रविवार, 24 जनवरी 2021

सैंकड़ों ‘डाक्टरों’ में निशुल्क क्लासें लगा कर जगा रहे हैं इलेक्ट्रो होम्योपैथी की अलख

  • डा. वरिंदर कौर और  डा. प्रोफेसर हरविंदर सिंह ने पेश की देश में अनूठी मिसाल, ईएच के जन्मदाता काउंट सीजर मैटी के नक्शे कदम पर चलने की कवायद  

बठिंडा. पिछले कई साल से बठिंडा के चंदसर नगर में ये डाक्टर दंपत्ति चिकित्सा जगत की पांचवी पैथी इलेक्ट्रो होम्योपैथी(ई.एच) के प्रसार-प्रचार के लिए निशुल्क शिक्षा दे रहें हैं। यहां पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी की बारकियां सीखने वालों की तादात बहुयात है। हर शनिवार को तीन-चार घंटे की लगने वाली कलास में शहर के गली-मुहल्लों में प्रेक्टिस कर रहे नामचीन डाक्टर भी दिखाई पड़ते हैं। 

इलेक्ट्रो होम्योपैथी की डिग्री व डिप्लोमा धारक यहां से ज्ञान लेने आते हैं। बाकायदा इन बी.ई.एम.एस, डी.ई.एच.एम क्वालीफाईड को प्रेक्टिकल और विभिन्न पेशेंटों की केस हिस्ट्री के माध्यम से रोगों के निदान के लिए समझाया जाता है। यही नहीं लैबोटरी में प्लांट से दवाई बनाने की प्रणाली को भी लाईव दिखाया जाता है। ईएच के जन्मदाता काउंट सीजर मैटी के नक्शे कदम पर चलने की कवायद में जुटे सी.सी मैटी इंस्टीच्ट्यूट आफ इलेक्ट्रो होमेयोपैथी, चंदसर नगर में ये डाक्टर दंपत्ति है, डा. वरिंदर कौर और उनके पति डा. प्रोफेसर हरविंदर सिंह। प्रो. हरविंदर कहते हैं कि देश में साल 1920 के आसपास इलेक्ट्रोहोम्योपैथी की संभवतय: पहली क्लीनिक खुली थी। आज 100 साल हो गए लेकिन उक्त पैथी अपनी मान्यता को लेकर संर्घष कर रही है। वह कहते हैं कि इस बाबत केन्द्र सरकार की ओर से बनाई गई आईडीसी कमेटी से कई बैठकें हो गई है। अब 27 जनवरी को वह दिल्ली में इलेक्ट्रो होम्यौपेथी फाउंडेशन आफ इंडिया के प्रधान डाक्टर परमिंदर एस. पाण्डेय के बुलावे पर सेहत राज्य मंत्री से होने वाली बैठक में भाग लेने जा रहे हैं। यह बैठक विभिन्न ऐसोसिएशन और फैडरेशन सहित रिर्सच व फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों की ओर से संयुक्त रूप से बुलाई गई है। उम्मीद है कि देश में काम कर रहे पांच लाख इलेक्ट्रो होम्योपैथी प्रेक्टिशियनर्स/डाक्टर्स की लंबे समय से चली आ रही मान्यता की मांग पर उक्त बैठक मील का पत्थर साबित होगी। उक्त ई.एच पैथी सस्ती है। इसका कोई साईड इफेक्ट भी नहीं।  

114 तरह के औषधीय पौधो के स्पाक्यरिक एसेंस से होता है इलाज: डा वरिंदर

सी.सी.एम इंस्टीच्ट्यूट आफ इलेक्ट्रो होमेयोपैथी की मेडिकल अफसर डाक्टर वरिंदर कौर कहती हैं कि  इस पैथी की खोज 1865 में इटली के डाक्टर काउंट सीजर मैटी की ओर से की गई थी। इसमें में 114 के पौधों स्पाक्यरिक एसेंस से मरीजों का इलाज किया जाता है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान वैकल्पिक प्रणाली की एक व्यापक शाखा है। इस चिकित्सा प्रणाली में मूल रूप से औषधीय पौधों क रस को आसवन प्रक्रिया की सहायता से तैयार किया जाताहै। वर्तमान में 114 प्रकार के पौधों के स्पाक्यरिक एसेंस से 38 प्रकार की मूल औषधियां तैयार की जा रही हैं। जिनका उपयोग एकल व सम्मलित रूप से 60 से अधिक औषधियों के रूप में किया जा रहा है।  




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