बठिडा: कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों की याद में शनिवार को सुबह 11 से दोपहर 12 बजे तक एक घंटा मौन रहने, वाहन न चलाने, जहां हैं वहीं रुक जाने और घर से न निकलने का मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह का आह्वान शहर में जागरूकता के अभाव में बेअसर रहा। अधिकतर लोगों को इस अपील की जानकारी ही नहीं थी, जिसके चलते ट्रैफिक आम दिनों की तरह ही चलता रहा। विभिन्न चौकों में तैनात ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को उम्मीद थी कि 11 बजते ही लोग अपने आप जहां हैं वहीं रुक जाएंगे, लेकिन जब दस मिनट तक भी लोग नहीं रुके तो उन्हें लोगों को जबरन रोकने की कोशिश की। कहीं पर बैरिकेडिग करनी पड़ी, कहीं बीच सड़क में क्रेन लगा दी गई। कहीं पर रस्सी बांधकर ट्रैफिक रोक दिया गया तो कहीं पर कोई वाहन सड़क के बीच टेढ़ा खड़ा करके ट्रैफिक रोक दिया, लेकिन पुलिस की इस कार्यवाही में लोगों की ओर से सहयोग देने के बजाय उनसे ही बहस करते और उन्हें कोसते हुए नजर आए। उधर, जबरन रोके जाने के कारण सड़कों पर लंबे जाम लग गए।
बसें रोकने पर ड्राइवरों-कंडक्टरों ने लगाया धरना
ट्रैफिक पुलिस की ओर से बस अड्डे से बसें बाहर निकलने से रोक लगा देने पर प्राइवेट बस आपरेटरों का पारा चढ़ गया। प्राइवेट बसों के ड्राइवर, कंडक्टर व ट्रांसपोर्टर न्यू दीप बस सर्विस कंपी के संचालक व शिअद नेता हरदीप सिंह डिपी ढिल्लों के भाई सन्नी ढिल्लों के नेतृत्व में बस अड्डे के सामने बड़ी गिनती में इकट्ठा हो गए और ट्रैफिक पुलिस कर्मियों से बहस करने लगे कि राज्य सरकार ने बसों को रोकने का कोई निर्देश जारी नहीं किया, पुलिस उन्हें जबरन रोककर उनका नुकसान कर रही है। पुलिस कर्मियों की तरफ से आर्डर जारी होने की बात कहे जाने पर भी वह नहीं मान रहे थे। सन्नी ढिल्लों का कहना था कि पुलिस ने बसें रोककर उन्हें न इधर का न उधर का छोड़ा है। उनकी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के साथ काफी नोक-झोंक भी हुई। इस दौरान ड्राइवर-कंडक्टर सड़क पर बैठ गए और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शन के बीच ही 12 भी बज गए, लेकिन इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब वे चार बजे तक चक्का जाम रखेंगे। बसें रोकने के बारे में सरकार ने या जिला प्रशासन न तो कोई मुनादी करवाई और न ही उन्हें कोई सूचना दी। करीब 12 बजकर 35 मिनट पर किसी तरह से पुलिस अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया कि अगले शनिवार तक बसों के बारे में अधिकारियों के साथ बातचीत कर कोई उचित निर्णय ले लिया जाएगा। इसके बाद ही बसें चलीं। सवारियों को होना पड़ा परेशान
11 से 12 बजे तक बसें रोके जाने पर भी सवारियां उधर-उधर भटकती रहीं। एक यात्री दिनेश कुमार ने कहा कि उसे मानसा जाना है, लेकिन सरकार के इस प्रोग्राम के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है। उधर 12 बजे के बाद भी प्राइवेट संचालकों की ओर से धरना प्रदर्शन किए जाने के कारण सवारियों को खूब भटकना पड़ा।
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