Thursday, January 7, 2021

पंजाब के इंडस्ट्री विभाग में करोड़ों का स्कैम:बोले पूर्व मंत्री सूद- CM के पास हमेशा रहती है क्लीन चिट, इस घपले की होने दें निष्पक्ष जांच;उद्योग मंत्री बोले-है हिम्मत तो सूद करवाएं लाई-डिटेक्टर टेस्ट


  • जमीनें खरीदने और बेचने को लेकर सूद ने पंजाब के उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा पर लगाया करोड़ों के घपले का आरोप
  • कहा- BJP ऐसे घोटालों की इजाजत नहीं देती, मामले में CBI और ED जांच की मांग की

चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद ने कहा है कि पंजाब के इंडस्ट्री विभाग में बड़े घपले हुए हैं। इसमें जमीनें खरीदने की बात हो या फिर बेचने की बात हो। ऑक्शन के जो रिसर्व प्राइस होते हैं, वह भी माने नहीं जाते। सूद का आरोप है कि इंडस्ट्रियल डिपार्टमेंट (इंफोटेक/PSIEC) में मल्टी-करोड़ स्कैम हुआ है। गुरुवार को सेक्टर 37 स्थित पंजाब BJP के कार्यालय में तीक्ष्ण सूद ने मीडिया के सामने इसका खुलासा किया। सूद ने कहा कि BJP ऐसे घोटालों की इजाजत नहीं देती। इसलिए अब वह इस मामले की जांच के लिए CBI और ED को भी लिखेंगे। वह इसके खिलाफ आंदोलन भी करेंगे और जरूरत पड़ी तो कानून का सहारा भी लेंगे।


सूद ने कहा कि कोई भी मंत्री अपने डिपार्टमेंट और उसकी प्रॉपर्टी का कस्टोडियन होता है। पंजाब के उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा पर निशाना साधते हुए सूद ने कहा कि वह खुद लैंड कोलॉनाइजर और डिवेलेपर हैं। जितना विभाग के बारे में वो जानते हैं, उतना मैं भी जानता हूं क्योंकि मैं खुद आठ महीने के लिए उद्योग मंत्री रह चुका हूं। वो आज ये कह रहे हैं कि यह प्लॉट पब्लिक इंटरेस्ट में बेचे गए हैं, इसे माना नहीं जा सकता।


उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल में जब कर्फ्यू लगा हुआ था और परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। उस समय इसकी बिड अप्रूव कर दी गई। वे बोले, हालांकि इसकी बिड अप्रूवल की उस समय कोई अर्जेंसी नहीं थी। सभी दफ्तर बंद थे। उस वक्त कम सर्कुलेशन वाली दो अखबारों में इसके लिए एड दी गई। एड की तारीख बढ़ाई गई और इस दौरान ही एक कंपनी फ्लोट कर दी गई। इसके बाद सिंगल बिड में इसे अप्रूव कर दिया जबकि छोटे प्रोजेक्टों में भी सिंगल बिड से अप्रूवल नहीं मिल पाता।


सूद ने बताया कि इस डील को अप्रूव करने के लिए 26 मार्च 2020 को लेटर इशु किया गया था। इसके बाद 21 अक्टूबर 2020 को हुई मीटिंग में इसे पोस्ट-फैक्टो अप्रूवल दे दी गई। हालांकि, मीटिंग में बैठे कुछ सदस्यों ने इसका विरोध भी किया लेकिन मंत्री के प्रेशर के चलते उनकी सुनी नहीं गई।अजेंडा को गलत तरीके से पास करने का विरोध इनकम टैक्स एडवाइजर सुरिंदर कौर वड़ैच के किया और मीटिंग के दौरान एमडी को वॉट्सएप मैसेज और फिर पांच नवंबर को एक चिट्‌ठी के जरिए उठाते हुए इसमें एडवोकेट जनरल और फाइनेंस डिपार्टमेंट की अप्रूवल लेने के लिए कहा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


मुख्यमंत्री के पास है क्लीन चिट


सूद ने कहा कि वे इसकी निष्पक्ष जांच चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि इसके लिए कोई विजिलेंस या SIT जांच हो। सूद के मुताबिक पंजाब में हुए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलर्शिप स्कैम में मुख्यमंत्री ने SIT बनाई और क्लीन चिट दे दी। वे बोले, हमारे मुख्यमंत्री की जेब में हमेशा क्लीनचिट रहती है। वे इसे तुरंत निकाल कर दे देते हैं। लेकिन वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री इसकी फेयर जांच होने दें।


खुद पर लगे आरोपों पर बोले उद्योग मंत्री


खुद पर लगे आरोपों पर अरोड़ा ने कहा कि सरकार पहले ही इसपर स्पष्टीकरण दे चुकी है कि पूरी डील ट्रांसपेरेंट तरीके से हुई है। सूद मेरे हल्के से हैं और मेरे पतिद्वंदी हैं। दो बार जनता की रिजेक्शन का उनपर असर हुआ है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं। सूद का झूठ पकड़ने के लिए लाई-डिटेक्टर टेस्ट करवाने का चैलेंज दिया।


ऐसे बढ़ा घोटाले का मामला


मामला फेज 8 मोहाली के प्लॉट नंबर A-32 में बन रहे साइबर हब से जुड़ा है। इसके मुताबिक यह प्लॉट साल 1984 में पंजाब इंफोटेक से JCT लिमिटेड को अलॉट किया गया था। लेकिन 2002 में यूनिट को बीमार घोषित और बंद दिया गया।

एसेट्स रीकंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया लिमिटेड को इसे बेचने के लिए नियुक्त किया गया। कंपनी ने पिछले साल चार जनवरी को इसकी ई-ऑक्शन/सेल के लिए 21 जनवरी तब बिड बुलाई गई जिसमें रिजर्व प्राइस 90.50 करोड़ और कंपनी की जानकारी में देयता 25.73 करोड़ बताया गया।

इंफोटेक ने कुल 125.93 करोड़ रुपए के क्लेम की मांग की। इंडस्ट्रियल डिपार्टमेंट की पॉलिसी के मुताबिक PSIEC को इंफोटेक की सभी एसेट्स को मैनेज और डिस्पोज करना था। इसके बाद बिड सब्मिट करने की आखिरी तारीख 17 फरवरी 2020 तक बढ़ा दी।

इसके बाद 31 मार्च को GRG डिवेलपर्स एंड प्रोमोटर्स LLP अस्तित्व में आई जो इस प्लॉट की 90.56 करोड़ में अकेली बिडर थी। इस बिड को कुबूल कर लिया गया। कंपनी को फेवर करने के लिए 90.56 करोड़ की जगह सिर्फ 45 करोड़ ही जमा करवाए गए। बाकी बची पेमेंट को एक्सटेंड कर दिया गया और सेल फॉर्मेलिटीज को बिडर की फेवर में पूरा कर लिया गया।

पोजेशन मिलने के बाद कंपनी ने GRG साइबर हब के नाम पर छोटे प्लॉटों के रूप में जमीन बेचनी शुरू कर दी। एक ब्रॉशर में पब्लिक और वेबसाइट में डालने के बाद कंपनी ने इसे 30 हजार रुपए प्रति स्कवैर यार्ड में बेचना शुरू कर दिया। हालांकि पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर सिंह द्वारा पब्लिक डोमेन में इस मामले को लाने के बाद उस वेबसाइट को हटा दिया गया है।

अगर आंकलन किया जाए तो GRG साइबर हब द्वारा ऑफर किए गए रेट के मुताबिक जमीन की कुल कीमत 465 करोड़ रुपए है जो कंपनी ने 90.56 करोड़ में बिड करके महत 45 करोड़ में खरीद ली।

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