-कई लोगों का तो प्रेस और पत्रकारिता से दूर का भी संबंध नहीं
-अपने फायदे के साथ लोगों पर रौब झाड़ने के लिए करते हैं गलत इस्तेमाल
बठिंडा। व्यवसायिक फायदा उठाने व लोगों पर रौब झाड़ने के लिए इन दिनों मीडिया के लिए प्रयुक्त होने वाले प्रेस का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। मोटरसाइकिलों से लेकर कारों में प्रेस लिखकर गाड़ी सड़कों पर आवागमन करती आसानी से दिखाई देते हैं। इसमें ज्यादातर लोग ऐसे है जिनका मीडिया से दूर-दूर तक का कुछ नहीं लेना है लेकिन उन्होंने कार व मोटरसाइकिल में आगे व पीछे बडे़-बडे़ अक्षरों में प्रेस लिखकर लगा रखा है। इसमें कई लोग तो ऐसे है जो मीडिया कर्मी के रिश्तेदार या फिर दोस्तों की श्रेणी या फिर जानपहचान वालों में होते हैं। इस तरह के वाहनों को पुलिस कर्मचारी भी जांच पड़ताल नहीं करते हैं जिससे कई बार उक्त लोग इन वाहनों का इस्तेमाल गैरकानूनी कार्यों के लिए करते हैं। पिछले दिनों प्रेस लिखे कई ऐसे वाहन पुलिस ने पकडे़ हैं जिसमें गैरकानूनी तौर पर दवाईयां या फिर टैक्स चोरी का सामान लादकर लाया जा रहा था। इस मामले में बठिंडा जिले के विभिन्न सामाचार पत्रों के प्रतिनिधि जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई करने की मांग कर चुके हैं लेकिन इसमें आज तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकी है। तीन साल पहले पुलिस प्रशासन ने प्रेस लिखे ऐसे वाहनों की जांच पड़ताल करवाने व इन्हें जब्त करने का अभियान शुरू किया था। इसके तहत सभी अखबारों के प्रतिनिधियों से उनके यहां काम करने वाले लोगों की सूचि मांगी गई थी। इसमें पत्रकार का नाम, पता, फोन नंबर के इलावा इस्तेमाल किए जा रहे वाहन का नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस का नंबर मांगा गया था। इस मुहिम में प्रशासन की तरफ से जायज पत्रकारों को एक परिचय पत्र जारी किया जाना था। इस परिचय पत्र के धारक ही अपने वाहनों में प्रेस लिख सकते थे लेकिन यह मुहिम भी प्रशासन पूरी नहीं कर सका और उसने फार्म जमाकर आगे किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। फिलहाल प्रशासन की ढिली नीतियों के कारण सड़कों में बेखौफ दौड़ते प्रेस लिखे वाहन लोगों के साथ पुलिस कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए है। इस मामले में चिंताजनक पहलु यह है कि इस तरह के वाहनों से गौरकानूनी कार्यों के साथ असामाजिक तत्व व देश द्रोही तत्वों को संरक्षण मिल सकता है जो किसी भी समय प्रेस के नाम पर किसी अनहोनी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इस तरह के तत्वों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन को जल्द सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यहां बताना जरूरी है कि अधितकर वाहन चालक को अपने वाहनों में प्रेस मात्र इसलिए लिखाकर रखते हैं कि किसी चौक व नाके में पुलिस कर्मी उन्हें नहीं रोकेगा व दस्तावेज की मांग नहीं करेगा। इस क्रम में तत्कालीन एसपी सीटी निलाभ किशोर ने एक मुहिम के तहत प्रेस लिखे वाहनों की जांच शुरू की थी तो उसमें पाया गया कि ७० फीसदी लोगों ने अपने वाहनों में प्रेस इसलिए लिखाकर रखा है कि उन्हें कोई पत्रकार जानता है या फिर किसी अखबार व पत्रिका से उन्होंने जानपहचान के आधार पर प्रेस का कार्ड बनवा रखा है जबकि खबरे भेजने या फोटो खीचने जैसे कार्यों से उनका कोई भी लेना देना नहीं होता है। समाज सेवी राकेश नरुला का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अखबार प्रतिनिधियों को भी आगे आना होगा उन्हें ऐसे लोगों को परिचय पत्र जारी करने से गुरेज करना चाहिए जिनका पत्रकारिता से किसी तरह का लेना देना नहीं है व प्रेस लिखकर वह प्रेस का इस्तेमाल करते हैं। वही जिला प्रशासन को भी इस बाबत अखबार प्रतिनिधियों के साथ मिलकर ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे इस तरह के गौरखधंधे पर रोक लगे।