Punjab Ka Sach Newsporten/ NewsPaper: सावधान-घर में हर रोज इस्तेमाल होने वाले दूध-पनीर से लेकर देसी घी में हो रही मिलावट, एक साल में की गई सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसदी चीजें नहीं उतर रही है तय मानकों पर खरी

Thursday, May 27, 2021

सावधान-घर में हर रोज इस्तेमाल होने वाले दूध-पनीर से लेकर देसी घी में हो रही मिलावट, एक साल में की गई सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसदी चीजें नहीं उतर रही है तय मानकों पर खरी


बठिंडा।
हमारी रोजाना खाने-पीने की बहुत सी चीजों में मिलावट पाई जा रही है, जोकि हमारी सेहत को बहुत हानि पहुंचाती है। यह एक तरह से धीरे-धीरे दी जाने वाले जहर के सामान ही है, जोकि अंत में व्यक्ति की जान ही ले लेता है। इसके इलावा शरीर के अंदरूनी अंगों पर भी इसका बहुत ही बुरा असर पड़ता है। ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में दुकानदार अपने सामान में बहुत ज्यादा मिलावट करते हैं और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ भी करते हैं। 

ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां अल्सर, ट्यूमर आदि होने का बहुत ज्यादा खतरा रहता है। इतना ही नहीं सेहत विभाग की फूड टीम हर माह चेकिग कर विभिन्न खाद्य पदार्थो की सैंपलिग करता है और उन्हें जांच करने के लिए लैब भेजता है। सैंपल फेल होने पर एक्ट के मुताबिक जुर्माना या कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी हर खाने-पीने की चीज में मिलावटखोरी का खेल चल रहा है। हाल यह है कि दूध और दूध से बने उत्पाद के साथ घरों में रोजाना इस्तेमाल होने वाली दालों से लेकर मसालों में और देसी घी से लेकर रिफाइंड समेत अन्य खाद्य पदार्थो में भी जमकर मिलावट की जा रही है। 

विभाग द्वारा पूर्व एक साल में की गई सैंपलिग रिपोर्ट में 40 फीसद चीजें तय मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। हर दसवीं चीज में मिलावट हो रही है, जोकि इंसान के शरीर के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसके चलते आम आदमी खाद्य पदार्थो में हो रही मिलावटखोरी से खासा परेशान है। बाजार में मिलने वाली हर चीज में कुछ न कुछ मिलावट जरूर है, जोकि लोगों के लिए एक चिता का विषय है। आज मिलावट का कहर सबसे ज्यादा हमारी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर ही पड़ रहा है। ऐसे में भारी भरकम जुर्माना व सजा होने के बाद भी सेहत विभाग सौ फीसद मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो रहा है। ऐसे में मिलावटखोर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में पीछे नहीं हैं।

सेहत विभाग की फूड टीम की ढीली कारगुजारी

मिलावट रोकने के लिए सेहत विभाग की फूड टीम को हर माह कम से कम 100 खाद्य पदार्थों के सैंपल भरने होते हैं, लेकिन पूर्व एक साल माह में बठिडा फूड टीम ने महज 124 की सैंपल भरे, जबकि कम से कम 1200 सैंपल भरने जरूरी थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते 9 माह तक सब कुछ बंद रहने के कारण सैंपल नहीं भरे जा सके है। विभाग की तरफ से पूर्व एक साल में भरे गए 124 सैंपलों में 15 सैंपल फेल पाए है, जबकि 17 की रिपोर्ट आनी बाकी है। फेल हुए ज्यादा तरह सैंपल हररोज प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थो की है। विभाग की यह रिपोर्ट बताती है कि दूध और दूध से बने पदार्थो में सबसे ज्यादा मिलावटखोरी पाई गई है।

अब तक दस केसों में हो चुका है 15.56 लाख रुपए का जुर्माना

सेहत विभाग की मानने तो एक जनवरी 2018 से लेकर मार्च 2021 तक फूड सेफ्टी विभाग की तरफ से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों के सैंपल भर गए थे, जिनमें में सैंपल फेल हुए। विभाग ने अब तक करीब 82 केसों में 15 लाख 56 हजार रुपए का जुर्माना करवाया है, जिसमें सबसे बड़ा जुर्माना पांच लाख रुपए वाला है। खाद्य उत्पाद विनियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा और दस लाख रुपये तक का दंड देने का प्रावधान है। एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन के बाद किया है। ऐसे में उस व्यक्ति पर कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया सकता है।

चार घंटे की ट्रेनिग करनी होगी लाजमी

जिला फूड सेफ्टी अफसर डा. ऊषा गोयल ने बताया कि सेहत विभाग फूड एंड सेफ्टी स्टेंडर्ड एक्ट के तहत सरकार के तरफ से कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। इसके तहत होटल-रेस्टोरेंट, ढाबा, फास्ट फूड बेचने वाले लोगों को किस प्रकार से अपनी दुकान में साफ-सफाई रखने के अलावा उनका बनाने की पूरी ट्रेनिग लेना लाजिमी है। ट्रेनिग हासिल करने वालों को सार्टिफिकेट जारी किया जाएगा।

रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है

सिविल अस्पताल बठिंडा की एमडी मेडिसन डा. रमनदीप गोयल का कहना है कि मिलावटी खाद्य सामग्री खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसी का नतीजा है कि पहले की अपेक्षा अब अधिक लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ रही है। खासकर मिलावटी खाद्य सामग्री इस्तेमाल करने से गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है। मिलावटी मावा किडनी व लीवर को खराब कर सकता है। इससे संक्रमण पैदा हो सकता है। सिर दर्द, पेट दर्द व त्वचा रोग हो सकते हैं। पेट खराब होने व आंतों में संक्रमण होने की भी संभावना है। मावा या खोवा में मिलावट की पहचान रासायनिक व जैविक परीक्षण से की जा सकती है।

ऐसे कर सकते है नकली मावा की पहचान

भौतिक रुप से भी नकली मावा को पहचाना जा सकता है। कुछ बातें ध्यान रखने से नकली मावा की पहचान कर सकते हैं, जैसे मावा सफेद या हलके पीले रंग का है तो वह मिलावटी हो सकता है। सूंघने पर मिलावटी मावे की खुशबू अजीब सी लगती है, जबकि ओरिजिनल मावा की महक अच्छी होती है। मावे को हाथ से रगड़ने पर ओरिजिनल होने पर घी छोड़ता है। चखकर देखने पर असली मावा का स्वाद अच्छा लगता है, नकली होने पर यह कड़वा लग सकता है। नकली मावा आसानी से पानी में नहीं घुलता। मिलावटी मावा बनाने में दूध पाउडर का इस्तेमाल होता है। इसमें रिफाइंड या वेजीटेबल ऑयल मिलाया जाता है। इसके अलावा रसायन, आलू, शकरकंदी का प्रयोग भी किया जाता है। इसमें डिटर्जेंट पाउडर, तरल जैल, चिकनाहट लाने के लिए रिफाइंड व मोबिल आयल एवं एसेंट पाउडर डाला जाता है। इतना ही नहीं मिलावटखोर कई बार यूरिया के घोल में पाउडर व मोबिल डालकर भी तैयार करते हैं।
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माह          सैंपल भरे       फेल हुए सैंपल
जनवरी 2020     15           4
फरवरी             26            2
मार्च                 35             2
जून                    6             1
जुलाई               14            3
अक्टूबर              9            3
नवंबर                 9            0
जनवरी 21         10            0
फरवरी              25            0  (आठ पास है, जबकि 17 की रिपोर्ट पेडिंग है)

कैसे पहचाने मिलावटी खानपान 

वर्तमान में खाने- पीने की हर चीज शुद्ध हो यह जरूरी नहीं है। व्यापार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण मिलावट हर जगह देखने को मिलती है। कहीं दूध में पानी की मिलावट होती है, तो कहीं मसालों में रंगों की मिलावट...सब्जियां भी रसायनों के प्रयोग से पकाई जाती हैं। ऐसे में खाने की चीजों में यह मिलावट हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इससे बचने के लिए मिलावट का पता लगाना बहुत जरूरी है। हम बता रहे हैं,  खाद्य पदार्थों में मिलावट को परखने के कुछ खास तरीके - 

  • मसालों में बेहद आसानी से और अत्यधिक मिलावट होती है, जो आसानी से पकड़ में नहीं आती। सामान्यत: लोग इन्हें परखने की जहमत नहीं उठाते, जिसके कारण वे मसालों के साथ स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी मोल ले लेते हैं। चूंकि यह सभी चीजें हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग है, इसलिए इसके प्रति और अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है।
  • लाल मिर्च की ही बात करें तो इसमें मिलावट के तौर पर ईंट या कबेलू का बारीक पिसा हुआ पाउडर प्रयोग किया जाता है, जिसमें कृत्रिम रंग भी मिला हुआ होता है। इसमें मिलावट की जांच के लिए पानी में डालकर देखा जा सकता है। अगर लाल मिर्च पाउडर पानी में तैरता नजर आए तो वह शुद्ध है, लेकिन यदि वह डूब जाए तो आप समझ लिजिए कि वह मिलावटी है।
  •  बाजार में मिलने वाला हल्दी पाउडर भी मिलावटी हो सकता है। इसमें मेटानिल येलो नामक  रसायन मौजूद होता है, जो आपको कैंसर जैसी बीमारी का शिकार बना सकता है। इसे परखने के लिए हल्दी पाउडर में कुछ बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और उतनी बूंदे पानी की डालकर देखें। अगर हल्दी का रंग गुलाबी या बैंगनी हो जाए, तो समझ लिजिए कि हल्दी में मिलावट है।
  • चावल में प्लास्ट‍िक और आलू से बने नकली चावलों की मिलावट होती है। यह शरीर में जाकर पाचन संबंधी समस्याओं सहित कई तरह की परेशानियां पैदा करते हैं। इसकी पहचान के लिए इन्हें उबलते वक्त देखें, यह अलग तरह की गंध पैदा करते हैं।
  • फलों में वैसे तो रसायनों की मिलावट होती ही है, लेकिन खासतौर से अगर आप सेब का प्रयोग करते हैं, तो उसपर चढ़ी हुई मोम की परत को पहले जांच लें। यह सेब को चमकदार दिखाने के लिए होती है। लेकिन चाकू की सहायता से खुरचने पर आप इसे देख पाएंगे।
  • सरसों के दानों या राई में भी इसी प्रकार अर्जेमोने के बीज मिलाकर वजन को बढ़ाया जाता है। लेकिन इसकी परख आप आसानी से कर सकते हैं। सरसों के बीजों को दबाकर देखने पर पीला पदार्थ निकलता है जबकि अर्जेमोने के बीजों को दबाने पर सफेद।
  • हरे मटर के दानों को अत्यधिक हरा दिखाने के लिए इसमें मेलाकाइट ग्रीन को मिलाया जाता है। लेकिन यह सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसकी पहचान के लिए मटर के दानों को कुछ समय तक पानी में मिलाकर रखें, अगर यह हरा रंग छोड़ने लगे, तो समझि‍ए इसमें मिलावट है।
  • दूध में पानी की मिलावट को परखने के लिए किसी चिकनी सतह पर दूध की कुछ बूंदें गिराएं। अगर यह बूंदें बगैर निशान छोड़े तेजी से आगे बह जाए, तो इसमें पानी मिला हुआ है। वहीं दूध अगर शुद्ध होगा तो वह धीरे-धीरे बहेगा और सफेद धब्बा छोड़ जाएगा। 
  • इसी प्रकार काली मिर्च में पपीते के बीजों को काले रंग में रंगकर मिला दिया जाता है। ऐसा करने से इनका वजन अधिक हो जाता है और आपको कम मात्रा में देकर ज्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं। इसे परखने के लिए पानी या शराब में डालें। अगर यह तैरते दिखाई दें, तो यह नकली हैं और अगर डूब जाए तो असली हैं।
  • गरम मसालों में प्रयोग होने वाली दालचीनी भी कई बार मिलावटी होती है। चूंकि इसमें कोई फर्क नहीं कर पाता, इसे पैकेज में डालकर आसानी से किसी को भी गुमराह किया जा सकता है। दालचीनी में मि‍लावट के तौर पर अमरूद की छाल मिलाई जाती है। इसकी पहचान करने के लि‍ए इसे हाथ पर रगड़कर देखें, अगर आपको इसका रंग नजर आए, तो यह असली है, अन्यथा नकली।
  • दूध और मावे के साथ अन्य डेयरी उत्पादों में भी मिलावट होती है। मावे की जांच के लिए सैंपल लेकर टेस्‍ट ट्यूब में भरें और उसमें 20 एमएल पानी डाल कर उबालें। ठंडा होने पर इसमें दो बूंद आयोडीन डालें। अगर सैंपल का रंग नीला हो जाए तो इसमें स्‍टार्च मिला हुआ है। 

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