बठिंडा। बठिंडा जिले में अप्रैल माह में ही लेवल 2 व लेवल 3 के मरीजों की संख्या में 50 फीसदी से अधिक का इजाफा होने से जहां दवाओं की शार्टेज सामने आ रही है,वहीं अब मेडिकल ऑक्सीजन के उपलब्धता पर भी संकट के बादल साफ मंडरा रहे हैं, जिसका सबूत वीरवार को डीसी बी. श्रीनिवासन द्वारा सिविल अस्पताल व ऑक्सीजन सप्लायर से की मीटिंग है, जिसमें उनसे पूरा ब्यौरा लिया। बठिंडा में लेवल 2 के जहां 283 मरीज हैं, वहीं लेवल 3 के 85 मरीजों को पल-पल ऑक्सीजन जरूरी है।
बठिंडा में सामान्यता 5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत के मुकाबले यह अब बढ़कर 9 मीट्रिक टन से अधिक हो गई है। ऐसे में बठिंडा में रोजाना 700 से अधिक ऑक्सीजन के छोटे बड़े सिलेंडरों की खपत होने लगी है। शहर में चार रिफिलिंग प्लांट में लिक्विड ऑक्सीजन की हिमाचल व हरियाणा से सप्लाई 25 फीसदी रह गई है तथा वह भी रोजाना शहर को नहीं मिल पा रही है।
ठिंडा में कोरोना का प्रभाव नजर आने लगा है जिसका कारण लेवल 2 व लेवल 3 के मरीजों की संख्या का बढ़ना है। जहां लेवल 2 के बठिंडा के अस्पतालों में 283 मरीज दाखिल हैं, वहीं लेवल 3 के मरीज भी बढ़कर 85 हो गए हैं। ऐसे में इन मरीजों के लिए निरंतर 24 घंटे मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई जरूरी बनी हुई है।
बठिंडा में सामान्यता 5 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत के मुकाबले यह अब बढ़कर 9 मीट्रिक टन तक जा पहुंची है। ऐसे में बठिंडा में 25 प्राइवेट कोरोना अस्पतालों सहित छोटे ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत 400 से अधिक हो चुकी है जिसमें सिविल अस्पताल में रोजाना लग रहे 40 ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल नहीं हैं। वहीं अन्य प्राइवेट व छोटे ऑक्सीजन सिलेंडरों को मिलाकर यह खपत 700 पार है।
240 मीट्रिक टन प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता वाले उत्तर भारत के सबसे बड़े ऑक्सीजन वाले पानीपत में बने एयर लिक्विड प्लांट में 30 घंटे से ज्यादा की वेटिंग चल रही है। हरियाणा की आपूर्ति तो कंपनी अपने टैंकर से भी कर रही है। पंजाब के मोगा, मानसा और बठिंडा के टैंकर ऑक्सीजन के लिए दो दिन से इंतजार कर रहे हैं। वीरवार को रिफाइनरी के पास स्थित प्लांट के बाहर 13 टैंकर खड़े थे। इसमें दिल्ली के 2, पंजाब के 2, गाजियाबाद के एक और 8 टैंकर हरियाणा के हैं।
हिसार के सबसे अधिक 4 टैंकर खड़े हैं। कोई 30 घंटे से खड़ा है तो कोई 5 घंटे से। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब का क्रमश: 7 : 4 : 1 का अनुपात है। मतलब 12 टैंकर में एक टैंकर पंजाब को मिलेगा। वहीं, सेहत मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसी भी राज्य का टैंकर नहीं रोका जाएगा। हालांकि, दिल्ली को प्राथमिकता दी जाएगी क्याेंकि वहां कोविड-19 से हालात काफी खराब हैं।
मोहाली-मोगा वाले कर रहे दो दिन से इंतजार
पंजाब से ऑक्सीजन लेने आए राजीव और मिथुन ने कहा कि वे 21 अप्रैल की सुबह 10:30 बजे प्लांट पहुंच गए थे। पहुंचते ही पर्ची गेट पर दे दी। तब से इंतजार करने के लिए कह दिया गया। 22 अप्रैल दोपहर 2 बजे तक भी पता नहीं चल पाया कि उन्हें ऑक्सीजन कब मिलेगी।
सूबे में ऑक्सीजन की स्थिति नियंत्रण में, प्लांटों की व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश जारी किए
चंडीगढ़ अमृतसर के गुरुनानक अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने के मामले को छोड़ दें तो पंजाब में कहीं भी ऑक्सीजन की कमी नहीं है। हालांकि पटियाला, अमृतसर, जालंधर समेत कई जिलों में ऑक्सीजन की मांग में 2 गुना बढ़ोतरी होने से उपलब्ध स्टॉक 3 दिन का जरूर रह गया है परन्तु सरकार के मुताबिक अभी भी स्थिति नियंत्रण में हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार ने महाराष्ट्र में ऑक्सीजन लीक मामले के बाद पंजाब में अपने अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले प्लांट्स की व्यवस्था दुरुस्त करने के आदेश दिए हैं। कहा गया है कि यदि उपकरणों को रिपेयर की जरूरत हो तो तुंरत कराया जाए।
इधर, पीएम की बैठक
ऑक्सीजन उत्पादन और सप्लाई पर अब डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू
- पीएम नरेंद्र माेदी ने ऑक्सीजन की कमी पर वीरवार को उच्च स्तरीय बैठक की। केंद्र ने ऑक्सीजन के उत्पादन-सप्लाई पर अब डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू कर दिया है।
- ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों को न रोका जाए, बिना रोक टोक टैंकर्स आने-जाने दें।
- राज्य में मेडिकल ऑक्सीजन के टैंकर ले जाने पर रोक-टोक न हो।
- ऑक्सीजन उत्पादकों पर ये पाबंदी न हो कि वे सिर्फ उसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के लिए ऑक्सीजन बनाएंगे।
- ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों पर नाइट कर्फ्यू लागू नहीं हाेगा।
- कोई भी प्रशासन ऑक्सीजन लेकर जाने वाले वाहन को किसी विशेष जिले में सप्लाई को बाध्य न करें।
- औद्योगिक उपयोग के लिए ऑक्सीजन सप्लाई 22 अप्रैल से अगले आदेश तक प्रतिबंधित हाेगी।
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