-सेहत विभाग ने लोगों को जागरुक करने के लिए शुरू किया अभियान
बठिंडा. जिले में कोरोना पाजिटिव मामले अभी कम होने का नाम नहीं ले रहे है, वहीं दूसरी तरफ जिले में ब्लैक फंगस ने भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए है। शनिवार को ब्लैक फंगस से पीड़ित और तीन नए मरीजों की पुष्टि हुई है, जिसमें दो महिलाएं और एक पुरूष शामिल है। इसके साथ ही जिले में अब तक कुल 22 ब्लैक फंगस के मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं शनिवार को मुक्तसर जिले के शहर गिदड़बाहा निवासी एक मरीज की ब्लैक फंगस के कारण मौत हो गई है। उनका पहले इलाज बठिंडा के आदेश अस्पताल में चल रहा था, लेकिन उन्होंने आप्रेशन करवाने के बाद घर पर चले गए थे, लेकिन शनिवार को उनकी मौत हो गई। शनिवार को जिन तीन मरीजों की पुष्टि हुई है, उसमें शामिल दोनों महिलाएं आदेश अस्पताल भुच्चो मंडी में उपचारधीन है, जबकि पुरूष लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में उपचारधीन है। जिनकी बीती शुक्रवार रात को रिपोर्ट पाजिटिव आई है। बताया जा रहा है कि आदेश अस्पताल में कुल 17 मरीज दाखिल है, तो चार मरीज नामदेव रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में दाखिल है। इसके अलावा एक लुधियाना डीएमसी में दाखिल है। यह सभी मरीज बठिंडा जिले से संबंधित है। बताया जा रहा है कि शनिवार को जिन दो महिलाओं को आदेश में दाखिल करवाया गया है, उसमें से एक महिला की हालत काफी गंभीर है, चूकिं ब्लैक फंगस उसके सिर में पहुंच चुकी है, जिसके कारण उनकी हालत गंभीर हाेती जा रही है। इसी तरह एक अन्य मरीज की हालत काफी नाजुक बनी हुई है। आदेश अस्पताल की डा. ग्रेस की मानने तो उनके पास जितने भी मरीज दाखिल है, वह सभी काेराेना पाजिटिव थे या फिर कोविड से रिकवर हुए थे। उन्होंने बताया कि ज्यादातरह मरीज ब्लैक फंगस बढ़ने के बाद अस्पताल में भर्ती हो रहे है, जिसके कारण ब्लैक फंगस सिर व दिमाग में पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि इसके शुरूआती लक्ष्ण दिखाई देने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती हो, ताकि इसका समय पर आप्रेशन कर इसे खत्म किया जा सके और मरीज की जान बचाई जा सके।
आदेश अस्पताल की डा. ग्रेस का कहना है कि कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैलने के कारण लोग तो संक्रमित हो ही रहे हैं, इनमें से अधिक संख्या में लोग वेंटीलेटर पर इलाज को जा रहे हैं जिसमे अधिकांश केसों में गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। वहीं जो मरीज कोरोना से ठीक होकर लंबे समय तक अस्पताल में रहकर वापस जा रहे हैं, उनमें भी यह संक्रमण मिलना चिंताजनक है। ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन इसके पहले केस बेहद कम थे। ब्लैक फंगस का इलाज संभव है, लेकिन इसमें तुरंत चेकअप जरूरी है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस से जबड़े व नाक की हड्डी गलने लगती है। यह दिनों में नहीं, बल्कि घंटों में घातक स्टेज तक पहुंच सकती है। इसकी पुष्टि के लिए नाक से स्वैब सैंपल लेकर जांच की जाती है। समय पर इलाज न हो तो यह घातक हो सकता है।
सावधानियां
स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त या रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें। स्टेरॉयड दवाएं जैसे डेक्सोना, मेड्रोल आदि। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू न करें। डॉक्टर से पूछें कि दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है।
किसे हो सकता है
कोरोना होने पर दी गई स्टेरॉयड दवा, डेक्सामीथेजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन इत्यादि। कोरोना मरीजो को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रहना पड़ा हो, डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण न हो। कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट की दवा चल रही हो।
लक्षण
चेहरे में एक तरफ दर्द, सूजन या सुन्न, या फिर छूने पर महसूस न हो। दांत में दर्द , दांत हिलने लगे, चबाने में दर्द, उल्टी में या खांसने में बलगम में खून आना। नाक बहना, मुंह में छाले, त्वचा काली पड़ना इसके मुख्य लक्षण हैं।
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