-लोगों को कानून का हौवा दिखाकर वसूल कर लेते हैं मोटी राशि
-कई राजनीतिक दलों केञ् नेता भी इस गौरखधंधे से पीछे नहीं रहे
बठिंडा। थानों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को वहां आने वाले दलाल और पुलिस के मुखविर ही हवा देते हैं। पुलिस कर्मचारी व थानों में तैनात ड्यूटी अफसर सीधे तौर पर लोगों से पैसे की वसूली करने की बजाय इन दलालों और मुखविरों के सहारे ही पैसे वसूल करते हैं। इसके लिए इन लोगों को बकायदा भ्रष्ट्राचार से इकट्ठा किया पैसे का एक हिस्सा मिलता है। लोगों को कानून का हौवा दिखाकर डराने, लगी धाराओं के बारे में गलत प्रचार करने के साथ आरोपी को बचाने या फिर दूसरे पक्ष के केस को मजबूत करने की एवज में एक मुस्त राशि खर्च करने के लिए उक्त दलाल ही तैयार करते हैं। इसमें बकायदा लोगों को बताया जाता है कि उसकी तरफ से दी जाने वाली राशि का कितना हिस्सा किसके पास जाएगा। वर्तमान में जिले के हर थाने में इस तरह के दलालों की भारी भरमार है जो अपना कामकाज छोड़कर थानों में सुबह-सांय मड़राते दिख जाते हैं। इसमें कई राजनीतिक दलों के नेता तक शामिल है जो अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए थानों में इस तरह का धंधा चला रहे हैं। इसमें कई पूर्व व वर्तमान पार्षदों की एक लंबी सूची शामिल है। थानों में लोगों का सौदा करवाने की एवज में जहां वह वाहवाही लूटते हैं वही दूसरे पक्ष की जेब कांटकर अपनी जेब भी सुगमता से भर लेते हैं। इन लोगों को पुलिस कई केसों में झूठे गवाह के तौर पर भी पेश करती है ताकि जिस पार्टी से पैसा मिला है उसका केस मजबूत किया जा सके।
गौरतलब है कि पुलिस विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिसके चलते उन्हें विभिन्न स्थानों से सूचनाएं इकट्ठी करने के लिए मुखविरो की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में जिले भर में इस तरह के मुखविरो की तादाद सैकड़ों में होगी। इनमें अधिकतर लोग ऐसे हैं जो कोई काम कार नहीं करते हैं बल्कि पुलिस को सूचना देकर व इसमें मिलने वाले मेहनताने से वह अपनी रोजी चला लेते हैं। शुरू में पुलिस के लिए उक्त लोग काफी कारगर साबित होते थे लेकिन धीरे-धीरे उक्त मुखविर पुलिस के सहयोगी कम और दलाल ज्यादा बन गए। हर केस में मोटी कमाई करने के लिए लोगों को झूठे केस में फंसना, उन्हें कानून का भय दिखाकर पैसे एठने का काम करने लगे हैं। पुलिस भी इन लोगों के मार्फत होने वाली मोटी कमाई के चलते इन्हें हर तरह का संरक्षण प्रदान करती है। जिसमें उक्त लोग कई गैरकानूनी कार्य भी करने लगे हैं। जिसमें नशीले पदार्थों की तस्करी करना, थानों में बरामद अफीम, भुक्की में से कुछ हिस्सा निकालकर बेचने का धंधा शामिल है।
इन्हीं लोगों की एक अन्य केटागिरी नेता लोग दलालों की है जो पुलिस के पास केस लोगों का समझौता करवाने की इवज में लाते हैं व मामला दर्ज करवाने के बाद उससे बाहर निकलने के लिए पैसे की मांग करते हैं। समझौता करवाने वाले नेता दोनों पक्षों से पैसों की वसूली तो करता है साथ ही इसमें बड़ा हिस्सा पुलिस को दिलवाता है। फिलहाल पुलिस के आला अधिकारी थानों में भ्रष्ट्राचार समाप्त करने के दावे करती है वही पुलिस व पब्लिक के बीच की दूरी कम करने की बात कहती है लेकिन उक्त योजना तब तक सफल नहीं हो सकती है जब तक थानों में व्याप्त भ्रष्ट्राचार को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जाता है। इसके लिए पहले थानों में दलाली कर रहे इन तत्वों को बाहर निकालना होगा तभी थानों के अंदर का माहौल भी तबदील हो सकेगा।