पहले गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों के साथ बुजुर्गों को झेलनी पड़ती थी ऊपरी मंजिलों में जाने-आने में परेशानी
बठिंडा. शहीद भाई मनी
सिंह सिविल अस्पताल में 4.38 करोड़ रुपये की लागत से किए जा रहे नवीनीकरण के
तहत पुरानी ओपीडी बिल्डिंग में मरीजों की सुविधा के लिए लगाई गई लिफ्ट वीरवार को मरीजों के लिए विधिवत शुरू कर दी गई है। इसका फायदा सर्जिकल वार्ड, स्पेशल वार्ड व जरनल
वार्ड के मरीजों को मिलेगा। लिफ्ट नहीं होने के कारण मरीजों व उनके परिजनों को
सीढि़यों या रैंप के माध्यम से ऊपर नीचे आना जाना पड़ता था, लेकिन अब इस समस्या से निजात मिलेगी। सिविल अस्पताल में प्रतिदिन 700 से एक
हजार मरीजों की ओपीडी है जिसमें पहले मंजिल के अलावा दूसरी दो मंजिलों में भी
विभिन्न बीमारियों के माहिर डाक्टरों के कमरे बने हैं जहां तक जाने में बुजुर्ग व
काफी गंभीर बिमारियों से ग्रस्त मरीजों का काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
लिफ्ट शुरू होने से मरीजों के साथ अस्पताल स्टाफ को भी राहत मिलेगी क्योंकि
दवाईयां व अन्य साजों सामान ऊपरी मंजिल तक लेकर जाने में भी इस लिफ्ट का इस्तेमाल
हो सकेगा।
इतना ही नहीं नया आप्रेशन थिएटर भी अस्पताल की दूसरी
मंजिल पर शिफ्ट किया जा रहा है, ऐसे में लिफ्ट का होना बेहद जरूरी था। यहां बताना जरूरी है कि अस्पताल प्रबंधकों को अस्पताल में पुरानी लिफ्ट के
बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ज्यादा तरह स्टाफ का कहना था कि बिल्डिंग में कोई
लिफ्ट लगी हुई है, उन्हें भी जानकारी नहीं थी, लेकिन कुछ समय पहले जब पुरानी बिल्डिग की रिपेयर करने के ग्राउंड फ्लोर पर बने
आपरेशन थिऐटर के समीप बने रैंप के सामने दीवार को तोड़ा गया, तो पीछे काफी पुरानी
लोहे की लिफ्ट दिखाई दी
जोकि लंबे समय
से बंद पड़ी हुई थी। लिफ्ट मिलने के बाद मामले की जानकारी अस्पताल प्रबंधकों को दी
गई। चूकि वह लिफ्त काफी पुरानी थी। उसकी जगह पर नई लिफ्ट लगाई गई है, ताकि मरीजों को लाभ मिल सके। गौरतब है कि
वित्तमंत्री ने सिविल अस्पताल की रिपेयर के लिए करीब चार करोड़ रुपये का फंड जारी
किया था, जिसके तहत अस्पताल की पुरानी इमरजेंसी वार्ड की रिपेयर पर 56.58 लाख रुपये खर्च किए गए है। वही ओपीडी ब्लाक पर 48 लाख रुपये खर्च कर ओपीडी ब्लाक
के बाथरूम की रिपेयर करने, बिल्डिग को रंग रोगन करने के साथ लिफ्ट भी लगाई गई है। इसमे जच्चा-बच्चा वार्ड की रिपेयर पर भी करीब 71.71 लाख रुपये खर्च किए
जा रहें हैं। वार्ड के सभी दरवाजे एलमुनियम के लगाए जा रहे हैं जबकि बाथरूम व फर्श
के साथ इमारत की छत को रिपेयर किया जा रहा है। वहीं इमारत की
बिजली फिटिग खराब होने के साथ कई कमरों में पैनल तबदील किए गए है। तीन दशक पुरानी
अस्पताल की मॉर्चरी को तोड़कर नई बनाई गई है, जिसपर 56.58 लाख रुपये खर्च हुए है। इसके तहत नई
मॉर्चरी में बाडी स्टोरिग यूनिट, पोस्टमार्टम रूम, डाक्टर रूम, विजटर रूम व जरनल टायलट बनाए है। ग्राउंड फ्लोर पर बने आप्रेशन थिएटर को अस्पताल के दूसरी
मंजिल स्थित मेडिकल वार्ड में शिफ्ट करने पर 1.19 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। अस्पताल में टूटी सड़कों, खराब लाइट, बंद सीवरेज और पार्किंग के निर्माण के लिए 57.94 लाख रुपए खर्च
होंगे। सीवरेज-पानी की समस्या का हल करने के लिए 80 लाख रुपये खर्च किए
जा रहे है। इसके अलावा सरकारी अस्पताल में लावारिस पशुओं से निजात के
लिए चारों तरफ की बाउंड्री बाल से कवर किया जाएगा। इसी तरह दोनों गेटों पर भी
आवारा पशुओं व कुत्तों के आने से रोकने के लिए एनिमल कैचर लगाए जाएंगे।
गर्मी के मौसम में मरीजों और
डाक्टरों को कंटीन से पीने का पानी खरीदना पड़ता था। लेकिन अस्पताल में किए जा रहे
विकास में सबसे मुख्य समस्या पीने के पानी की को हल कर दिया गया है। ओपीडी में
पीने के लिए शुद्ध जल के लिए आरओ के साथ
अधिक क्षमता वाला वाटर टैंक स्थापित कर दिया है।
फोटो सहित-बीटीडी-26-बठिंडा
में सिविल सर्जन तेजवंत सिंह अस्पताल में ओपीडी लिफ्ट की शुरूआत करते।
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