बठिंडा. जाली आरसी बनाने से लेकर कागजों में हेरफेर करने के चलते विवादों में रहने वाले बठिंडा ट्रांसपोर्ट दफ्तर फिर सुर्खियों में आ गया है। इससे पहले दफ्तर के खिलाफ मिली दर्जनों शिकायतों में विजिलेंस विभाग से लेकर राज्य परिवहन विभाग जांच कर रहा है व मानवाधिकार आयोग भी इसमें संज्ञान ले चुका है। फिलहाल लोगों से धोखाधड़ी करने के एक मामले में सोमवार को पानीपत सीआईए तीन की पुलिस टीम ने आरटीए दफ्तर बठिंडा में दबिश दी। हालांकि, इस दौरान पुलिस मामले में नामजद आरटीए दफ्तर का कर्लक मौके पर नहीं मिला, जिसके चलते पुलिस खाली हाथ लौट गई। जबकि बठिेंडा की आरटीए हरजोत कौर का कहना है कि हरियाणा पुलिस को कुछ रिकार्ड चाहिए था, जोकि वह लेने आई थी। उनकी तरफ से पुलिस को उक्त रिकार्ड उपलब्ध करवा दिया गया है।
जानकारी अनुसार अप्रैल 2021 में पानीपत की सीआईए तीन पुलिस ने ओम प्रकाश, चंदर मोहन निवासी पटियाला समेत बठिंडा आरटीए दफ्तर के क्लर्क साहिल बग्गा और शीतल पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इसमें एफआईआर नंबर 245 में उक्त लोगों को नामजद किया था। इस मामले में पुलिस ने नामजद लोगों के बारे में लिखा है कि उक्त लोग साजिश के तहत वाहनों की फर्जी रजिस्ट्रेशन करते थे। इस काम के बदले लोगों से जहां मोटी राशि वसूल की जाती थी वही सरकारी रिकार्ड में हेरफेर किया जा रहा था। उक्त मामले में नामजद क्लर्क साहिल बग्गा और शीतल को पकड़ने के लिए पानीपत की उक्त पुलिस द्वारा लगातार आरटीए दफ्तर बठिंडा में दबिश दी जा रही थी। जिसके तहत सोमवार को भी पानीपत के सीआईए स्टाफ 3 की पुलिस के एएसआई आशीष ने पुलिस टीम के साथ दबिश दी, लेकिन पुलिस को उक्त एफआईआर में नामजद कोई भी व्यक्ति दफ्तर में नहीं मिला। इसमें बताया जा रहा है कि उक्त छापामारी के बारे में उन्हें पहले से किसी ने सूचना दे दी जिसके चलते वह पुलिस टीम के आने से पहले ही वहां से चले गए। फिलहाल पानीपत पुलिस का कहना है कि इस मामले में गहन जांच के बाद बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है जबकि फर्जी रजिस्ट्रेशन का मामला सिर्फ हरियाणा से ही नहीं बल्कि पंजाब के कई इलाकों से भी जुड़ा हुआ है। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद बड़ा खुलासा हो सकता है।
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