बठिडा। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को उस समय गहरा झटका लगा जब हाई कोर्ट में कांग्रेस के निर्विरोध चुने गए प्रत्याशियों के खिलाफ दायर याचिका वापस लेनी पड़ी। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में रिट दायर नहीं की जा सकती। पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने पुष्टि करते हुए बताया कि हाई कोर्ट में वीरवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश पर उन्होंने शिकायत वापस ले ली है। अब वह जल्द ही याचिका दायर करेंगे।
दरअसल, शिअद के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कांग्रेस के मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़ पर धक्केशाही करने के आरोप लगाए थे। उनका कहना है कि उनके द्वारा मलूका नगर पंचायत में 11 में से सात प्रत्याशियों को निवर्विरोध जिता दिया गया। इनके खिलाफ नामांकन भरने वाले शिअद के सात उम्मीदवारों के अलावा उनके कवरिग कैंडिडेंट्स के भी नामांकन रद कर दिए गए। आप के उम्मीदवारों व उनके कवरिग कैंडिडेट्स के नामांकन भी रद किए गए हैं।
बठिडा प्रशासन की ओर से जारी की गई निर्विरोध जीतने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट में बताया गया कि कोठा गुरु में चार, भगता भाईका में दो, मलूका में सात, भाई रूपा में चार व मेहराज में पांच उम्मीदवार निर्विरोध जीते हैं। इस पर शिअद के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने कहा कि पूरे जिले में कुल 33 उम्मीदवारों के निर्विरोध जीतने के दावे किए जा रहे हैं। इनमें से 22 सिर्फ रामपुरा फूल विधान सभा हलके से हैं। इनके अलावा सात को लहरा मोहब्बत से विजयी घोषित किया गया है, जबकि वहां पर लोगों का बायकाट था। इसके बावजूद कांग्रेस के उम्मदवारों द्वारा आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करवा दिया गया था। इनके अलावा दो नथाना व एक कोटशमीर में निर्विरोध जीते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अकेले रामपुरा फूल हलके में ही ऐसा क्या है कि 22 लोगों के खिलाफ खड़े होने वाले 22 शिअद उम्मीदवारों व उनके 22 कवरिग कैंडिडेट्स के नामांकन रद हो गए। उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव आयोग के नाम की कोई चीज नहीं है, बल्कि चुनाव में लगाए गए अधिकारी कांग्रेस के वर्कर बन कर काम कर रहे हैं। मलूका के कहा कि अब वह मामले की पिटिशन (याचिका) दायर करेंगे। वकीलों ने बताया है कि हाई कोर्ट में रिट नहीं डल सकती, इसलिए केस वापस लेकर अब याचिका दायर की जाएगी।
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