चंडीगढ़. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि काननों (Farm Laws) का किसान 50 से अधिक दिनों से विरोध कर रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या पंजाब (Punjab) के किसानों की है. उनकी मांग है कि सरकार न कृषि कानूनों को वापस ले. लेकिन दूसरी ओर बीजेपी (BJP) इन कानूनों को किसान हितैषी बताती है. उसका यह भी दावा है कि बड़ी संख्या में किसान इन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं. ऐसे में इन सबके बीच पंजाब में फरवरी में स्थानीय निकाय चुनाव (Punjab Local Body Elections) होने हैं. कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल पहले ही बीजेपी से नाता तोड़ चुका है. ऐसे में अब बीजेपी इन चुनाव में सभी सीटों पर पहली बार अकेले चुनाव लड़ेगी. बीजेपी का कहना है कि वह इन चुनाव में किसानों को कृषि कानूनों के फायदे भी बताएगी.
इससे पहले बीजेपी हमेशा अपने गठबंधन के दल रहे शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती थी. उस लिहाज से उसे 20 फीसदी ही सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिलती थीं. पंजाब में 13 फरवरी को 8 नगर निगम और 109 नगर परिषद व नगर पंचायत की सीटों पर चुनाव होने हैं. इसमें बीजेपी पहली बार सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बाबत पंजाब बीजेपी के प्रभारी दुष्यंत गौतम का कहना है कि पंजाब के किसानों में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर कोई नाराजगी नहीं है. वे इन्हें लेकर खुश हैं. कांग्रेस और अन्य दल मिलकर किसानों के बीच भ्रम फैला रहे हैं.ये दल किसानों को बरगला रहे हैं. गौतम का कहना है कि किसानों को यह मालूम है कि ये कानून उनके हित में हैं. इससे उनकी आय भी बढ़ेगी. इसलिए पंजाब के किसान बीजेपी को वोट देंगे.
दुष्यंत गौतम का कहना है कि बीजेपी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान किसानों को कृषि कानूनों के फायदे बताएगी. पंजाब में एक और अहम मुद्दा बीजेपी के लिए नशामुक्ति भी रहेगा. यह भी जानकारी सामने आ रही है कि बीजेपी इन चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. इन चुनाव में प्रचार के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री भी पंजाब जाएंगे.
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