चंडीगढ़। कांग्रेस व अकाली दल केंद्रीय कृषि कानूनों को किसान विरोधी कहते हुए इनका विरोध तो कर रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि पंजाब में जो कांट्रैक्ट फार्मिग एक्ट बना है उसमें तो किसान को सख्त सजा तक का प्रविधान है। संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री मंत्री नरेंद्र तोमर ने इन्हीं प्रविधानों के कारण पंजाब के कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को लेकर कृषि कानूनों के कांग्रेस के विरोध पर सवाल उठाए हैं। हकीकत यही है कि अगर पंजाब के कांट्रैक्ट एक्ट की तुलना केंद्रीय कानून से की जाए तो कांग्रेस व अकाली दल का विरोध बेजा है।
पंजाब के कानून में किसान को हो सकती है जेल व पांच लाख जुर्माना, केंद्र के कानून में किसान को सजा नहीं
तत्कालीन प्रकाश सिंह बादल सरकार ने 2013 में पंजाब फार्मिंग कांट्रैक्ट एक्ट पारित किया था। इस एक्ट के तहत करार करने वाली कंपनी या किसान में से कोई भी कांट्रैक्ट को तोड़ता है तो एक महीने की कैद की सजा हो सकती है। व्यापारी के लिए एक महीने की सजा के साथ एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों का प्रविधान है। इस जुर्माने की राशि दस लाख रुपये तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसान कांट्रैक्ट तोड़ता है तो उसे भी न्यूनतम पांच हजार रुपये जुर्माना होगा जिसे पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। दूसरी ओर, केंद्र के कृषि कानून में किसान को सजा का का प्रविधान नहीं है।
अकाली सरकार ने बनाया, कांग्रेस सरकार ने भी नहीं किया उसे रद
दूसरी ओर पंजाब की कांग्रेस सरकार ने केंद्र के कृषि कानून के विरोध में तो विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर दिया लेकिन पहले से पंजाब में बने इस कानून को रद करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। इससे भी उसका दोहरा रवैया ही सामने आता है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ से जब पूछा गया कि अगर केंद्र के कृषि कानूनों का कांग्रेस विरोध कर रही है तो क्या पंजाब में आपकी सरकार कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को रद करेगी तो उन्होंने कहा कि इस कानून के नियम ही पूर्व सरकार ने बनाए नहीं हैं, इसलिए यह एक्ट बना तो जरूर लेकिन लागू नहीं है। हमने तो तब भी इसका विरोध किया था जब अकाली-भाजपा सरकार ने इसे पारित करवाया था। उन्होंने कहा कि तोमर को यह भी स्पष्ट करना चाहिए था कि पंजाब में भी उनकी पार्टी की सरकार ने ही यह कानून बनाया था।
उधर शिरोमणि अकाली दल के नेता व पूर्व मंत्री डॉ दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि हमने जो एक्ट बनाया था उस पर एक भी किसान संगठन ने विरोध नहीं जताया था। अगर केंद्र सरकार के कानून इतने ही अच्छे हैं तो देश भर के किसान उनका विरोध क्यों कर रहे हैं और पंजाब का किसान ही इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहा है। वह कहते हैं कि हमारे एक्ट में जेल का प्रविधान है तो पिछले आठ साल में वह एक भी केस बता सकते हैं जहां किसान को जेल हुई हो?
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