बठिंडा। आतंकियों का बुलट से मुकाबला करने वाले बठिंडा के एसएसपी भुपिंदर सिंह विर्क कुकिंग के भी बादशाह है। अल्कोहल को उन्होंने कभी हाथ तक नहीं लगाया मगर चिकन कड़ी व मशाला चिकन उनका सबसे फेवरेंट है जिसे वह बाहर किसी शाप से नहीं मंगवाते बल्कि खुद बनाते हैं। इसे वह अपने परिवार के साथ दोस्तों को भी शेयर करते हैं। एसएसपी बठिंडा भुपिंदर सिंह विर्क प्रोफोशनल जिंदगी में अनुशासन के पक्के व काम के प्रति कड़क है लेकिन व्यक्तिगत जीवन में वह एक नर्म दिल इंसान है। जानवर पालना व उनके साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगता है। फिल्मे देखना, क्रिकेट खेलना उनका शोक है तो दीपिका पाडोकर उनकी फ्रेवरेट फिल्मी नायक है। किताबे पढना व नई जानकारी हासिल करना उनकी दिनचार्य का हिस्सा है जिसके चलते उन्होंने बकायदा एक लाइब्रेरी भी बना रखी है। जिले के एसएसपी भुपिंदर सिंह विर्क के व्यक्ति जीवन से लेकर प्रोफेशनल चुनौतियों पर बेवाक अपनी बात रखी।
जीवन में कड़े संघर्ष व इमानदारी से इंस्पेक्टर से एसएसपी तक का मुकाम हासिल किया
एसएसपी विर्क एक पीपीएस अधिकारी है व उन्होंने जीवन में कड़े संघर्ष व इमानदारी से इंस्पेक्टर से एसएसपी तक का मुकाम हासिल किया। इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति की तरफ से उन्हें ग्रेंटरी आवार्ड देकर भी सम्मानित किया। उन्होंने पंजाब में ऐसे दौर में काम किया जब आतंकवाद चर्म पर था व इसके खात्मे के लिए पुलिस ने कमर कस ली थी। 1993 में उन्होंने पुलिस विभाग में बतौर डीएसपी होते गोबिंदवाल में दो खुखार आतंकवादियों से मुकाबला करते उन्हें मार गिराया था। इस अनकाउंटर के बाद भुपिंदर सिंह विर्क पंजाब पुलिस के उन अफसरों में शामिल हो गए जिन्होंने पंजाब को आतंक मुक्त करने के लिए काम किया। इसमें तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया। हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र के लखमडी गांव के रहने वाले भुपिंदर सिंह विर्क शुरू से ही ही अपने नानके में पढ़े लिखे है। उनकी नानके परिवार में अधिकतर लोग सेना में सेवारत रहे जिसके चलते वह पटियाला में उच्च शिक्षा हासिल करने पहुंचे। इससे पहले उन्होंने पटियाला के यादविंदरा स्कूल में 10वीं, पंजाब पब्लिक स्कूल नाभा से जमा दो की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने ग्रेजुएशन की शिक्षा एसडी कालेज अंबाला से हासिल की। इसी कालेज से उन्होंने एमए अंग्रेजी की परीक्षा पास की। पेशे से परिवार किसानी से जुड़ा हुआ है।
सैनिक परिवार के माहौल में देश सेवा का जजबा उनके अंदर भरा
सैनिक परिवार के माहौल में देश सेवा का जजबा उनके अंदर भरा हुआ था। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने कई बेहतर आफर होने के बावजूद सेना या पुलिस में सेवा करने की ठान ली थी। पहले उन्होंने सेना में भर्ती के लिए परीक्षा दी जिसमें वह तीन बार सलेक्ट हुए लेकिन अंतिम लिस्ट में उनका नंबर नहीं आया। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत बरकरार रखी व पंजाब पुलिस में इंस्पेक्ट भर्ती हो गए। इस दौरान पंजाब में आतंकवाद का दौर था व पुलिस की नौकरी किसी खतरे से खाली नहीं थी लेकिन उन्होंने इस चैलेज को स्वीकार किया व पहली पोस्टिंग मल्लावाला जिला फिरोजपुर में थाना प्रभारी के तौर पर पदभार संभाला।
जनवरी 1990 में वह बठिंडा जिले में पहली बार डीएसपी फूल के साथ तैनात रहे। उनकी जिंदगी की सबसे चुनौती वाली पोस्टिंग अमृतसर के ब्यास थाना के अधीन थी। 1990 में इसी थाने में आईईडी ब्लास्ट किया गया था व इस दौरान वह थाने में ही तैनात थे व गंभीर रूप से घायल हो गए। 20 दिन तक उनका उपचार चला व इसी दिन से उन्होंने ठान लिया था कि वह पंजाब को बर्बाद करने में तुले आतंकियों का नामोनिशान मिटाकर ही दम लेंगे। इसके बाद उन्होंने पंजाब के तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल के साथ योजनावद्ध तरीके से पंजाब में अमन, शांति की बहाली व आतंकवाद के खात्मे के लिए काम शुरू किया।
जान बचाने के लिए डाक्टरों ने बम के छरे निकाले नहीं जो आज भी उनके शरीर में है
ब्यास बम ब्लास्ट में उनके शरीर में कई छर्रे दाखिल हो गए थे जिन्हें उनकी जान बचाने के लिए डाक्टरों ने निकाला नहीं व आज भी उनके शरीर में है। 21 मई 1991 में आतंकवादियों के निशाने में आए व उन पर छह गोलियां दागी गई। एक गोली उनकी गर्दन व एक कंधे पर लगी थी। इस हमले में भी उनकी जान बची। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी लंबी थी। आए दिन एसएसपी भुपिंदर सिंह विर्क की हिम्मत की परीक्षा हो रही थी लेकिन वह हारने वाले नहीं थे क्योंकि उन्होंने तय कर रखा था कि उनकी जिंदगी पंजाब व पंजाबियत को बचाने की है। इसके बाद अगस्त 1991 में उन पर फिर से आतंकवादियों ने हमला किया। इस दौरान उनके आवास में राकेट के हमला किया गया जो उनके सरकारी आवास की दीवार से टकराकर गिर गया व ब्लास्ट नहीं हो सका। इस दौरान वह घर में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ थे।
आतंकवाद के दौरान एक दर्जन हमले हुए
एसएसपी विर्क बताते हैं कि उन पर आतंकवाद के दौरान एक दर्जन हमले हुए थे। उन्हें 1992 में पुलिस विभाग ने प्रमोशन दी व तरनतारण पुलिस जिले के गोइंदवाल में डीएसपी पद पर तैनाती दी। इस दौरान उन्होंने दो खुखार आतंकवादियों का एनकाउंटर कर उनसे भारी मात्रा में असला बरामद किया था। इस हिम्मत व जजबे के लिए उन्हें 1993 में राष्ट्पति की तरफ से आवार्ड देकर सम्मानित किया गया था। वह अजनाला, पटियाला, चंडीगढ़, पठानकोट जैसे जिलों में डीएसपी के तौर पर तैनात रहे तो एसपी सीएम स्कोयरटी तैनात रहे। यही नहीं वह जेल सुपरिटेंडेंट पटियाला भी जिम्मेवारी निभाई। साल 2012 में उन्हें गुरदासपुर जिले में एसएसपी के तौर पर तैनाती मिली। वर्तमान में वह बठिंडा में एसएसपी के तौर पर तैनात है।
परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे
एसएसपी भुपिंदर सिंह विर्क के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। उन्होंने अपने दोनों बेटों का नाम अपने बुजुर्गों के नाम पर रखा है। उनका कहना है कि उनके पास 25 पीढियों की एक पुस्तक है। इस पुस्तक में दादा-पड़दादा से लेकर सभी बुजुर्गों के नाम व जानकारी है। इसी पुस्तक से उन्होंने अपने बेटों का नाम चुना। उनके बड़ा बेटा आदल सिंह विर्क है जो एमएस सर्जरी कर रहा है। वही दूसरा बेटा बाजल सिंह विर्क नेवी में सब लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात है। पत्नी तजिंदर कौर घरेलु है। उनकी पत्नी एमएससी व एमफील है। उन्हें केंद्रीय विभाग में नौकरी भी मिली लेकिन उन्होंने जाब से ज्यादा अपने परिवार की तरफ ध्यान दिया। पति के लिए जिंदगी भर हौसला बनकर सामने खड़ी हुई तो बच्चों को काबिल बनाने के लिए उन्होंने अपने अनुभव व शिक्षा से उन्हें एक बड़े मुकाम में पहुंचाने का काम किया।
घरेलु जिंदगी भी दूसरे के लिए प्रेरणादायक
भुपिंदर सिंह विर्क प्रोफेशनल जीवन में जितने सफल है उतने ही घरेलु जिंदगी भी दूसरे के लिए प्रेरणादायक है। वह व्यस्त जिंदगी के बावजूद खुद को फीट रखने के लिए सुबह व्ययाम करने के साथ सैर करना नहीं भूलते हैं। वह खानपान बनाने में निपुण है तो संगीत सुनना व किताबे पढ़ना उनकी जिंदगी का हिस्सा है। पुलिस वर्दी उनकी शिंगार है तो नीजि जिंदगी में पंजाबी कुर्ता पजामा उनके पसंदीदा पहरावा है। उनका कहना है कि फिल्मी नायक धरमेंद्र सिंह उनके सबसे पसंदीदा एक्टर है। धरमेंद्र एक बेहतर कलाकार के साथ एक अच्छे इंसान भी है। वह एक केस की जांच मामले में मुंबई में गए थे इसी दौरान उन्हें पता चला कि पंजाब से पुलिस के अधिकारी आए है तो उन्होंने अपने सहायक से उनका संपर्क नंबर लिया व उन्हें घर पर बुलाकर खातिरदारी की जिसे वह कभी भी नहीं भुला सकते हैं।
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