-बठिंडा सिविल अस्पताल में वैक्सीनेशन, सैपलिंग और दूसरे आपात कार्य रखे बंद, आम लोगों को उठानी पड़ी परेशानी
बठिंडा. नेशनल हेल्थ मिशन के तहत काम कर रहे कर्मचारियों ने मंगलवार को कामकाज बंद रख हड़ताल की व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारी पिछले 15 साल से ठेके पर काम करने व इस दौरान सरकार की तरफ से उन्हें पक्का नहीं करने का विरोध जता रहे हैं। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण मंगलवार को सिविल अस्पताल व अन्य हेल्थ सेंटरों में कामकाज पूरी तरह से प्रभावित रहा।
एनआरएचएम के तहत करीब नौ हजार कर्मचारी राज्य भर में काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण जहां हर तरफ त्राही मची है व सरकार व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में लगी है वही एनएचएम कर्मचारियों की तरफ से एकाएक हड़ताल पर जाने से सेहत सेवाओं पर सीधा असर पड़ा है। इसमें वैकसीनेशन का काम जहां बंद रहा वही कोविड-19 को लेकर सैंपलिंग व एमरजेंसी सेवा प्रभावित हुई। एनएचएम आंदोलन की अगुवाई कर रहे नरेंद्र कुमार ने बताया कि उनके करीब 9 हजार कर्मी टीबी विभाग, लैपरेंसी विभाग, आरसीएच प्रोग्राम के तहत पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं। इसमें कई कर्मचारी तो अब सेवामुक्ति के नजदीक पहुंच गए है लेकिन सरकार ने उन्हें पक्का करने के लिए आज तक प्रयास नहीं किए है।
वही पिछले डेढ़ साल से उनके कर्मी कोविड-19 को लेकर जंग लड़ रहे हैं। इस दौरान उन्हें किसी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है बल्कि उनके कई कर्मी इस महामारी के शिकार हुए। वर्तमान में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे कर्मी, कंप्यूटर कर्मचारी, एनफार्मेश एसीस्टेंड, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर, लैब टैक्निसियन हजारों की तादाद में काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें कम वेतन पर ही काम करवाया जा रहा है। इसमें करीब 500 कर्मचारी कोरोना पोजटिव हुए वही जिला कपूरथला की कर्मी सुरिंदर कौर को उपचार करवाने में पांच लाख रुपए खर्च करना पड़ा व यह राशि उसने कर्ज उठाकर खर्च की पर सरकार की तरफ से उसे किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं दी गई। गुरदासपुर व जालंधर में तो कई कर्मी कोरोना की जंग में जान गवा चुके हैं व उनके परिवार को भी इस महामारी से जूझना पड़ा। इन तमाम स्थितियों में भी सरकार उनकी मांगों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है बल्कि उनका शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ हरियाणा सरकार ने अपने कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारी के बराबर वेतन व भत्ते दिए है लेकिन पंजाब सरकार इसमें किसी तरह की दिलचस्पी नहीं ले रही है। कर्मचारियों ने सरकार को जगाने के लिए अब आंदोलन का रास्ता अपनाने का फैसला लिया है।
फोटो -अपनी मांगों को लेकर बठिंडा सिविल अस्पताल के बाहर कामकाज छोड़ प्रदर्शन करते एनएचएम के तहत काम करने वाले कर्मचारी।
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