-एक सरकारी व एक प्राइवेट ब्लड बैंक में सरकारी रेट पर मिल सकेगा एमरजेंसी में रक्त, सिविल अस्पताल में भी रखा जाएगा स्टाक
सिविल अस्पताल ब्लड बैंक का लाइसेंस सेस्पेंड होने के बाद मरीजों को खरीदना पड़ रहा था बाहर से मंहगा खून
बठिडा. सिविल अस्पताल बठिडा स्थित ब्लड बैंक का तीन दिन पहले पंजाब ड्रग कंट्रोल आथार्टी की तरफ से लाइसेंस 14 दिनों के लिए सेस्पेंड करने के बाद आम मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसमें सर्वाधिक परेशानी थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों, गर्भवती महिलाओं व हादसों में घायल मरीजों को उठानी पड़ रही थी। वही प्रतिदिन होने वाले आपरेशन के दौरान भी मरीजों को प्राइवेट ब्लड बैंकों से रक्त मोटी राशि देकर लाना पड़ रहा था। इन तमाम परेशानियों को हल करवाने के लिए अब गत दिवस नए सिविल सर्जन डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों ने ब्लड बैंक बंद होने से पेश आ रही परेशानियों पर बैठक कर इसका सार्थक हल निकालने के लिए अधिकारियों को हिदायतें दी। इसके तहत तय हुआ कि मरीजों को एमरजेंसी ब्लड उपलब्ध करवाने के लिए रामपुरा फूल स्थित सरकारी ब्लड बैंक और शहर में स्थित गोयल ब्लड बैंक से सहयोग लिया जाएगा। इस बाबत ओटी डिपार्टमेंट, जच्चा बच्चा अस्पताल और थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों का उपचार कर रहे डाक्टरों की टीम व एमरजेंसी देख रही डाक्टरों व स्टाफ की टीम को कहा गया कि वह प्रतिदिन अस्पताल में ब्लड हासिल करने वाले मरीजों का अपडेट देंगे व उनके लिए उक्त दोनों अस्पतालों से एडवांस में ही ब्लड मंगवाकर सिविल अस्पताल में मरीजों को चढ़ाया जाएगा। वही एमरजेंसी में सिविल अस्पताल की एबुलेंस व टीम इन अस्पतालों से रक्त हासिल कर सकेंगी। फिलहाल सिविल सर्जन की तरफ से की गई व्यवस्था से मरीजों व उनके परिजनों को राहत मिली है। इस दौरान उक्त ब्लड बैंकों में एमरजेंसी रक्तदान भी किया जा सकेगा ताकि इन दोनों सेंटरों में ब्लड की कमी न आए। फिलहाल इन दो ब्लड बैंकों में मरीजों को सरकारी फीस पर ही ब्लड उपलब्ध होगा जबकि दो दिन से मरीजों को प्राइवेट ब्लड बैंकों से 1200 रुपए से 1500 रुपए का भुगतान कर ब्लड लाना पड़ रहा था वही एमरजेंसी खासकर हादसों में मरीजों को समय पर खून नहीं मिल पा रहा था जिससे उनकी जान आफत में पड़ी हुई थी। गौरतलब है कि सर्दियों में धुंध व कोहरे के दौरान सर्वाधिक सड़क हादसे होते हैं व इसमें अधिकतर मरीज ऐसे होते हैं जिनकी हालत गंभीर होती है व उन्हें बिना किसी देरी के रक्त की जरूरत पड़ती है। फिलहाल सेहत विभाग की तरफ से विकल्पिक व्यवस्था करने से जहां दर्जनों लोगों की जान बचाई जा सकेगी वही थेलेसीमिया पीड़ित, गर्भवती महिलाओं व ओटी के मरीजों को भी समय पर रक्त मिल सकेगा।
गौरतलब है कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ाने के करीब तीन माह बाद उठे विवाद के बाद पंजाब ड्रग कंट्रोल अथार्टी ने सिविल अस्पताल प्रशासन को नोटिस निकालकर ब्लड बैंक में की गई लापरवाही को लेकर जबावतलब किया था। इसमें संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने व व्याप्त कमियों में किसी तरह का सुधार नहीं करने पर सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैक का लाइसेंस 14 दिनों तक सेस्पेंड करने का आदेश दिया गया था। मामले का प्रदेश कानूनी सेवाएं अथारिटी द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद सेहत विभाग के ड्रग्स अथारिटी ने 14 दिन के लिए बठिडा के ब्लड बैंक का लाइसेंस सस्पेंड किया है।
अब 14 दिनों में ब्लड बैंक से सिर्फ ब्लड जारी ही किया जा सकेगा। किसी का भी ब्लड लिया नहीं जा सकेगा। इस समय बठिडा के ब्लड बैंक में सिर्फ 10-15 ही यूनिट ब्लड ही बाकी हैं। ऐसे में थैलेसीमिया के अलावा इमरजेंसी वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
35 से ज्यादा यूनिट हर रोज जारी होता था रक्त
बठिडा में कुल 80 थैलेसीमिया के मरीज हैं। इनमें से 40 मरीज प्राइवेट अस्पतालों से तो बाकी के 40 मरीज बठिडा के सिविल अस्पताल से इलाज करा रहे हैं। ऐसे में इन 40 मरीजों के अलावा इमरजेंसी वाले केसों के लिए बठिडा के ब्लड बैंक से हर रोज 35 से ज्यादा ब्लड यूनिट जारी किये जाते थे। अब हर रोज 35 से ज्यादा मरीजों व उनके वारिसों को परेशानी झेलनी पड़ रही थी।
महंगे दाम में लेना पड़ रहा था ब्लड
बठिडा के सिविल अस्पताल स्थित ब्लड बैंक से खून न मिलने के कारण लोगों को प्राइवेट ब्लड बैंकों से खून लेना पड़ रहा था। सरकारी ब्लड बैंक में सिर्फ तीन सौ रुपये ही एक यूनिट की फीस ली जाती थी जबकि प्राइवेट ब्लड बैंक वाले इसका 1200 रुपये लेते हैं। ऐसे में प्रत्येक यूनिट के पीछे मरीजों को तीन गुना ज्यादा पैसे देने पड़ रहे थे।
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खूनदानियों के शहर में ब्लड बैंक का लाइसेंस रद
बठिडा को खूनदानियों का जिला माना जाता है क्योंकि बठिडा की युनाइटेड वेलफेयर सोसायटी,शहीद जरनैल सिंह वेलफेयर सोसायटी,आसरा वेलफेयर सोसायटी,नौजवान वेलफेयर सोसायटी,साथी वैलफेयर सोसायटी,आस वेलफेयर सोसायटी के अलावा बहुत सी ऐसी संस्थाएं हैं जो खूनदान में काम करती हैं। इसके अलावा लोग स्वेच्छा से भी खूनदान करते हैं। बठिडा को खूनदान करने में प्रदेश भर में से पहला स्थान भी कई बार मिल चुका है। अब ब्लड बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण ब्लड बैंक का लाइसेंस रद हो जाने से खूनदानियों को बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है।
बठिडा में चार मरीजों को चढ़ा दिया था एचआइवी संक्रमित खून
बठिडा के सिविल अस्पताल में अक्टूबर और नवंबर माह में थैलेसीमिया पीड़ित चार बच्चों सहित कुल पांच लोगों को एचआइवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया था।
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