बठिंडा। जिले में हर तीसरे दिन सड़क हादसे में एक व्यक्ति की जान जा रही है। पिछले 50 दिनों में ही जिले में 23 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा बैठे। मरने वालों में ज्यादातर युवा हैं। इन लोगों की जान वाहनाें की ओवरस्पीड और लापरवाही सामने आई है। अधिकतर मामलों में लोगों को कुचलने वाले वाहनों की पहचान तक नहीं हो सकी। जिसमें पुलिस ने अज्ञात वाहन चालकों पर केस दर्ज किया है। अधिकतर सड़क हादसे नेशनल हाइवे पर घटित हुए। 15 लोगों की मौत के अलावा दो दर्जन से अधिक जख्मी भी हुए हैं जो अलग-अलग अस्पतालों में उपचाराधीन हैं। लगातार हादसे और कीमती जान जाने के बावजूद वाहन चालकों की लापरवाही जारी है और पुलिस और प्रशासन भी इसहाय नजर आता है।
पिछले दो महीनों में इन लोगों ने सड़क हादसों में गंवाई अपनी कीमती जानें, बर्बाद हो रहे परिवार-
22 दिसंबर गोनियाना रोड पर अज्ञात वाहन ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी, बाइकसवार की मौत। 23 दिसंबर गांव दियोण के पास बोलेरो गाड़ी ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी, बाइक सवार की मौत। 23 दिसंबर मुक्तसर रोड पर तेज रफ्तार कार ने सड़क पर जा रहे दो भाइयों को टक्कर मारी, एक की मौत। 24 दिसंबर गोनियाना रोड पर एक बाइक-ट्रैक्टर ट्राली की टक्कर में बाइक सवार की मौत। 24 दिसंबर नेशनल कालोनी नहर के पास एक तेज रफ्तार बाइक सब्जी रेहड़ी में टकरा गया, मौत। 25 दिसंबर मलोट रोड पर अज्ञात वाहन ने मोटरसाइकिल को टक्कर मारी, एक की मौत एक गंभीर। 26 दिसंबर डबवाली रोड पर स्थित गणपति इन्क्लेव के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से कार सवार की मौत। 4 जनवरी लहरा मोहब्बत के पास बाइक सवार दंपती को बाइक ने टक्कर मारी। पति की मौत, पत्नी गंभीर। 10 जनवरी भुच्चो मंडी में 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला को अज्ञात वाहन ने टक्कर मारी, मौत। 10 जनवरी तलवंडी साबो में बाइक सवार को ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी, मौत। 13 जनवरी बालियांवाली में सड़क पार कर रही एक सात साल की बच्ची को अज्ञात कार ने टक्कर मारी, मौत। 13 जनवरी चेतक पार्क के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से 26 साल के अनमोल की मौत हो गई। 22 जनवरी गांव भाेखड़ा के पास अज्ञात वाहन की चपेट में अाने से गुरदीप सिंह की मौत हो गई। 24 जनवरी भाई बख्तौर के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से पिकअप सवार बीरबल सिंह व प्रेम सिंह की मौत हो गई। 24 जनवरी को 18 साल की कुलदीप कौर को सड़क पार करते समय अज्ञात वाहन ने कुचल दिया। 4 फरवरी को गांव कराड़वाला के पास एक पुलिस मुलाजिम के बाइक की टक्कर से बाइक सवार मलकीत सिंह की जान चली गई। 10 फरवरी को संगत कैंचियां के पास अज्ञात ट्रक की टक्कर से बाइक सवार जसप्रीत सिंह की मौत। 13 फरवरी को रामां मंडी में एक ट्रक की टक्कर से बाइक सवार युवक 28 साल के कुलदीप सिंह की जान चली गई।
मुआवजे का प्रावधान- अगर सड़क हादसे में किसी व्यक्ति की जान चली जाए और उसकी मौत का कारण बने वाहन की पहचान न हो सके तो परिवार को पंजाब विक्टिम कंपनसेशन स्कीम-2017 के तहत दो लाख रुपए की मुआोवजा राशि दी जाती है। हादसे में व्यक्ति 40 प्रतिशत अपंग हो जाए तो एक लाख का मुआवजा देने का प्रावधान है।
जागरूक कर रहे-ट्रैफिक पुलिस लोगों को नियमों के बारे में जागरूक कर रही है। ओवरस्पीड वाहन चलाने व शराब पीकर वाहन चलाने पर चालान कर रहे हैं।
-इकबाल सिंह, ट्रैफिक इंचार्ज
वही मोटर एक्सीडेंट क्लेम देने के मामलों में सरकारें नहीं गंभीर, हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ से मांगा जवाब
चंडीगढ़। मोटर एक्सीडेंट क्लेम के मामलों में बीमा कंपनियों द्वारा जारी मुआवजा बिना किसी परेशानी के पीड़ितों को मिलना सुनिश्चित करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ से जवाब तलब किया है। कोर्ट के आदेश के दो महीने के बाद भी किसी भी राज्य ने इस मामले में कोर्ट में पक्ष नहीं रखा।
हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह एक जनहित का मामला है। सरकार ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही। कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ को इस मामले में जवाब दायर करने का अंतिम अवसर देते हुए साफ कर दिया कि अगर मामले की अगली सुनवाई से पहले उचित जवाब दायर नहीं किया गया तो मामले की अगली सुनवाई पर 24 मार्च को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार को हाई कोर्ट में खुद पेश होकर जवाब देना होगा।
याचिका दाखिल करते हुए एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया को खामियों से भरा बताते हुए इसमें बदलाव की मांग की है। कंपनी ने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया एक ओर तो कंपनियों के लिए परेशानी पैदा करती है, दूसरी ओर अनावश्यक याचिकाओं को भी जन्म देती हैं। वर्तमान में चेक बनाकर बीमा कंपनी इसे मुआवजा राशि के रूप में जारी करती है। कई बार ऐसा होता है कि चेक किसी और नाम से होता है, जिसे राशि का भुगतान करना होता है उसके नाम में फर्क आ जाता है। ऐसे में मामला लटक जाता है और फिर से अर्जियां दाखिल करनी पड़ती हैं।
साथ ही कई बार एमएसीटी (मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल) के पास चेक पड़ा रह जाता है और इसकी तारीख निकल जाती है। फिर से याचिकाओं का दौर आरंभ हो जाता है। कई बार मुआवजा किसी और का होता है और नाम एक होने के चलते चेक किसी और के पास पहुंच जाता है जो विवाद को जन्म देता है।
याची ने कहा कि इस प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है। सुझाव देते हुए कहा गया कि एमएसीटी और मुआवजा तय करने वाले ट्रिब्यूनल अपना अकाउंट खोलें, जिसमें बीमा कंपनियां मुआवजे की राशि जमा करवाएं। मुआवजा याचिका दाखिल करने वाले अपने खाते से जुड़ी जानकारी याचिका में शामिल करें और मुआवजा तय होने के बाद राशि को सीधा उनके खाते में डाल दिया जाए तो विवादित याचिकाओं में कमी आएगी।