डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को रोहतक की सुनारिया जेल से 21 दिन की फरलो मिलते ही पंजाब में राजनीतिक सरगर्मियां शुरू हो गईं हैं। डेरे से जुड़ी पंजाब की संगत ने 45 मेंबर वाली कमेटी से विधानसभा चुनावों के लिए राय मांगना शुरू कर दिया है। डेरा कमेटी के पदाधिकारियों ने संगत से दो दिन इंतजार करने के लिए कहा है।
पंजाब में डेरे के बड़े पदाधिकारी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के बाहर आने के बाद संगत फोन पर वोट डालने के बारे में राय मांग रही है। डेरा कमेटी के पदाधिकारी ने कहा कि आने वाले दो दिनों में संगत की राय लेना शुरू कर देंगे।
डेरा पदाधिकारी ने कहा कि पंजाब में बेअदबी कांड में डेरा प्रेमियों का नाम सामने आने के बाद संगत काफी दुखी है। इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र मान रही है। डेरा प्रमुख की राजनीति में भागीदारी नहीं है। उनका उद्देश्य समाज सेवा और भक्ति है। डेरा प्रमुख के फरलो पर बाहर आने का रायशुमारी से कोई लेना देना नहीं है।
विंग इंचार्ज ने कहा- अभी कोई फैसला नहीं लियाडेरा सच्चा सौदा की राजनीतिक विंग के इंचार्ज राम सिंह का कहना है कि अभी विधानसभा चुनावों को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। जैसे ही कोई निर्णय लिया जाएगा, उससे सभी को अवगत कराया जाएगा। बता दें कि पंजाब में बेअदबी कांड और मोड मंडी ब्लास्ट में डेरा प्रेमियों का नाम सामने आ चुका है। बेअदबी कांड में SIT ने रोहतक सुनारिया जेल में डेरा प्रमुख और सिरसा स्थित डेरा प्रबंधक पीआर नैन से पूछताछ की है।
25 अगस्त 2017 को जेल गए थे डेरा प्रमुख
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख 25 अगस्त 2017 में साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल की सजा हुई थी। तब से अब तक डेरा प्रमुख जेल में ही बंद है। इसके बाद डेरा प्रमुख को पत्रकार छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में भी सजा हो चुकी है। इससे पहले डेरा प्रमुख को बीमार मां से मिलने के लिए एक दिन की पेरोल मिली थी।
इन चुनावों में रही डेरे की भागीदारी
पंजाब में साल 2007, 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा का दखल रहा था। इसके अलावा साल 2014 के लोकसभा व अक्तूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था। खुद डेरा प्रमुख ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम के स्वच्छ भारत मिशन की सराहना करते हुए समर्थन दिया।
इससे पहले पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 2012 के विधानसभा चुनाव में डेरे में गए थे। इसके बाद पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल और कई पंजाब के बड़े नेता डेरे में समय-समय पर माथा टेकने के लिए जा चुके है।
पंजाब के बठिंडा में डेरा प्रमुख पर गुरु गोबिंद सिंह के समान कलगी लगाने और अमृत छकाने का आरोप लगा। देशभर में सिखों ने विरोध प्रदर्शन किए। डेरा प्रमुख पर केस भी दर्ज हुआ। 2012 के चुनाव में मालवा बेल्ट में शिरोमणि अकाली दल को 33 सीटें मिलीं। वर्ष 2012 में भी डेरा ने कांग्रेस को समर्थन दिया। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में डेरे ने कुछ सीटों पर अकाली दल को तो कुछ सीटों पर कांग्रेस को समर्थन दिया।
इन जिलों की सीटों पर प्रभाव
मालवा बेल्ट में पंजाब के फिरोजपुर, मोगा, फाजिलका, अबोहर, फरीदकोट, मुक्तसर साहिब बठिंडा, पटियाला, लुधियाना, मानसा, संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, फतेहगढ़ साहिब जिले आते हैं। मालवा बेल्ट में 69 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां डेरे का प्रभाव माना जाता था। समय के साथ डेरे ने हर राज्य में अपनी 45 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया.