बठिंडा: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय ने विशेषज्ञ व्याख्यान और नुक्कड़ नाटक का आयोजन करके विश्व कैंसर दिवस मनाया। इस अवसर पर, विश्वविद्यालय के एनएसएस सेल ने कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में 'कैंसर: एक वैश्विक चुनौती' विषय पर एक आमंत्रित व्याख्यान की मेजबानी की। इस सत्र के मुख्य वक्ता एम्स नई दिल्ली के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग से पद्मश्री डॉ. ललित कुमार थे। विश्वविद्यालय के संकाय और छात्रों ने ऑनलाइन मंच के माध्यम से इस व्याख्यान में भाग लिया। इसके अलावा, कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस समन्वयक प्रो. मोनिषा धीमान द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुई जिसमें उन्होंने बताया कि विश्व कैंसर दिवस साल 2000 से मनाया जा रहा है और इसका उद्देश्य कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि विश्व कैंसर दिवस के लिए इस वर्ष की थीम “मैं हूं और मैं रहूंगा' है। इसके बाद, डॉ. सब्यसाची सेनापति ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, पद्मश्री डॉ. ललित कुमार ने बताया कि हर साल कैंसर के रोगियों में लगातार वृद्धि के कारण यह बीमारी एक वैश्विक चुनौती बन गई है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 वर्षों में, भारत की प्रमुख कैंसर रजिस्ट्रियों के अनुसार पेट, फेफड़े, स्तन, अंडाशय, प्रोस्टेट आदि से संबंधित कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की है और ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का समय पर पता लगने पर इसका सफल इलाज संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि कैंसर के प्रमुख कारणों में धूम्रपान और तंबाकू का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, गतिहीन जीवन शैली, रेडिएशन, वायरस और संक्रमण शामिल हैं। उन्होंने कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए फाइबर युक्त स्वस्थ आहार का सेवन करने और नियमित व्यायाम द्वारा फिट रहने की सलाह दी। अपने व्याख्यान के दौरान, डॉ. ललित ने विभिन्न उपचारों और दवाओं पर भी चर्चा की जो कैंसर के उपचार में प्रभावी साबित हुई हैं।
डीन इंचार्ज एकेडमिक्स प्रो आर.के. वुसरिका ने विद्वतापूर्ण व्याख्यान देने के लिए मुख्य वक्ता की सराहना की। उन्होंने डाक्टरों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से कैंसर से लड़ने और इसके वैश्विक प्रभाव को कम करने के लिए कम लागत वाली बेहतर उपचार पद्धति खोजने के लिए सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने की अपील की। व्याख्यान के बाद, एनएसएस स्वयंसेवकों ने विश्वविद्यालय परिसर में एक नुक्कड नाटक का प्रदर्शन किया, जिसे सभी ने सराहा। अंत में, डॉ. प्रीति खेतपाल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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