महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से बाहर निकलने का कृषि एकमात्र रास्ता
भाजपा, आप और अकाली दल मिलकर भारत के कृषि क्षेत्र को लगा रहे हैं सेंध
चंडीगढ़/बठिंडा। पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण उभरी आर्थिक मंदी से बाहर निकलने के लिए भारत को अमरीकी राष्ट्रपती द्वारा बनाई योजना की तरफ ध्यान देना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री को अमरीकी राष्ट्रपती जो बाइडन के रिकवरी प्लैन से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिसने पहले ही अमरीका के कृषि विभाग को उनके खाद्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
आज बठिंडा में पत्रकारों को संबोधन करते हुए पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देश कोविड के स्वरूप पैदा हुए आर्थिक संकट से बाहर आने के लिए किसानों और कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कृषि मंत्रालय को किसानों और कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके विश्व स्तरीय रणनीति से प्रेरणा लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सेवा और निर्माण क्षेत्र को भारी नु$कसान पहुँचा और यह सिफऱ् कृषि क्षेत्र ही था जो देश की आर्थिकता को बचाने के लिए लाभप्रद साबित हुआ है। जब फ़ैक्ट्रियाँ बंद हो गईं और सेवा क्षेत्र में गिरावट आई, जिस पर किसानों ने अपना काम करना जारी रखा और कोरोना के बावजूद फसलों की काश्त जारी रखी।
मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि भारतीय किसानों ख़ासकर पंजाब के किसानों को उनकी मेहनत, जो उनका स्वभाव भी है, को सलाम करना बनता है परन्तु भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों को सम्मानित करने की बजाय कृषि क्षेत्र ख़त्म करने का फ़ैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि जब दुनिया कृषि में और ज्य़ादा निवेश कर रही है, तो भारत में केंद्र सरकार काले कृषि कानून लागू करने की कोशिश कर रही है, जो हमारे कृषि क्षेत्र को और अधिक संकट में डाल देगी। एनडीए सरकार के काले कृषि कानून न सिफऱ् किसान विरोधी हैं, बल्कि यह बीजेपी के अहंकारी रवैए को भी दिखाते हैं।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) ने किसानों को कमज़ोर करने की कोशिश में भाजपा की सहायता करने में भूमिका अदा की और किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का घटिया यत्न किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि जब मुख्यमंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने पहले ही अपनी मीटिंग की कार्यवाही सार्वजनिक कर दी थी तो आप और भाजपा ने एक प्रैस कॉन्फ्ऱेंस में सच्चाई से अंजान बनते हुए अपने झूठे दावों को फिर दुहराया है। भाजपा ने अकाली दल जैसे अपने हिस्सेदारों और ‘आप’ जैसी सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर साजिश रची कि किसानों में भ्रम पैदा किया जाये और झूठे मुद्दों को उठा कर कृषि कानूनों की असली नीयत संबंधी भ्रम फैलाया।
उन्होंने कहा कि जब देश में गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है, उस समय यह बहुत दुखदायी बात है कि एनडीए ने एक-एक कर सभी संस्थाओं पर निशाना साधा है। चुनाव आयोग, न्यायपालिका, अफसरशाही, सीबीआई, मीडिया और अब विधान सभाओं को भी कमज़ोर कर दिया है। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि कृषि कानून पास किये जाने की जल्दी यह दिखाती है कि हमारी विधान सभाएं कितनी कमज़ोर हो गई हैं।
वित्त मंत्री ने कृषि संकट से उभरने के लिए दोतरफा हल सुझाए हैं। पहला, कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और दूसरा, भारतीय आर्थिकता को मज़बूत करने के लिए विश्वव्यापी तजऱ् पर कृषि में व्यापक निवेश की शुरुआत की जाये। उन्होंने कहा कि अगर हमारे मूलभूत और कृषि क्षेत्र में विकास नहीं होता तो निर्माण और सेवा क्षेत्र का विकास भी संभव नहीं है।
आर्थिकता को फिर रेखा पर लाने की (रिकवरी योजना) अमरीका की योजना का हवाला देते हुए पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि अमरीका में लगभग तीन करोड़ लोगों को भूख का सामना करना पड़ रहा है और इसमें 1 करोड़ 20 लाख बच्चे शामिल हैं। उनकी सहायता के लिए नये अमरीकी प्रशासन ने अन्य सभी मुद्दों की अपेक्षा कृषि और भोजन को प्राथमिकता दी है। पाँच-नुक्ता एजंडे में उन्होंने कृषि को पहली प्राथमिकता दी है, इसके बाद वित्तीय सहायता, बुज़ुर्ग और बेरोजग़ार हैं।
भारत में अमरीका के मुकाबले स्थिति अधिक खऱाब है। अमरीका में दो करोड़ के मुकाबले भारत में 20 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। भारत की खाद्य असुरक्षा प्रणाली नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान से भी नीचे दर्ज की गई है और कोरोना महामारी के दौरान इसमें और पतन आया है। मनप्रीत बादल ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह लाजि़मी है कि भारत सरकार किसान की रोज़ी-रोटी पर हमला करने की बजाय उनको सहायता प्रदान करे।
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