मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले छात्र www.apimalwa.com या सीधे लिंक http://apimalwa.com/Mobile_Phone_survey.aspx पर जाकर सर्वे में हिस्सा ले सकते हैं।
बठिंडा. स्वास्थ्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता और एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया (मालवा शाखा) के अध्यक्ष डा.वितुल कुमार गुप्ता ने एक शोध परियोजना शुरू की है। इसमें "मोबाइल फोन के उपयोग और उसके स्तर के मूल्यांकन करने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया जा रहा है। उन्होंने डॉक्टर से अनुरोध किया कि आम लोगों की तरह, मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले छात्र इस बाबत सीधे लिंक पर जाकर इस सर्वेक्षण में भाग ले सकते हैं। इससे देश भर का डेटा बनाने में मदद मिलेगी। डा. वितुल गुप्ता ने कहा कि कंप्यूटर, मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि ने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है, खासकर कोविड में लॉकडाउन के दौरान और बाद में घर से काम करने की स्थिति व इसके अत्याधिक इस्तेमाल के साथ कंप्यूटर से संबंधित बीमारियों, फेसबुक सिंड्रोम या इंटरनेट जैसी बीमारियों ने जगह बनानी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से नशे की लत हमारे शारीरिक, मनोवैज्ञानिक कार्य, मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य कल्याण को प्रभावित करती है उसी तरह मोबाइल फोन के नशे ने खासकर युवाओं में बड़ों की तुलना में अधिक जोखिम पैदा किया है। डिजिटल मीडिया के उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध, इसमें चिकित्सा, वैज्ञानिक और तकनीकी समुदायों के बीच काफी शोध, बहस और चर्चा की जरूरत है व देश में इसे लेकर काम भी हो रहा है। अत्यधिक मोबाइल के साथ इंटरनेंट के इस्तेमाल से हमारी सेहत पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और मानसिक विकार के डाक्टरों और इस बाबत डैटा इकट्ठा करने वाले माहिरों ने रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण के रूप में अभी तक मान्यता नहीं दी गई है। माता-पिता और बच्चे घर पर विभिन्न स्क्रीन पर अधिक समय बिता रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। डा.वितुल ने कहा कि एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 65% बच्चे डिवाइस के इस्तेमाल में डूबने के कारण इसकी लत के शिकार हो चुके हैं व पूरे दिन में आधे घंटे भी इससे दूर नहीं रह पाते हैं। इसके कारण जब भी अभिभावकों की तरफ से उन्हें इसके ज्यादा इस्तेमाल करनी की मनाही की जाती है तो उनमें गुस्सा करने, रोने, माता-पिता की बात नहीं सुनने, चिड़चिड़ा व्यवहार देखने को मिल रही है। शारीरिक समस्याएं, वजन बढ़ना, सिरदर्द / चिड़चिड़ापन और आंखों में दर्द और खुजली, व्यवहार संबंधी समस्याएं, लापरवाह, जिद्दी और कम ध्यान देने की स्थिति इसमें डूबने वाले बच्चों में देखने को मिल रही है। आधुनिक डिजिटल दुनिया में रहने के साथ, मानव जाति नई स्वास्थ्य चुनौतियों से जूझने लगी है। वास्तव में "21 वीं सदी की महामारी," चुपके से रिश्तों को नष्ट कर रही है, मानसिक विकारों को बढ़ा रही है, लोगों को आवेगी बना रही है, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हो रहे है । इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट पैदा कर होने लगा है। मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरे को ध्यान में रखते हुए डा. वितुल ने सभी से समाज में वास्तविक समस्या तक पहुंचने के लिए सर्वेक्षण में भाग लेने का अनुरोध किया है। मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले छात्र www.apimalwa.com या सीधे लिंक http://apimalwa.com/Mobile_Phone_survey.aspx पर जाकर सर्वे में हिस्सा ले सकते हैं।