बठिंडा. हाल ही में बाबा रामदेव की तरफ से आयुर्वैद और एलोपैथी को लेकर दिए बायान को लेकर विवाद हो रहा है। वही आईएमए के मैंबर व शहर के प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता व डाक्टर वितुल कुमार गुप्ता ने कहा कि आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच वर्तमान विवाद उन लोगों की तरफ से पैदा किया जा रहा है जो नहीं चाहते कि आयुर्वेद आगे बढ़े और लोकप्रिय हो। क्योंकि आयुर्वेद में बढ़े हुए बजट और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लड़ने की बजाय उक्त लोग एलोपैथी की आलोचना कर रहे हैं। ऐसे लोग आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच दरार डाल नए विवाद को शुरू करने के लिए काम कर रहे हैं। राजनीतिक संबद्धता के बावजूद सरकारों ने आयुर्वेद की उपेक्षा की और अब तथाकथित बाबा व्यावसायिक लाभ के लिए लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं। सभी भारतीय आयुर्वेद का दैनिक जीवन में अभ्यास करते हैं और आयुर्वेद उनकी जीवन शैली का अनंद काल से हिस्सा है। जैसे भारतीय घरों में तुलसी, शहद, लौंग, गिलोय, अदरक, मुलठी, गिले, हल्दी, मिश्री आदि का उपयोग विभिन्न बीमारियों के निदान व इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए करते हैं। हर भारतीय को अपनी प्राचीन चिकित्सा विरासत पर गर्व है। आयुर्वैद की महत्ता के चलते वैज्ञानिक सोच रखने और बुद्धिमान भारतीय आयुर्वेद को साक्ष्य आधारित मानते हैं और आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों को भी एलोपैथी मेडिकल कॉलेजों के बराबर जगह देने की वकालत करते हैं। मेरिट के छात्रों को एलोपैथी कॉलेजों के बजाय आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहिए। यह तभी होगा जब आयुर्वेद साक्ष्य और शोध आधारित हो जाएगा। लेकिन आज दुर्भाग्य से आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच नासमझ नीति निर्माताओं और नेताओं के कारण युद्ध चल रहा है। डा. वितुल गुप्ता ने कहा कि हमे दृढ़ता से लगता है कि ऐसे बाबाओं को दो सम्मानित चिकित्सा क्षेत्रों के बीच दरार पैदा करने के लिए बिना किसी देरी के गिरफ्तार किया जाना चाहिए और सरकार को स्वास्थ्य बजट में वृद्धि करनी चाहिए और आयुर्वेद के लिए अनुसंधान आधारित कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। वही वैकल्पिक चिकित्सा के हर क्षेत्र को साक्ष्य आधारित होने देना चाहिए और दोनों चिकित्सा को टकराव की बजाय मिलकर एक साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को 'गोबर और गौमूत्र' से बाहर आना चाहिए और असली आयुर्वेद को बढ़ावा देना चाहिए। यह तथाकथित बाबाओं को दंडित किए बिना नहीं हो सकता जो वास्तव में आयुर्वेद के दुश्मन हैं। हम केवल दवा की सामग्री जानना चाहते हैं। जबकि एलोपैथी या आयुर्वेद का परीक्षण किया गया है और प्रभावी और सुरक्षित साबित हुआ है, और यह इंसानी जीवन को बचाने के लिए काफी कारगर साबित हुए है।
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