करोना वायरस के कारण लॉकडाउन की स्थिति में पंजाब में फंसे लोगों को अपने पैतृक राज्य में रेल से भेजने के लिये किये जरु री प्रबंध करने सम्बन्धी खर्च हुए। इसमें करीब 4,13,645 रूपये शेष बचे हैं। 19 जून को मिले एक करोड रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 60 लाख रु पयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, प्रिंटर, अन्या खर्चे और पी.ओ.एल. और बायोमेडिकल के खर्चे आदि पर खर्च की गई। एसडीएम बठिंडा को 25 लाख रु पयों की राशि दी गई वही 10 लाख रूपयों की राशि एकांतवास सेंटरों में खाने, पैकिंग मैटेरियल, एन.आर.आईज को लेकर आने, फायर सेफ्टी रिपेयर और करोना के कारण मरे व्यक्तियों के संस्कार आदि पर खर्च की गई। लगभग 14,82,186/- रु पयों की राशि कोविड-19 के बचाव के लिये किये गये यत्नों और एकांतवास सेंटरों में खाना और अन्य वस्तु उपलब्ध करवाने के लिए खर्च की गई। उप मंडल मिजस्ट्रेट बठिंडा के पास लगभग 57,814 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास  15 लाख रूपये बचे हुए है। 13 अगस्त को मिले 77,82,500 रु पयों में से  सिविल सर्जन, बठिंडा को फिर से 69,05,500 रु पयों की राशि जारी की गई। सिविल सर्जन, बठिंडा की तरफ से 57,64, 269 रूपयों की राशि वलंटीयर्ज की सैलरी, वाशिंग मशीन, अन्य खर्चे और पी.ओ.एल., बायोमेडिकल के खर्चे और लैब टेस्ट आदि पर खर्च की गई और सिविल सर्जन, बठिंडा के पास लगभग 11,41,221 रूपयों की राशि मौजूद है। वही प्रशासन के पास इस मद में 8,77,000 रूपये बकाया है जो खर्च नहीं हुए है।

 

आरटीआई एिक्टविस्ट व ग्राहक जागो मंच के सचिव संजीव गोयल ने बताया कि प्रशासन की तरफ से मांगी गई जानकारी में करीब एक करोड़ 27 लाख 80 हजार के करीब खर्च हुआ।इस तरह से कोरोना काल में सिविल सर्जन, बठिंडा  ने 1,53,05,250 रूपये, एसडीएम बठिंडा ने 38,70,607 रूपये, कमिश्नर, नगर निगम, बठिंडा ने 40,00,000 रूपये, सचिव रेड क्र ॉस बठिंडा ने 10,00,000 रूपये, बी.एंड आर., पी.डब्ल्यू.डी., बठिंडा ने 5,04,943 रूपये, अतिरिक्त उपायुक्त (विकास) बठिंडा 5,00,000 रूपए, लोगों को पैतृक राज्य में रेल से भेजने के प्रबंधों पर 24,30,105 रूपये खर्च किए गए है।

 

 

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