बठिंडा। आज पथरी का इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक इलाज संभव है. शरीर में पथरी बनने का कोई स्पष्ट कारण का तो पता नहीं चला है. पर शरीर में अतिरिक्त गर्मी बढ़ने से, गर्म जलवायु से, कम मात्रा में पानी पीने से इत्यादि कारणों से शरीर में जल की कमी होकर डिहाइड्रेशन की स्थिति हो जाती है जिससे पेशाब में कमी व सघनता हो जाती है. इस कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है, कैल्शियम आक्सलेट पेशाब के माध्यम से बाहर नहीं हो पाता है, इसके अलावा फॉस्फेट, अमोनियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट आदि तत्व किडनी के नली जमने लगते है जो धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं. पाचन प्रणाली के खराबी के कारण भी इस प्रकार के दोष होते हैं व पथरी बनते हैं.
हालांकि पथरी (stone) कई हिस्से में हो सकते हैं, जैसे किडनी में, मूत्राशय में, गोल ब्लाडर में, पित्ताशय में, पेशाब के नली में इत्यादि. पर किडनी में पथरी की रोग अधिक पाये जाते हैं. किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण गलत खानपान व कम पानी पीना है. कम पानी पीने से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किडनी में पथरी बनते हैं.
पथरी के लक्षण - पथरी के बनने पर पेट के निचले हिस्से में, पीठ में या कमर में तीव्र दर्द हो सकता है या चलने-फिरने पर भी दर्द हो सकता है. ये दर्द अचानक होते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ कर असहनीय हो जाते हैं. चूँकि पथरी अलग-अलग स्थानों पर बन सकता है इसलिए दर्द का स्थान भी अलग-अलग हो सकता है. कभी-कभी पथरी का आकार छोटा रहने पर दर्द नहीं होता है जिससे पथरी होने का पता भी नहीं चलता है पर जब इसका आकार बढ़ जाता है तब या जब ये पेशाब के रास्ते में आ जाता है तब दर्द का एहसास होता है.
पेशाब के रास्ता में पथरी आने पर अचानक भयंकर दर्द होता है और दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है जो जांघ, अंडकोष या महिलाओं में योनि द्वार तक चला जाता है. कभी-कभी मूत्रमार्ग में पथरी फँसने से पेशाब रुक जाता है या पेशाब में खून आने लगता है व पेशाब करते समय दर्द होता है. पथरी होने पर पेशाब का रंग बदल जाता है. पेशाब का रंग लाल, गुलाबी या हल्का भूरा हो जाता है. किडनी में पथरी होने पर पेशाब करते समय दर्द भी होता है व जी मचलने तथा उल्टी की भी शिकायत होती है. पथरी का दर्द इतना भयंकर रहता है कि इसके वजह से मरीज न तो बैठ सकता है न लेट सकता है और न खड़ा ही रह सकता है. इस दर्द में एक बेचैनी सी रहती है.
पथरी से बचाव व इलाज -पथरी से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए. भोजन में कैल्शियम व आक्सलेट युक्त पदार्थ का सेवन सीमित मात्रा में ही करनी चाहिए. पथरी होने पर टमाटर, मूली, भिंडी, पालक, बैगन व मीट का सेवन नहीं करना चाहिए. पथरी होने पर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में इसे ऑपरेशन करके या लिथोट्रिप्टर नामक यंत्र से किरण के माध्यम से गलाकर बाहर निकालते हैं. यह अत्यधिक महँगा इलाज है और इससे पथरी निकल तो जाती है पर इससे पथरी बनने की प्रवृति समाप्त नहीं होती है.
पर इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में कई ऐसे चमत्कारी दवाई हैं जिनका लक्षण के आधार पर सेवन करके बिना ऑपरेशन के दवाई द्वारा ही पथरी को निकालकर पथरी बनने के कारण को भी समाप्त किया जा सकता है. पथरी यदि छोटा (समान्यतः 3 मिमी से छोटा) रहता है तो दवाई के प्रयोग से ही यह आसानी से बाहर आ जाता है. पर पथरी बड़ा रहने पर इलैक्ट्रोहोम्योपैथिक दवा के साथ अन्य आधुनिक उपचार की भी जरूरत होती है. सामान्य पथरी 10 से 15 दिन में निकल सकती है लेकिन कई मामलों में खासकर जिसमें डाक्टर आपरेशन की सलाह देते है उसमें इलैक्ट्रोपैथी में दो से तीन माह तक का समय लग सकता है।
1. किडनी व पित्ताशय दोनों तरह की पथरी के लिए यह उत्तम दवा है. किडनी के जगह से दर्द शुरू होकर पेट के निचले हिस्से तक या पाँव तक दर्द का जाना, हिलने-डुलने या दबाव से दर्द बढ़ना, दर्द कम होने पर रोगी का दाहिने ओर झुकना, म्यूकस युक्त या चिपचिपा लाल या चमकदार लाल कण युक्त पेशाब होना, पेशाब में जलन होना, बार-बार पेशाब होना, पेशाब करने के बाद ऐसा महसूस होना जैसे कुछ पेशाब अभी रह गया हो, पेशाब करने पर जांघ या कमर में दर्द होना इत्यादि लक्षण में इलैक्ट्रो होम्योपैथी दवाई का सेवन करना चाहिए.
पेशाब होने से पहले कमर में तीव्र दर्द होना, दायें किडनी में दर्द व पथरी होना, मूत्रमार्ग से मूत्राशय तक जानेवाला दर्द होना, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना, पेशाब में ईंट के चुरा जैसा लाल पदार्थ निकलना, किसी शीशी में पेशाब रखने पर नीचे लाल कण का जम जाना व पेशाब बिल्कुल साफ रहना, पेशाब धीरे-धीरे होना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना चाहिए.
बैठकर पेशाब करने में तकलीफ होना व बूंद-बूंद पेशाब उतरना जबकि खड़े होकर पेशाब करने में आसानी से पेशाब उतरना, पेशाब का मटमैला होना व पेशाब में सफेद पदार्थ निकलना, पेशाब के अंत में असह्य दर्द होना व गर्म चीजों के सेवन से यह दर्द बढ़ना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना लाभदायक रहता है।