शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

Punjab Municipal polls: विरोध की आंधी में भी भाजपा ने मौजूदगी दर्ज कराई, जानें क्‍या हैं आगे के संकेत


चंडीगढ़।
पंजाब के स्‍थानीय निकाय चुनाव में तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रही। इसके साथ ही पार्टी ने राज्‍य की सियासत के लिए अपने संकेत भी दे दिए। शिरोमणि अकाली दल (SAD) से गठबंधन टूटने और किसान विरोध के बीच भाजपा ने आठ नगर निगम के चुनाव में 20 और 109 नगर काउंसिल में 29 सीटों पर हासिल पर जीत हासिल की। शिअद से गठबंधन टूटने के बाद उसने यह पहला चुनाव लड़ा। भारी विरोध और हमलों के बावजूद वह इस चुनाव में 60 फीसद सीटोें पर उम्‍मीदवार खड़े करने में सफल रही।

नगर निगम में 20 और 109 नगर काउंसिल में 29 सीटों पर हासिल की जीत

भाजपा इस बात को लेकर राहत महसूस कर रही है कि राज्य में कृषि कानून बिलों को लेकर जिस प्रकार से उसका विरोध हो रहा था, उस स्थिति में भी भाजपा का खाता खुलना ही बड़ी बात है। वहीं, पार्टी की चिंता यह है कि मुकेरियां, होशियारपुर, दसुआ, पठानकोट जैसे क्षेत्र जोकि भाजपा के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। वहां पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा।
अश्‍वनी शर्मा बोले- भाजपा के लिए बड़ी चुनौती थे ये चुनाव, हमें रोकने को कांग्रेस ने पूरा दम लगाया

भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा कहते है, निश्चित रूप से निकाय चुनाव में भाजपा के लिए खासी चुनौती भरा था। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भाजपा को रोकने के लिए पूरा जोर लगा रखा था। भाजपा पहली बार अकेले दम पर चुनाव मैदान में थी। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भाजपा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रही।

अहम पहलू यह है कि कृषि कानूनों को लेकर पूरे पंजाब में भाजपा नेताओं पर हमले हुए। यहां तक की भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा, पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला समेत वरिष्ठ नेताओं पर हमले हुए। किसान व किसान समर्थकों ने भाजपा के प्रचार अभियान को रोका, वहीं कई जगह पर तो भाजपा के दफ्तर को भी नहीं खुलने दिया। भाजपा के लिए परेशानी वाली बात यह भी थी कि कृषि कानूनों को लेकर लोगों में इतना गुस्सा देखने को मिला कि भाजपा के उम्मीदवारों को लोगों ने अपने घरों से भी भगा दिया। तमाम विरोध के कारण भाजपा को सभी काउंसिलों में उम्मीदवारों को खड़ा करना भी मुश्किल हो गया था।
भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा कहते हैं कि चुनाव परिणाम आज भले ही हमारे लिए प्रतिकूल हो लेकिन एक बात तय है कि पंजाब में विपक्ष के लिए स्पेस अब भी खाली है। शिरोमणि अकाली दल का प्रदर्शन भी उतना प्रभावशाली नहीं रहा। इसके साथ ही पंजाब में खुद को राजनीतिक विकल्प बताने वाली आम आदमी पार्टी महज 57 सीटें ही हासिल कर सकी। आप का इस चुनाव में कहीं कोई विरोध नहीं था और वह पंजाब विधान सभा में मुख्‍य विपक्षी पार्टी भी है।

सुभाष शर्मा कहते है, इस चुनाव में सबसे ज्यादा विरोध भाजपा को झेलना पड़ा। भाजपा के मुकाबले अकाली दल का इतना विरोध नहीं था। वहीं, कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस भाजपा को ही रोकने पर लगा हुआ था। इसके बावजूद भाजपा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब रही है।

वहीं, भाजपा यह मान रही है कि किसान आंदोलन के खत्म होने के बाद जब स्थितियां सामान्य होनी शुरू होंगी तो  भाजपा को अपना विस्तार करने का पूरा मौका मिलेगा। करीब ढ़ाई दशक के बाद यह पहला मौका था जब भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़ी थी। गठबंधन में रहते हुए भाजपा महज नगर निगम व नगर काउंसिल की 33 फीसदी सीटों पर ही चुनाव लड़ती थी। इसी प्रकार विधान सभा की 117 सीटों में से मात्र 23 सीटें भाजपा के खाते में थी। बाकी की सीटों पर शिरोमणि अकाली दल चुनाव लड़ती थी।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

पंजाब में अपनी पसंद के मेयर बनाएंगे कैप्‍टन, ताकि आगे काेई चुनाैती न दे, जानें कौन-कौन हैं दावेदार


चंडीगढ़।
 पंजाब के आठ नगर निगमों में जीत के बाद अब इनके लिए मेयर के चयन को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची शुरू हो गई है। स्थानीय मंत्री और विधायक अपनी पसंद का मेयर बनाने की कोशिश में जुटे हैं। संवैधानिक तौर पर मेयर का चयन हाउस में जुड़ने वाले पार्षदों को करना है लेकिन असल में मुहर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से ही लगनी है। ऐसे में कैप्‍टन अमरिंदर सोच-समझ कर ऐसे लोगों को मेयर बनाएंगे जिससे भविष्‍य में कोई चुनौती ने पैदा करे और सारा कुछ नियंत्रण में रहे।
सात नगर निगमों में कांग्रेस के मेयर बनना तय, मोगा में भी पार्टी का मेयर बनने की उम्‍मीद

दरअसल, पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता ने कैप्टन अमरिंदर को और मजबूत कर दिया है। आठ नगर निगमों में से सात निगमों बठिंडा, पठानकोट, बटाला, कपूरथला, होशियारपुर, मोहाली व अबोहर में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। मोगा में बहुमत नहीं मिला है, लेकिन उम्मीद है कि कांग्रेस का ही मेयर बनेगा। चूंकि अभी इन आठों नगर निगमों में मेयर के पद महिलाओं और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भी होने हैं इसलिए सारा खेल कैप्टन अमरिंदर के हाथ में ही है।
कैप्‍टन अमरिंदर मेयर चयन में अगले विधानसभा चुनाव का भी रखेंगे ध्‍यान

नगर निगमों में मेयर का चयन करने के मामले में मुख्यमंत्री अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव को भी ध्यान में रखेंगे। हालांकि 2017 में उन्होंने कहा था कि वह अपना अंतिम चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन अब उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि वह फिर से चुनाव लड़ना चाहेंगे। कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने भी बुधवार को 'कैप्टन फॉर 2022' स्‍लोगन जारी कर इसको लेकर बात आगे बढ़ा दी है।
साफ है कि इससे कैप्टन के बाद  लीडरशिप की उम्‍मीद करने वाले नेताओं इससे निराश होगी। ऐसे नेता कैप्‍टन अमरिंदर के लिए कोई परेशानी न पैदा करें इसलिए स्थानीय इकाइयों के प्रधान, निगमों के मेयर, विधायक और जिला प्रधान तक बनवाने में कैप्टन अपने हिसाब से लगवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

अमृतसर में मेयर बनाने के मामले में कैप्टन ने उस समय स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की भी चलने नहीं दी थी। निकाय मंत्री होने के नाते सिद्धू इस पद अपने नजदीकी को बिठाना चाहते थे, लेकिन कैप्टन  ऐसा लाभ सिद्धू को देने के मूड में नहीं थे। यही वजह रही कि कर्मजीत सिंह रिंटू के नाम को सीएम ने हरी झंडी दी और सिद्धू अपने पसंद के नेता काे यह पद नहीं दिला सके।

बठिंडा में जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार

अब यह स्थिति इस बार के स्‍थानीय निकाय चुनाव के बाद भी दिख सकती है। बठिंडा में जगरूप सिंह गिल मेयर पद के प्रबल दावेदार हैं। वह सातवीं बार पार्षद बने हैं और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने जिला योजना बाेर्ड की चेयरमैनशिप को भी छोड़ा है। साफ है कि सीएम की ओर से उन्हें ही मेयर बनाए जाने को हरी झंडी है। हालांकि वित्तमंत्री मनप्रीत बादल भी यहां अपना उम्मीवार खड़ा करना चाहेंगे।

मोहाली में स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के भाई अमरजीत जीती भी दौड़ में आगे हैं। बड़ा सवाल है क्या भाई होने के नाते बलबीर सिंह सिद्धू उन्हें मेयर बनवा पाएंगे या फिर यहां भी कोई नया चेहरा देखने को मिलेगा। बटाला नगर निगम पर कांग्रेस ने 35 सीटे जीतकर कब्जा कर लिया है। यहां कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और उनके प्रतिद्वंद्वी व पूर्व विधायक अश्विनी सेखड़ी के बीच अपने-अपने उम्मीदवार को मेयर बनाने की माथापच्ची होना तय है।
पठानकोट में मेयर की दौड़ में पन्ना लाल भाटिया सबसे आगे हैं, लेकिन अगर यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो जाती है तो कोमल के नाम पर मुहर लग सकती है। उनके अलावा अजय कुमार और विक्रम महाजन भी दौड़ में हैं। अबोहर में निश्चित रूप से पार्टी प्रधान अपनी पसंद का मेयर बनाना चाहेंगे। पांचवी बार पार्षद बने विमल ठठई का नाम सबसे आगे माना जा रहा है।

बठिंडा नगर निगम चुनावों में धांधली के आरोप लगा चुनाव फिर से करवाने की मांग, राजनीतिक दलों ने सड़कों पर किया प्रदर्शन


बठिंडा.
नगर निगम चुनाव नतीजों में धांधली के आरोप लगा समूह विपक्षी दलों ने सड़कों में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने सत्ताधारी दल पर चुनावों में धक्केशाही करने व ईवीएम मशीनों से छोड़खानी करने के आरोप लगाए। मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के साथ पंजाब चुनाव आयोग, राष्ट्रीय चुनाव आयोग को लिखित शिकायत भेजकर मामले में चुनाव रद्द करने की मांग की गई। प्रदर्शन में आप, भाजपा, आजाद व अकाली दल से संबंधित उम्मीदवारों के साथ उनके समर्थक हाजिर रहे। उन्होंने कहा कांग्रेस ने चुनाव प्रचार से लेकर चुनाव संपन्न होने तक लोगों को धमकाने, उन्हें प्रचार करने से रोकने, मतदान वाले दिन जाली वोट डलवाने व बाद में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए मशीनों के साथ छोड़खानी की। इस बाबत मौके पर उम्मीदवारों ने विरोध जताया लेकिन उनकी एक न सुनी गई व उन पर मामले दर्ज करने की धमकी दी गई। इस संबंध में राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष चुनाव फिर से करवाने व पहले घोषित नतीजों को रद्द करने की मांग रखी।  
नगर निगम चुनावों में कांग्रेस की हुई गुंडागर्दी के बाद मतगणना के दिन बड़ी धांधली सामने आने पर सभी पार्टियों में आजाद उम्मीदवारों द्वारा सांझे रूप से चुनाव कमीशन व कांग्रेस सरकार का पुतला दहन किया गया। 200 से करीब पार्टियों सेे जुुुड़े और आजाद उम्मीदवारों द्वारा इस मतगणना के खिलाफ माननीय उच्च अदालत में पिटीशन भी दायर की गई। सभी ने एक स्वर में कहा कि  पहले तो चुनावों के दिन मौजूदा सरकार द्वारा जमकर गुंडागर्दी की गई और फिर मतगणना के समय सरेआम अबजर्वरो द्वारा व मौजूदा सरकार द्वारा लोकतंत्र की हत्या की गई किसी भी उम्मीदवार व काउंटिंग एजेंट को मशीनों की सीले चैक नहीं करवाई गई और मशीन में चुनाव की तारीख के बदले 16 फरवरी क्लोजिंग दिन दिखाया जा रहा था। जिसका एतराज करने पर  मौजूदा अफसरों द्वारा कोई कार्रवाई करने की बजाय कैंडिडेट व उनके काउंटिंग एजेंट को वहां से बाहर निकलने के लिए कहा गया। जिसके खिलाफ उन्होंने तुरंत एतराज भी दर्ज कराया लेकिन मौजूदा प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। भाजपा के प्रदेश सचिव सुखपाल सिंह सरां ने कहा के प्रदेश  प्रदेश सरकार बेनकाब हो चुकी है और गुंडागर्दी  व सरकारी मशीनरी के  बल पर निगम में कब्जा जमाने के लिए तैयारी कर रही है जो की सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। जिसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरां ने कहा कि धांधली का इस बात से स्पष्ट होता है कि स्ट्रांग रूम में कोई सीसीटीवी कैमरों से निगरानी नही की गई, और न ही मतगणना की कोई वीडियोग्राफी हुई, जबकि उम्मीदवार बार बार एतराज जता रहे थे। उन्होंने मांग की की सभी मशीनों को केंद्र सरकार कब्जे में लेकर उच्च स्तरीय जांच करवाएं। सरां ने कहा उन्होंने पहले ही शंका जाहिर की थी कि इस तरह पंजाब पुलिस साफ सुथरे चुनाव नही करवा सकेगी सोो केंद्रीय सुरक्षा बल लगाए जाएं लेकिन कांग्रेस के दबाब में ऐसा नही हुआ। अब इसके खिलाफ माननीय हाईकोर्ट में केस किया जाएगा और इसे लेकर आजाद उम्मीदवारों सहित सभी पार्टियों के  कैंडिडेट द्वारा पिटीशन दायर कर चुके हैं और इस पर सख्त नोटिस लिया जाएगा। अकाली दल के राकेश काका ने कहा कि चुनावो के समय जो गुंडागर्दी की गई व नतीजों में जो गड़बड़ की गई वो असहनीय है जिसने समाज को शर्मसार किया है। बठिण्डा सोशल ग्रुप के डॉक्टर तरसेम गर्ग ने कहा कि लोकतंत्र के लिए काला दिन है अगर ऐसे ही चुनाव धांधली करके जीतने थे तो चुनाव की जरूरत ही क्या थी। आजाद उम्मीदवार अलका चावला ने कहा कि उनकी आवाज दबाई गई बार बार शोर मचाने पर भी किसी ने कोई सुनवाई  की गई।

फोटो -बठिंडा में फायर ब्रिग्रेड चौक में चुनावों में धांधली के आरोप लगा विरोध प्रदर्शन करते विपक्षी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार। 

Bathinda-कांग्रेस के विकास एजेंडे के सामने अकाली दल रहा कमजोर तो आप व भाजपा नहीं कर सके मुकाबला


-अकाली दल से कई दिग्गज नेता कांग्रेस में गए जिससे कांग्रेस हुई मजबूत वही चुनाव प्रचार में भी मारी बाजी  
बठिंडा. बठिडा नगर निगम चुनावों में कांग्रेस का विकास एजेंडा दूसरी पार्टियों पर भारी पड़ गया। निगम पर 53 साल बाद कांग्रेस का कब्जा हुआ है। हालांकि बठिंडा को निगम बने 16 साल के करीब हुआ है लेकिन इससे पहले रही कौंसिल में भी कांग्रेस को अपना प्रधान व अब मेयर बनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 50 वार्डो में से 43 पर परचम लहराया है, जबकि 53 साल से निगम पर काबिज शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को पहली बार सात सीटें ही मिल पाईं।









 वहीं आम आदमी पार्टी (आप) व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपना खाता तक नहीं खोल पाए। बठिडा के पचास वार्डों में से 1, 7, 8, 13, 19, 20 व 22 में शिअद ने जीत दर्ज कराई है, जबकि बाकी के वार्डों में कांग्रेस ने जीत प्राप्त की है। फिलहाल अकाली दल की हार के लिए जहां कांग्रेस का चुनाव से काफी पहले शुरू हुआ प्रचार जिम्मेवार रहा वही अकाली दल में पिछले चार साल से लगातार हो रहे बिखराव ने भी उन्हें पराजय की तरफ धकेला। अकाली दल के दर्जनों धुरंधर जो पार्टी को खड़ा करने में अहम रहे वह कांग्रेस ज्वाइन कर गए। वही कांग्रेस के पास एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार ऐसे थे जो अकाली दल छोड़कर कांग्रेस में आए थे। इस उथलपुथल ने अकाली दल को कमजोर व कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया। यही नहीं अकाली दल का भाजपा के साथ गठजोड़ टूटना व किसानों के आंदोलन को मजबूती से पकड़ने में नाकामी ने शहर के जाट वोट व अग्रवाल वोट को अपने खेमे में करने में नाकाम रही। हालांकि दलित वोट ने अकाली दल को काफी स्पोर्ट किया। इसके पीछे लाइन पार इलाके में तत्कालीन मेयर बलवंत राय नाथ का प्रभाव माना जा रहा है। 
बठिडा नगर निगम चुनाव में ज्यादातर वार्डों में मुकाबला अकाली दल व कांग्रेस का ही रहा। यानि कि दूसरे स्थान पर शिअद या कांग्रेस के उम्मीदवार ही रहे। जबकि आम आदमी पार्टी महज आठ वार्डों में ही दूसरा स्थान प्राप्त कर पाई और भाजपा के उम्मीदवार केवल दो वार्डों में ही फाइट दे पाए। चार 4 वार्डों में जीतने वाले उम्मीदवार का नजदीकी मुकाबला आजाद उम्मीदवारों से हुआ। आम आदमी पार्टी ने वार्ड नंबर 2,15,16,24,32,33,38 व 40 में जीतने वाले उम्मीदार को फाइट दी और दूसरे स्थान पर रही। इनमें सबसे कम मार्जिन से वार्ड 32 की उम्मीदवार मनदीप कौर रामगढि़या रही। वह केवल 164 के अंतर से पीछे रही है। जबकि वार्ड 24 में सबसे ज्यादा मार्जिन रहा। वार्ड 24 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अशोक कुमार 703 वोट मिले हें जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी शाम लाल जैन 2550 वोट। दोनों में 1847 वोटों का अंतर है लेकिन बाकी के उम्मीदवारों के इनसे भी कहीं कम वोट मिले हैं। वार्ड 40 में 898, वार्ड 36 से 865, वार्ड 37 में 1430, वार्ड 38 में 1115, वार्ड 15 में 233, वार्ड 16 में 1149, वार्ड 32 में 961, वार्ड 2 में 1337 के अंतर से पीछे रहे हैं।
भाजपा के उम्मीदवार वार्ड नंबर 35 व 49 में दूसरे स्थान पर रहे हैं। इसमें वार्ड 49 में कांग्रेस की प्रत्याशी कमलेश रानी को 1275 वोट मिले जबकि बीजेपी की शमा रानी को 633,यानि कि 642 वोटें से पीछे रही। इसी प्रकार वार्ड 35 में कांग्रेस के रमन गोयल को 1453 वोट और बीजेपी की सीमा अरोड़ा 319 वोट मिले। यान कि 1134 वोटें से बीजेपी प्रत्याशी पीछे रही है। बठिडा के वार्ड 12, 21, 29 व 42 में आजाद उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं।
बठिडा जिले में नगर निगम समेत नगर कौंसिलों और नगर पंचायत में कुल 224 वार्डों पर चुनाव लड़े गए। इनमें से लहरा मोहब्बत की चार सीटों पर किसी ने भी नामांकन नहीं भरा था। बाकी के 220 वार्डों में से 154 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि शिअद को सिर्फ 33 वार्डों पर ही सब्र करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी को सिर्फ तीन वार्डों मे ही जीत मिली है, जबकि बहुजन समाज पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई। वहीं भाजपा इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। हालांकि 29 आजाद चुनाव जीत गए हैं। छह में पांच कौंसिलों और आठ पंचायतों में से छह पर भी कांग्रेस विजयी निकाय चुनाव में जिले में कांग्रेस ने छह नगर कौंसिलों में से पांच पर शानदार जीत हासिल की है, जबकि आठ नगर पंचायतों में से छह पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। बठिडा देहाती हलके की नगर पंचायत संगत मंडी पर शिअद कब्जा कर लिया है। छह नगर कौंसिलों तथा आठ नगर पंचायतों के 164 वार्डों में 111 पर कांग्रेस, 26 पर शिअद, तीन पर आप, एक पर बसपा तथा 30 पर आजाद उम्मीदवार विजयी रहे हैं। इन नगर पंचायतों तथा नगर कौंसिलों की वोटों में सिर्फ नथाना नगर पंचायत से ही आप के तीन उम्मीदवार सफल हुए हैं जबकि अन्य जगहों पर आप का पत्ता साफ हो गया है। बसपा ने भी एक सीट जीतकर अपनी हाजिरी दर्ज करवा दी है।
बठिडा नगर निगम चुनाव में 50 वार्डों में से 43 में कांग्रेस ने जीत प्राप्त करने के बाद वित्त मंत्री मनप्रीत ने कहा कि जितनी बड़ी जीत उतनी बड़ी ही जिम्मेदारी होती है। बठिडा के लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में फतवा दिया है। पहले अकाली दल और भाजपा की कमेटी होने के कारण ग्रांटों में काफी अड़चनें आती थी। अब बठिडा दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा। बठिडा में हमने कैप्टन अमरिदर सिंह और कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ की अगुवाई में क्लीन स्वीप किया है। मुझे ऐसा महसूस होता है कि हम इतने काबिल नहीं थे, जितना लोगों ने भरोसा हम पर जताया है।

डी.टी.एफ.पंजाब ने 21 फरवरी की बरनाला किसान-मजदूर रैली और पैंशन बहाली के लिए पटियाला रैली का समर्थन


बठिंडा.
देश भर चल रहे किसान आंदोलन की हिमायत में संगठनों की एकता को मजबूत करने के लिए किसान-मज़दूर संगठनों की तरफ से बरनाला में 21 फरवरी को महा रैली की जा रही है। डी.टी.एफ के ज़िला बठिंडा के प्रधान रेशम सिंह, कार्यकारी सचिव गुरप्रीत सिंह खेमोआना, उपप्रधान परविन्दर सिंह और सचिव अनिल भट्ट ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से पास किए तीन खेती कानूनों, लेबर कानूनों में संशोधन और नई शिक्षा नीति के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए डेमोक्रेटिक टीचर्ज फ्रंट पंजाब पिछले लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। इसमें पंजाब भर के सरकारी स्कूलों के अध्यापकों की तरफ से 21 फरवरी को बरनाला में होने जा रही बरनाला किसान -मजदूर महा रैली में शामिल होने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह 28 फरवरी को पुरानी पैंशन बहाल करवाने के लिए पटियाला में हो रही प्रदेश स्तरीय रैली में भी डेमोक्रेटिक टीचर्ज फ्रंट शामिल होगा। साल 2004 के बाद भर्ती हुए समूचे मुलाजिमों पर नई पैंशन स्कीम लागू कर सरकार ने मुलाजिमों के भविष्य के साथ खीलवाड़ किया है। पुरानी पैंशन के लिए लड़ना अब ज़रूरत है जिसके लिए डेमोक्रेटिक टीचर्ज फ्रंट नई पैंशन के अधीन आते समूचे मुलाजिमों के संघर्ष में कंधे के साथ कंधा जोड़कर संघर्ष करेगी। प्रदेश स्तर के नेताओं जसविन्दर सिंह,  नव चरनप्रीत कौर, ब्लाक प्रधान भुपिन्दर सिंह माईसरखाना, कुलविन्दर सिंह विर्क, भोला राम,  राजविन्दर जलाल,  अंग्रेज़ सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति रद्द करवाने, अहलूवालिया कमेटी की सभी सिफारश रद्द करवाने, तीनों खेती कानून और दूसरे लोक विरोधी कानून रद्द करवाने, बिजली एक्ट 2020 रद्द करवाने,  पुरानी पैंशन बहाल करवाने और वेतन आयोग की रिपोर्ट तुरंत जारी कराने, सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली और सार्वजनिक वितरण प्रणाली बहाल कराने वाले सभी संघर्षों में संगठन की तरफ से हिस्सा लिया जाएगा। 
जिला नेताओं बलजिन्दर कौर, बलजिन्दर सिंह, हरमिन्दर सिंह गिल, जसविन्दर सिंह बॉक्सर ने बताया कि डीटीएफ पंजाब की प्रदेश लीडरशीप के फैसले के अंतर्गत किसान संघर्ष का डटकर समर्थन देने के लिए संगठन की तरफ से घोषित प्रदेश स्तरीय 21 फरवरी की संगरूर रैली रद्द की गई है जिससे किसान महा रैली में सभी नेता शामिल हो सके। वक्ता ने बताया कि 28 फरवरी की पटियाला में होने जा रही पुरानी पैंशन बहाली के लिए रैली में भी हिस्सा लेने का फैसला लिया गया है। 
फोटो -किसान संगठनों की हिमायत के संबंध में जानकारी देते डीटीएफ मुलाजिम कमेटी के सदस्य़। 

23 फरवरी को डायरेक्टर सेहत विभाग के दफ्तर का घेराव करेंगे सेहत कर्मी 


बठिंडा।
सेहत मुलाजिम संघर्ष कमेटी पंजाब की मीटिंग वीरवार को प्रदेश नेता गगनदीप सिंह की अगुआई में सिविल अस्पताल बठिंडा में हुई। इस मीटिंग में कमेटी की तरफ से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए किए जा रहे संघर्ष ओर तेज करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। इसके तहत 23 फरवरी चंडीगढ़ में स्थित डायरेक्टर सेहत विभाग के दफ्तर का घेराव करने का फैसला वीरवार को हुई मीटिंग में लिया गया और इस घेराव को सफल बनाने के लिए सेहत कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई। कमेटी के नेता गगनदीप सिंह ने बताया कि पूर्व 21 जनवरी से डायरेक्टर दफ्तर चंडीगढ़ में  लगातार सेहत कर्मियों की हड़ताल चल रही है। हररोज दफ्तर के बाहर सेहत कर्मियों द्वारा हड़ताल की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, जिसके चलते कमेटी ने संघर्ष ओर तेज करने का मन बनाया है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार भी केंद्र सरकार की तर्ज पर सरकारी विभागों का निजीकरण करने की तैयारी कर रही है। लोगों को रोजगार देने की बजाय उन्हें बेरोजगार करने का योजना बना रही है। लोगों को मिलने वाली सेहत सुविधाएं खत्म करने की तैयारी भी पंजाब सरकार की तरफ से की जा रही है। कमेटी के जसविंदर शर्मा और रंजीत कौर ने बताया कि जब तक सरकार कच्चे कर्मियों को पक्का नहीं करने,नवनियुक्त मल्टीपर्पज हेल्थ वर्करों का प्रवेशन पीरियड 2 साल नहीं करने और कोविड कर्मियों को स्पेशल इंक्रीमेंट नहीं देने के अलावा बठिंडा में शांतिमाई रोष मार्च करने वाले सेहत कर्मियों पर दर्ज किए गए पुलिस केस रद्द नहीं किए जाते, तब तक इसी तरह से संघर्ष जारी रहेगा। कमेटी की भूपिंदर कौर तलवंडी और राजेश कुमार मौड़ ने बताया कि सेहत मुलाजिम संघर्ष कमेटी पंजाब की तरफ से 23 फरवरी को सेहत डायरेक्टर दफ्तर का घेराव किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है और बठिंडा जिले से बड़ी संख्या से सेहत कर्मी डायरेक्टर दफ्तर का घेराव करने के लिए शामिल होंगे, इस बाबत सेहत कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई लगाई गई है। राजविंदर सिंह, जगदीश सिंह, मनप्रीत सिंह ने बताया मांगें पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा, वही जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब तक कोविड वैक्सीन का बायकाट भी जारी रहेगा। इस मौके पर सुरिंदर कौर, अमरजीत कौर, शिवपाल सिंह, हरविंदर सिंह, सरबजीत सिंह, निर्मल सिंह, किरणजीत आदि उपस्थित थे।

फोटो- मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते सेहत मुलाजिम। 

शादी समारोह में महिलाओं के साथ नाचने से रोका तो 12 लोगों ने मिलकर सुबह सैर करने जा रहे व्यक्ति से की मारपीट, सोने की चैन छीनकर फरार


बठिंडा.
 विवाह समारोह में डीजे पर महिलाओं के साथ नाचने से रोकने पर करीब 12 लोगों ने मिलकर एक व्यक्ति को रास्ते में रोककर मारपीट की व उसके गले में डाली सोने की चैन छीनकर फरार हो गए। तलवंडी साबों पुलिस के पास गगनदीप सिंह वासी रामगढ़ भूदड़ गांव ने शिकायत दर्ज करवाई कि कुछ दिन पहले वह एक विवाह समागम में गए थे। वहां गुरप्रीत सिंह, जसबीर सिंह, गग्गी सिंह, अमरिक सिंह, कृष्ण सिंह, हरमन सिंह वासी नसीबपुरा भी आए हुए थे। विवाह में उक्त लोग उनकी घर की महिलाओं के साथ डीजे चलने पर जानबूझकर बीच में आकर नाचने लगे। उन्होंने उन्हें ऐसा करने से रोका तो उक्त लोग देख लेने की धमकी देकर वहां से चले गए। इसके बाद गत दिवस जब वह सुबह के समय नसीबपुरा गांव में सुबह की सैर करने जा रहा था तो उक्त छह लोगों ने अपने छह अन्य साथियों के साथ उसे रास्ते में रोक लिया व गाली गलोच करने लगे। इसके बाद उसके साथ मारपीट करने लगे। यही नहीं जाते समय उक्त हमलावरों ने उसके गले में डाली सोने की चैनी भी छीन ली व जाते हुए जान से मारने की धमकियां दी। फिलहाल पुलिस ने आरोपी लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।  

10 महीने पहले वट्सएप पर दी गालियां अब जाकर पुलिस ने दर्ज किया केस 

बठिंडा। वट्सएप मैसेज में एक व्यक्ति को जातिसूचक शब्द लिखने व गाली गलोच करने के मामले में कनाल पुलिस थाना ने श्री गंगानगर वासी एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कनाल कालोनी पुलिस के पास जसदीप सिंह वासी सुरखपीर रोड बठिंडा ने शिकायत दी कि करीब 10 माह पहले 6 अप्रैल 2020 को अवतार सिंह वासी गली नंबर एक शिवम कालोनी सद्भावना रोड श्री गंगानगर वासी ने उसे वट्सएप पर एड किया व इसके बाद उसमें जाति सूचक शब्द लिखने लगा जब उसने विरोध किया तो उसने उसके साथ गाली गलोच की। इस मामले में पुलिस के पास पहले ही लिखित शिकायत दे दी गई थी लेकिन मामले में करीब 10 माह तक जांच करने के बाद पुलिस ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया है इसमें अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।



बठिंडा नगर निगम चुनाव में आप के आठ, बीजेपी के दो व आजाद चार वार्डो में रहे दूसरे नंबर पर, ज्यादातर वार्डों में मुकाबला अकाली दल व कांग्रेस का ही रहा


बठिडा।
नगर निगम चुनाव में ज्यादातर वार्डों में मुकाबला अकाली दल व कांग्रेस का ही रहा। यानि कि दूसरे स्थान पर शिअद या कांग्रेस केउम्मीदवार ही रहे। जबकि आम आदमी पार्टी महज आठ वार्डों में ही दूसरा स्थान प्राप्त कर पाई और भाजपा के उम्मीदवार केवल दो वार्डों में ही फाइट दे पाए। चार 4 वार्डों में जीतने वाले उम्मीदवार का नजदीकी मुकाबला आजाद उम्मीदवारों से हुआ।
आम आदमी पार्टी ने वार्ड नंबर 2,15,16,24,32,33,38 व 40 में जीतने वाले उम्मीदार को फाइट दी और दूसरे स्थान पर रही। इनमें सबसे कम मार्जिन से वार्ड 32 की उम्मीदवार मनदीप कौर रामगढि़या रही। वह केवल 164 के अंतर से पीछे रही है। जबकि वार्ड 24 में सबसे ज्यादा मार्जिन रहा। वार्ड 24 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अशोक कुमार 703 वोट मिले हें जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी शाम लाल जैन 2550 वोट। दोनों में 1847 वोटों का अंतर है लेकिन बाकी के उम्मीदवारों के इनसे भी कहीं कम वोट मिले हैं। वार्ड 40 में 898, वार्ड 36 से 865, वार्ड 37 में 1430, वार्ड 38 में 1115, वार्ड 15 में 233, वार्ड 16 में 1149, वार्ड 32 में 961, वार्ड 2 में 1337 के अंतर से पीछे रहे हैं।
भाजपा के उम्मीदवार वार्ड नंबर 35 व 49 में दूसरे स्थान पर रहे हैं। इसमें वार्ड 49 में कांग्रेस की प्रत्याशी कमलेश रानी को 1275 वोट मिले जबकि बीजेपी की शमा रानी को 633,यानि कि 642 वोटें से पीछे रही। इसी प्रकार वार्ड 35 में कांग्रेस के रमन गोयल को 1453 वोट और बीजेपी की सीमा अरोड़ा 319 वोट मिले। यान कि 1134 वोटें से बीजेपी प्रत्याशी पीछे रही है। बठिडा के वार्ड 12, 21, 29 व 42 में आजाद उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं।
बठिडा नगर निगम पर 53 साल बाद कांग्रेस का कब्जा हुआ है। पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 50 वार्डो में से 43 पर परचम लहराया, जबकि 53 साल से निगम पर काबिज शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को सात सीटें ही मिल पाईं। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपना खाता तक नहीं खोल पाए। बठिडा के पचास वार्डों में से 1, 7, 8, 13, 19, 20 व 22 में शिअद ने जीत दर्ज कराई है, जबकि बाकी के वार्डों में कांग्रेस ने जीत प्राप्त की है।
बठिडा जिले में नगर निगम समेत नगर कौंसिलों और नगर पंचायत में कुल 224 वार्डों पर चुनाव लड़े गए। इनमें से लहरा मोहब्बत की चार सीटों पर किसी ने भी नामांकन नहीं भरा था। बाकी के 220 वार्डों में से 154 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि शिअद को सिर्फ 33 वार्डों पर ही सब्र करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी को सिर्फ तीन वार्डों मे ही जीत मिली है, जबकि बहुजन समाज पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पाई। वहीं भाजपा इस चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। हालांकि 29 आजाद चुनाव जीत गए हैं। छह में पांच कौंसिलों और आठ पंचायतों में से छह पर भी कांग्रेस विजयी निकाय चुनाव में जिले में कांग्रेस ने छह नगर कौंसिलों में से पांच पर शानदार जीत हासिल की है, जबकि आठ नगर पंचायतों में से छह पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। बठिडा देहाती हलके की नगर पंचायत संगत मंडी पर शिअद कब्जा कर लिया है। छह नगर कौंसिलों तथा आठ नगर पंचायतों के 164 वार्डों में 111 पर कांग्रेस, 26 पर शिअद, तीन पर आप, एक पर बसपा तथा 30 पर आजाद उम्मीदवार विजयी रहे हैं। इन नगर पंचायतों तथा नगर कौंसिलों की वोटों में सिर्फ नथाना नगर पंचायत से ही आप के तीन उम्मीदवार सफल हुए हैं जबकि अन्य जगहों पर आप का पत्ता साफ हो गया है। बसपा ने भी एक सीट जीतकर अपनी हाजिरी दर्ज करवा दी है।
बठिडा नगर निगम को अपने 50 नए पार्षद मिल गए हैं। बेशक 50 वार्डों में 43 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है, लेकिन फिर भी शहर मे 50 वार्डों में 1506 वोटरों को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आया, जिन्होंने चुनाव वाले दिन नोटा का बटन दबाया, जबकि शहर में होने वाले चुनावों के समय 282 उम्मीदवार चुना मैदान में थे।

प्रत्याशियों में अकाली दल, आप व भाजपा के 50-50 उम्मीदवार थे तो भाजपा के 39 उम्मीदवारों के अलावा 83 आजाद, 8 बसपा व 2 सीपीआइ एम के उम्मीदवार थे। मगर नतीजा आने के बाद सब कुछ उलट ही हो गया। यहां पर तो हर जगह कांग्रेस का ही दबदबा रहा। शहर के वार्ड नंबर 12 में सबसे ज्यादा 13 उम्मीदवार थे, यहां पर भी 37 लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। हालांकि शहर के वार्ड नंबर 34 में सबसे कम 34 लोगों ने नोटा का बटन दबाया तो वार्ड नंबर 30 में सबसे ज्याद 71 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। 

वार्डो में इतने लोगों ने दबाया नोटा

वार्ड/ नोटा

1- 47

2- 20

3- 27

4- 34

5 -42

6- 27

7 -33

8- 33

9- 40

10- 21

11 -38

12- 37

13- 35

14- 26

15- 39

16- 28

17- 21

18- 39

19 -48

20- 39

21- 29

22- 33

23- 21

24- 17

25- 45

26- 33

27- 27

28- 36

29- 17

30- 71

31- 27

32- 21

33- 21

34- 14

35 -31

36- 24

37- 22

38- 29

39 -34

40- 19

41- 39

42- 18

43 -25

44 -19

45 -41

46- 27

47- 21

48 -25

49 -23

50 -23

बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

किसान आंदोलन का 84वां दिन:किसान कल देशभर में 4 घंटे तक रेल रोकेंगे; रेलवे ने अतिरिक्त फोर्स तैनात की, पंजाब-हरियाणा-यूपी पर फोकस


नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में पिछले ढाई महीने से आंदोलन कर रहे किसान गुरुवार को देशभर में 4 घंटे के लिए रेल रोको आंदोलन करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ गुरुवार को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर में 'रेल रोको आंदोलन' होगा।

इधर, रेलवे ने भी सुरक्षा के लिहाज से रेलवे प्रोटेक्शन स्पेशल फोर्स की 20 अतिरिक्त कंपनियां तैनाती की हैं। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के डायरेक्टर जनरल अरुण कुमार ने कहा, 'हम चाहते हैं कि किसान यात्रियों के लिए असुविधा पैदा न करें। हम चाहते हैं कि वे 4 घंटे शांति से बीत जाएं। मुख्य फोकस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल पर रखा गया है।'

SHO पर हमला करने वाला अरेस्ट
84 दिन से किसान दिल्ली की सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति ने मंगलवार रात पुलिस अधिकारी पर तलवार से हमला कर दिया था। इसके बाद वह पुलिस अधिकारी की गाड़ी लेकर भाग गया। घायल SHO को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस ने बुधवार को बताया कि आरोपी का नाम हरप्रीत सिंह है। उसने रात करीब 8 बजे सिंघु बॉर्डर पर यह वारदात की। पुलिस के जवानों ने PCR वैन से उसका पीछा किया। हरप्रीत ने मुकरबा चौक के पास फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ा दी। इसके बाद वह एक व्यक्ति से बाइक छीनकर फरार हो गया। पुलिस ने करीब 8.30 बजे उसे पकड़ लिया।

सूत्रों का कहना है कि आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि आरोपी पर कानूनी कार्रवाई चल रही है।

26 जनवरी हिंसा मामले में 1 और गिरफ्तारी
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान कथित तौर पर तलवार घुमाते दिखे मनिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बुधवार को बताया कि 30 साल का मनिंदर कार मैकेनिक है। उसे मंगलवार शाम करीब 7.45 बजे दिल्ली के पीथमपुरा से पकड़ा गया। उसके घर से 2 तलवारें भी बरामद हुई हैं।

DCP (स्पेशल सेल) प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि मनिंदर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह दोनों हाथों से तलवार घुमाकर भीड़ को उकसा रहा था। मनिंदर स्वरूप नगर में अपने घर के पास खाली प्लॉट में तलवार चलाने की ट्रेनिंग देता है। सोशल मीडिया की पोस्ट से उसके कट्टरपंथी होने का खुलासा हुआ है। वह अक्सर सिंघु बॉर्डर पर आता था और वहां के नेताओं के भाषणों से प्रेरित था।

किसान आंदोलन के राजनीतिक नुकसान से भाजपा चिंतित
किसान आंदोलन राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, इससे भाजपा की चिंता बढ़ रही है। उसका मानना है कि इसका जल्द हल नहीं निकला तो उसे चुनावो में जाट बहुल इलाकों में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।

इन क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों के फीडबैक के आधार पर पार्टी अब अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। शीर्ष नेतृत्व ने इसके लिए इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्र खासतौर पर जाट किसानों से लगातार संपर्क में रहने को कहा है।

जाट वोट बैंक पर पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति बनाई
किसान आंदोलन से राजनीतिक नुकसान की आशंका को देखते हुए दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में मंगलवार को बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष शामिल हुए। इन नेताओं ने विधायकों और स्थानीय नेताओं से आग्रह किया कि वे इन क्षेत्रों में स्थानीय खापों, पंचायतों और सामुदायिक समूहों के साथ संपर्क करें ताकि पार्टी और सरकार की स्थिति को समझाया जा सके।

किसान आंदोलन के जारी रहने और पार्टी के जमीनी कैडर से मिले फीडबैक के बाद पार्टी नेतृत्व को यह बैठक करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने 2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है। अब विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस जाटों को लुभाने का प्रयास कर रही है। प्रियंका गांधी लगातार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों में शामिल हो रही हैं।

पंजाब निकाय चुनाव एनालिसिस:कांग्रेस को सत्ता का लाभ; अकाली दूसरा बड़ा दल बना लेकिन गढ़ बठिंडा खोया; किसान आंदोलन में BJP ने होशियारपुर-पठानकोट गंवाया



  • 6 नगर निगमों व 78 नगर काउंसिल पर कांग्रेस को मिला बहुमत, मोगा में भी सबसे बड़ी पार्टी
  • 5 नगर काउंसिल पर जीत हासिल करने में कामयाब रहा अकाली दल
  • किसानों के विरोध की वजह से होशियारपुर, पठानकोट व बटाला में BJP चंद सीटों पर सिमटी

चंडीगढ़। पंजाब में होने वाले अगले साल विधानसभा चुनाव को सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनाव परिणाम बुधवार को आ गए। इसमें कांग्रेस को सत्ता का फायदा मिला। कांग्रेस ने 8 नगर निगमों में से 6 में बहुमत हासिल कर दिया। जबकि 50 वार्ड वाले मोगा 20 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई। वहीं, मोहाली का परिणाम कल आएगा।

नगर काउंसिल और पंचायतों में भी 78 पर जीत हासिल कर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इस चुनाव की सबसे बड़ी बात यह रही कि भाजपा से गठजोड़ तोड़ने के बाद भी अकाली दल (SAD) 5 नगर परिषद में जीत हासिल करने वाली दूसरी पार्टी बन गई। हालांकि, अकाली दल ने अपना गढ़ बठिंडा खो दिया, जहां पिछले दो साल से लगातार निगम में उनका ही मेयर था। अब 53 साल बाद यहां कांग्रेस मेयर बनेगा। किसान आंदोलन की वजह से पंजाब में विरोध झेल रही भाजपा पठानकोट, होशियारपुर और बटाला जैसे अपने गढ़ खो दिए।

सबसे बड़ा झटका अगले साल पंजाब में सरकार बनाने का दावा ठोकने वाली AAP को लगा है, जिनके दिल्ली मॉडल को पंजाब के लोगों ने इन चुनावों में पूरी तरह से नकारते हुए कहीं भी बहुमत के काबिल नहीं बनाया।

किसान आंदोलन: भाजपा का विरोध लेकिन किसी एक दल को समर्थन नहीं
पंजाब निकाय चुनावों में किसान आंदोलन राजनीतिक असर को लेकर अब चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसानों ने पूरे पंजाब में BJP का बहिष्कार किया था। इसका बड़ा असर भी दिखा लेकिन भाजपा अपने गढ़ पठानकोट, होशियारपुर व बटाला में कुछ सीटें पाने में जरूर कामयाब रही। कांग्रेस व अकाली दल के साथ AAP ने खुलकर किसानों के संघर्ष का समर्थन किया लेकिन फायदा किसी एक को नहीं मिला। कांग्रेस जरूर ज्यादा सीटें जीती हैं लेकिन इसके लिए उनका पंजाब में सरकार होना अहम कारण माना जा रहा है। अकाली दल ने किसान हित की बात कह केंद्र में मंत्री पद छोड़ने के बाद गठजोड़ तोड़ा व 5 बार CM रहे प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण भी लौटा दिया लेकिन इन चुनावों में उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिला। आप किसानों के साथ दिल्ली के विकास मॉडल को लेकर चुनाव में आई थी लेकिन फिसड्‌डी साबित हुई।

अकाली दल को मिला वापसी का रास्ता
पंजाब निकाय चुनाव में शिराेमणि अकाली दल को बहुत कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन पिछले विस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहने व फिर भाजपा से गठजोड़ टूटने के बाद वो राजनीतिक हाशिए पर जाते नजर आ रहे थे। अब निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार से जहां अकाली दल दूसरे नंबर पर आई है। वहीं, कांग्रेस विधायक हरजोत कमल की पत्नी व कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी के भाई के हारने से अकाली दल को राजनीतिक तौर पर इसे भुनाने का मौका मिल गया है।

...लेकिन विस चुनाव से अलग निकाय चुनाव
पंजाब निकाय चुनावों को भले ही अगले विस चुनावों का ट्रेलर या सेमीफाइनल कहा जा रहा हो लेकिन इनका मूल अंतर भी समझना होगा। विस चुनाव जहां पार्टी की छवि व नीति पर लड़े जाते हैं वहीं निकाय चुनाव ज्यादातर उम्मीदवार व मतदाता के आपसी संबंध पर निर्भर हो जाते हैं। इन चुनावों में लोग पार्टीबाजी से ऊपर उठकर मतदान करते हैं। जीत के लिहाज से कांग्रेस जरूर इन्हें भुना रही है लेकिन सच्चाई यह भी है कि इन चुनावों में कई उम्मीदवारों ने पार्टी का चुनाव चिन्ह छोड़ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।

संगरूर में जीत की खुशी मना रहे थे दो आजाद प्रत्याशी, प्रशासन ने पराजित घोषित किया तो घेरा ईवीएम का ट्रक


लहरागागा (संगरूर)।
बुधवार को घोषित हुए नगर कौंसिल चुनाव के परिणाम में पहले पराजित हुए लहरागागा के दो  उम्मीदवारों को बाद में विजेता घोषित करने से लोगों में नाराजगी फैल गई। विरोध में समर्थकों ने ईवीएम लेकर जा रहे ट्रक काे घेर लिया। उन्होंने नहर के पुल पर धरना लगाकर जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि पुनः मतगणना करके पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए।

बाबा हीरा सिंह भट्ठल काॅलेज में ईवीएम  के जरिए वोट की गिनती की गई थी। ऐसे में विजेता घोषित किए जाने पर वार्ड नंबर दो से लहरागागा विकास मंच के सुरिंदर कौर व वार्ड नंबर आठ के आजाद उम्मीदवार सुरिंदर सिंह अपने समर्थकों के साथ लड्डू बांटते हुए खुशी-खुशी अपने वार्डों में लौट रहे थे। तभी अचानक प्रशासन ने उन्हें पराजित करार दे दिया। कांग्रेस के दो उम्मीदवारों को विजेता घोषित किया गया।
इस पर उम्मीदवारों और उनके समर्थकों ने ईवीएम ले जा रहे ट्रक को काॅलेज के गेट पर ही घेर लिया और प्रशासन व चुनाव अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की। उम्मीदवारों के समर्थकों ने लहरागागा-सूनाम मुख्य मार्ग को जाम कर धरना लगा दिया। मंच के नेता वरिंदर गोयल एडवोकेट, अनिल गर्ग एडवोकेट, भाजपा नेता विनोद सिंगला, आजाद उम्मीदवार संदीप कुमार, गुरी चहल, दविंदर नीटू, आढ़ती एसोसिएशन के जिला प्रधान संजीव सिंगला ने कहा कि चुनाव अधिकारी की मौजूदगी में विजय घोषित हुए उम्मीदवार सुरिंदर कौर व सुरिंदर सिंह को हारा हुआ करार दिया गया है।


चुनाव अधिकारी पर कांग्रेस के दवाब में काम करने का आरोप

स्थानीय चुनाव अधिकारी कांग्रेस के दबाव में आकर कागज भरने तक इसी प्रकार की धांधली करते आ रहे हैं। एसडीएम सरकार की शह पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारी ने विजेता उम्मीदवारों को विजेता सर्टिफिकेट कार्यालय में जाकर देने की बात कही थी लेकिन बाहर आते ही उन्हें हारा हुआ उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।

हमने विजेताओं की लिस्ट जारी नहीं कीः चुनाव अधिकारी


इस संबंध में चुनाव अधिकारी जीवनजोत कौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी विजेता उम्मीदवार की लिस्ट जारी नहीं की थी। जो लिस्ट तैयार है, उसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया है।

Punjab Local Body Election: जीत से उत्‍साहित कांग्रेस ने लांच किया कैप्टन फार 2022, जाखड़ बोले- अम‍रिंदर ही होंगे चेहरा


चंडीगढ़।
Punjab Local Body Election Results: पंजाब के स्‍थानीय निकाय चुनावों में भारी जीत से कांग्रेस बेहद उत्‍साहित है। पार्टी को इसके बाद 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भी जोश मिला है। इस जीत से उत्‍साहित पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष सुनील जाखड़ ने 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया। उन्‍होंने 'कैप्‍टन फार 2022' (Captain For 2022) अभियान लांच कर दिया। जाखड़ ने साफ कहा कि 2022 में होनेवाले विधानसभा चुनाव कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व में लड़ा जाएगा।

यहां पत्रकारों से बातचीत में सुनील जाखड़ ने कांग्रेस की जीत का सेहरा पार्टी कार्यकर्ताओं के सिर बांधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व पार्टी की नीतियों की जीत हुई है। वहीं, पंजाब को टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने की साजिश रचने वाली पार्टियों की हार हुई है। जाखड़ ने सात नगर निगम और 98 नगर काउंसिल व नगर पंचायतों में कांग्रेस की जीत का परचम लहराने के बाद कैप्टन फार 2022 को लांच किया।
 इसके साथ ही जाखड़ ने स्पष्ट कर दिया कि 2022 में कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी।
जाखड़ ने कहा, पंजाब के लोगों ने इतना बड़ा फतवा देकर पार्टी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है। जो लोग निकाय चुनाव को 2022 का सेमीफाइनल बता रहे थे, हकीकत में यह कांग्रेस के लिए लांचिक पैड है। कैप्टन फार 2022 को लेकर उन्होंने कहा लोगों ने कैप्टन सरकार की नीतियों को समर्थन दिया है। कांग्रेस डेवलपमेंट के एजेंडे पर 2022 का चुनाव लड़ेगी।

शिअद और भाजपा का फिर हो सकता है गठबंधन

सुनील जाखड़ ने कहा कि चुनाव में पंजाब के टुकड़े-टुकड़े करने की नीति अपनाने वाली भाजपा और उसका साथ देने वाली शिरोमणि अकाली दल को लोगों ने आइना दिखा दिया है। दोनों ही पार्टियां पंजाब के डिस्टर्ब करना चाहती थीं। जाखड़ ने कहा कि निकाय चुनाव में हार के बाद इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि दोनों ही पार्टियों एक बार फिर से एक साथ हो जाएं।

जाखड़ ने कहा कि दोनों पार्टियों भले ही एक दूसरे से अलग होने का दिखावा कर रही हों लेकिन हकीकत में दोनों एक साथ ही है। चुनाव में हार के बाद अब ये दोनों फिर से एक साथ हो सकती है। बस देखना यह होगा कि क्या शिरोमणि अकाली दल के नेता भाजपा नेता से जाकर माफी मांगते हैं या भाजपा नेता बादल से जाकर माफी मांगते हैं। जाे भी हो, लेकिन होंगे दोनों एक साथ ही। 

सोशल मीडिया से कुछ नहीं होता

उन्‍होंने आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर पंजाब की नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश करने वाली पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। यह दूसरा मौका है जब आप को करारा झटका लगा है। सोशल मीडिया पर तो आम आदमी पार्टी खासी सक्रिय रहती है लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। यहां तक भी आप के एक मात्र सांसद भगवंत मान के संगरूर में भी आप का सूपड़ा साफ हो गया।

जाखड़ ने कहा कि‍ आप नेता अमन अरोड़ा के सुनाम का भी यही हाल है। आप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान कभी भी पंजाब के हितों की बात नहीं की। उनका पूरा फोकस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब को बदनाम करने की तरफ रहा। यही कारण है कि लोगों ने आप को सबक दिखाया।

ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਸਮੇਤ 5 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਅਤੇ 6 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ’ਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਹੋਇਆ ਕਬਜ਼ਾ 224 ’ਚੋਂ 220 ਵਾਰਡਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜ਼ੇ ਜ਼ਿਲੇ ਅੰਦਰ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਨਹੀਂ ਖੁੱਲਿਆ ਖ਼ਾਤਾ


ਨਗਰ ਨਿਗਮ, ਨਗਰ ਕੌਸਲਾਂ ਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜੇ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ


ਬਠਿੰਡਾ, 17 ਫ਼ਰਵਰੀ : ਸਥਾਨਕ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ’ਚ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ 14 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਵਿਚੋਂ 5 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਤੇ 6 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ’ਤੇ ਭਾਰੀ ਬਹੁਮਤ ਨਾਲ ਕਬਜ਼ਾ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਜਦਕਿ 1 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਲਹਿਰਾ ਮੁਹੱਬਤ ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੇ ਖ਼ਾਤੇ ਰਹੀ ਹੈ। ਇਹ ਜਾਣਕਾਰੀ ਜ਼ਿਲਾ ਚੋਣ ਅਫ਼ਸਰ-ਕਮ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸ਼੍ਰੀ ਬੀ.ਸ੍ਰੀਨਿਵਾਸਨ ਨੇ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ।

          ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ, ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਅਤੇ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਕੁੱਲ 224 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 220 ਵਾਰਡਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ 153 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 33 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ, 3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 30 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਹਨ।

          ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰਪੂਰਵਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦਿਆਂ ਜ਼ਿਲਾ ਚੋਣਕਾਰ ਅਫ਼ਸਰ-ਕਮ-ਡਿਪਟੀ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸ਼੍ਰੀ ਬੀ.ਸ੍ਰੀਨਿਵਾਸਨ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਬਠਿੰਡਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ 50 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 43 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜੇਤੂ ਰਹੇ।

          6 ਨਗਰ ਕੌਂਸਲਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਮੌੜ ਦੇ 17 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 3 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ, ਰਾਮਾਂ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਦੇ 15 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 11 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਗੋਨਿਆਣਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 6 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ, ਕੋਟਫੱਤਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ, ਜਦਕਿ ਸੰਗਤ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਦੇ 9 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋ 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 7 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਅਤੇ ਨਗਰ ਕੌਂਸਲ ਭੁੱਚੋਂ ਮੰਡੀ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 2 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ 8 ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਗਏ ਨਤੀਜਿਆਂ ਅਨੁਸਾਰ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਕੋਠਾਗੁਰੂ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਸਾਰੇ ਹੀ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਭਗਤਾ ਭਾਈਕਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਮਲੂਕਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 9 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਅਤੇ 2 ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਭਾਈਰੂਪਾ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 8 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 4 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼ੋ੍ਰਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 1 ਬਹੁਜਨ ਸਮਾਜ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਿਹਾ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਮਹਿਰਾਜ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਕੋਟਸ਼ਮੀਰ ਦੇ 13 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 10 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਤੇ 2 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ। ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਨਥਾਣਾ ਦੇ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 1 ਉਮੀਦਵਾਰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਤੇ ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ 3-3 ਉਮੀਦਵਾਰ ਅਤੇ 4 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਜੇਤੂ ਰਹੇ।

          ਇਸੇ ਤਰਾਂ ਨਗਰ ਪੰਚਾਇਤ ਲਹਿਰਾ ਮੁਹੱਬਤ ਦੇ ਕੁੱਲ 11 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚੋਂ 7 ਅਜ਼ਾਦ ਉਮੀਦਵਾਰ ਬਿਨਾਂ ਮੁਕਾਬਲਾ ਜੇਤੂ ਰਹੇ ਜਦਕਿ 4 ਵਾਰਡਾਂ ’ਚ ਉਮੀਦਵਾਰਾਂ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ ਰੱਦ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕੋਈ ਉਮੀਦਵਾਰ ਚੋਣ ਮੈਦਾਨ ’ਚ ਨਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਖਾਲੀ ਰਹਿ ਗਏ ਹਨ ਜਿੱਥੇ ਚੋਣ ਕਮਿਸ਼ਨ ਦੀਆਂ ਹਦਾਇਤਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਭਵਿੱਖ ਵਿਚ ਪੋਿਗ ਹੋਵੇਗੀ।

बठिंडा नगर निगम व 14 नगर कौंसिल व पंचायत चुनावों के 224 वार्डों में से 154 पर कांग्रेसी जीते

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मात्र 33 वार्डों में जीत हासिल कर अकाली दल रहा दूसरे नंबर पर, आम आदमी पार्टी ने तीन सीट जीतकर नथाना में खोला खाता 
बठिंडा. बठिंडा जिले में नगर निगम बठिंडा व 14 नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों के लिए हुए चुनाव में 224 वार्डों में से कांग्रेस ने 154 सीटों पर जीत हासिल की है। वही दूसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल ने 33 सीटों पर जीत हासिल की है। जिले में आम आदमी पार्टी के लिए राहत वाली बात है कि उन्होंने नथाना में तीन सीटों पर जीत हासिल की। वही बसपा ने एक व आजाद 29 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। फिलहाल नगर निगम बठिंडा में 50 वार्डों में कांग्रेस ने 43 व अकाली दल ने सात सीटों पर जीत हासिल की। इसी तरह कोठागुरु में 11 सीटों में से 11 में कांग्रेस, भगता में 13 सीटों में 9 कांग्रेस व तीन अकाली दल व एक आजाद उम्मीदवार विजयी हुआ है। मलूका नगर पंचायत में 11 सीटों में 9 पर कांग्रेस व दो पर अकाली दल, भाईरुपा में 13 सीटों में से 8 पर कांग्रेस व 4 पर अकाली दल व एक सीट बसपा के खाते में गई है। महिराज नगर पंचायत की 13 सीटों में से 10 पर कांग्रेस, एक अकाली दल व दो पर आजाद, मौड़ मंडी में 17 सीटों में से 13 पर कांग्रेस, एक पर अकाली दल व तीन आजाद उम्मीदवार जीते। रामा मंडी में 15 वार्डों में से 11 पर कांग्रेस, दो पर अकाली दल व दो आजाद उम्मीदवार, भच्चो मंडी के 13 वार्डों में से 11 पर कांग्रेस व दो पर अकाली दल ने जीत हासिल की है। लहरा मुहब्बत में 11 सीटों में सात पर आजाद उम्मीदवार चुनाव जीते जबकि तीन पर कांग्रेस व अकाली दल, नथाना के 11 वार्डों में से एक पर कांग्रेस, तीन पर अकाली दल, तीन पर आप व चार पर आजाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। गोनियाना नगर कौंसिल की 13 सीटों में से सात पर कांग्रेस व 6 पर आजाद उम्मीदवार विजयी हुए है। संगत नगर कौंसिल की 9 सीटों में दो पर कांग्रेस, सात पर अकाली दल ने जीत हासिल की। कोटसमीर की 13 सीटों में से 10 पर कांग्रेस, एक पर अकाली दल व दो पर आजाद उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। इसी तरह कोटफत्ता नगर पंचायत की 11 सीटों में से 9 पर कांग्रेस व दो पर आजाद ने चुनाव जीता है। इस तरह से बठिंडा जिले में हुए चुनावों में 154 सीटों पर कब्जा कर कांग्रेस आगे रही।  

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