Sunday, January 3, 2021

56.58 लाख लागत से तैयार नई मोर्चरी उद्घाटन से पहले ही होने लगी जर्जर, घटिया समाग्री लगाने से बैठने लगा फर्श

 


-दो माह पहले ही तैयार की गई थी इमारत, मंत्री का समय मिलने के इंतजार में नहीं हो रहा था उद्घाटन 

बठिंडा. सेहत विभाग की तरफ से 56.58 लाख रुपए खर्च कर सिविल अस्पताल में नई मोर्चरी को बने अभी दो माह का समय भी नहीं हुआ था कि इसकी इमारत जर्जर होना शुरू हो गई है। घटिया समाग्री का इस्तेमाल कर बनाई गई इमारत का फर्श नीचे बैठने लगा है लगी पत्थर भी टूटने लगा है। तीन करोड़ से अधिक की लागत से सिविल अस्पताल के नवीनीकरण की योजना एक साल पहले शुरू की गई ती व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने तीस साल से लंबित योजना को शुरू करवाया था। हालांकि अस्पताल में 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है लेकिन इमारतों को बनाने के लिए लगाया गया मेट्रियल घटिया लगाने की शिकायत लंबे समय से की जा रही थी। मामले मं तत्कालीन सिविल सर्जन व अधिकारियों ने शिकायतों को नजरअंदाज करके रखा जिसका खामियजा अब देखने को मिल रही है। इससे पहले करीब एक दशक पहले भी सिविल अस्पताल में नए वार्डों का निर्माण किया गयाथा जो घटिया समाग्री के कारण कुछ माह में खस्ता खालत में चले गए। इसमें वार्ड में लगी टाइले अब टूटकर गायब हो चुकी है तो छत्तों में रेता व बजरी गिरना शुरू हो गया था। यही स्थिति अब फिर से पैदा होने की आशंका जताई जा रही है।

ठेकेदार की तरफ से नई मोर्चरी का निर्माण कर सेहत विभाग के अधिकारियों को हैंडओवर कर दी है, लेकिन विभाग के अधिकारी अभी इसे शुरू करवाने की योजना बना रहे थे कि इमारत का फर्श जिसमें पत्थर लगाया गया था लेबल सही नहीं होने व घटिया सामान के कारण टूटना शुरू हो गया है। फर्श डालने से पहले प्रयाप्त मात्रा में लेबल बनाने के लिए बजरी नहीं डाली गई जिससे जमीन नीचे की तरफ धसनी शुरू हो गई व लगाए फर्श के पत्थर डगमगाने लगे हैं व थोड़ा से दबाव पड़ते ही टूटने लगे हैं। फिलहाल अस्पताल के डाक्टर पुरानी मोर्चरी में लाशों को पोस्टमार्टम कर रहे है, जबकि इमारत पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुकी है, जोकि कभी किसी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। शायद अस्पताल प्रबंधक उसी हादसे का इंतजार कर रहे है।वर्तमान में सिविल अस्पताल की पुरानी मोर्चरी को बने हुए तीस साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। मोर्चरी की इमारत की हालत पूरी तरह खस्ता हो चुकी है। लंबे समय से रिपेयर नहीं होने के कारण मोर्चरी अंदर से ही नहीं बल्कि बाहर से भी पूरी तरह से असुरक्षित है और दीवारें गिरने की कगार पर है और डाक्टरों को भी पोस्टमार्टम करने में परेशानी होती हैं। करीब तीन साल स्थानीय अधिकारियों ने पुरानी मोर्चरी को तोड़कर नई इमारत बन चुकी है। सेहत विभाग की ओर से करीब मार्चरी के लिए नए फ्रिजर भेजे दिए गए, जिनकी कीमत लाखों में है। परंतु मार्चरी की खस्ताहालत की ओर सेहत विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा।

फिलहाल सेहत विभाग के अधिकारी नई मर्चरी में तबदील होने के बारे में अभी सोच रहे थे कि इमारत में खस्ता साजों सामान को लेकर उठे विवाद के बाद योजना फिर से अधर में लटग गई है। सेहत विभाग नई बनी सभी इमारतों का उद्घाटन एक ही समय में करवाने को प्राथमिकता दे रहा है जिसके लिए वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल व सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से समय मिलने का इंतजार कर रहे हैं जबकि पूरे अस्पताल का काम पूरा होने में अभी दो माह तक का समय लगेगा जिसके चलते नई मर्चरी में काम करने में समय लग सकता है।


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