- एससी-एसटी स्टूडेंट्स की 2017 से रुकी पोस्ट मैट्रिक स्काॅलरशिप की हकीकत
- कॉलेज प्रशासन सर्टिफिकेट रिलीज करने के लिए स्टूडेंट्स से ब्लैंक चेक मांग रहा
जालंधर। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि डिग्री भी गिरवी हो सकती है? जी हां, पंजाब में करीब 50 हजार एससी-एसटी स्टूडेंट्स की डिग्रियां विभिन्न प्राइवेट कॉलेजों में गिरवी रखी हुईं हैं। कारण- इन छात्रों को पोस्ट मैट्रिक स्काॅलरशिप का पैसा न मिलना है। सर्टिफिकेट पास न होने से ये छात्र न तो सरकारी जॉब के लिए अप्लाई कर पा रहे हैं और न ही पीजी के लिए दाखिला ले पा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि कॉलेज वालों ने उनकी डिग्रियां और सर्टिफिकेट रोक रखे हैं। दसवीं के सर्टिफिकेट पहले ही गारंटी के तौर पर रख लिए थे।
वहीं, कॉलेज प्रशासन का कहना है कि सरकार पर फीस का पैसा 2017 से बकाया है, जो करीब 1850 करोड़ है। यदि उन्हें सरकार पैसा नहीं दे सकती तो स्टूडेंट्स फीस अदा करके सर्टिफिकेट ले सकते हैं। छात्रों का कहना है कि फीस सरकार को देनी है। उनके पास इतना पैसा नहीं है। उल्लेखनीय है कि पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में केंद्र 60% और राज्य 40% का योगदान देती है। हाल ही में 15 जनवरी को सीएम कैप्टन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में निर्देश दिया गया था कि 3 दिन के अंदर सभी कॉलेज डिग्रियां दे दें। नहीं देने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित छात्र बोले- सर्टिफिकेट न होने से आगे की पढ़ाई भी रुकी - प्राइवेट कॉलेज के स्टूडेंट परमिंदर कुमार ने कहा कि वे सर्टिफिकेट कॉलेज से न मिलने के कारण सरकारी जॉब तक अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं यही नहीं वे पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते थे लेकिन दूसरे कॉलेज में एडमिशन नहीं मिला। सीमा रानी कहती हैं कि 2018 में एमए करने के बाद अभी तक उन्हें डिग्री नहीं मिली। मान्यता प्राप्त कॉलेज की लड़के व लड़कियों ने कहा कि पैसे का मामला कॉलेज व सरकार का है, उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। उनसे ब्लैंक चेक मांगा जा रहा है।
इस योजना के तहत कैसे मिलता है लाभ - एससी-एसटी छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप (पीएमएस) स्कीम 1944 से अस्तित्व में आई थी। इस योजना के तहत एससी छात्रों को मैट्रिक के बाद कोई भी कोर्स करने पर सरकार छात्रवृत्ति देती है। इसमें छात्र की नान रिफंडबल फीस, यूनिवर्सिटी फीस और 230 रुपए से लेकर 550 रुपए प्रति माह भत्ता देने का प्रवधान है। पंजाब में 2017 से पीएमएस स्कॉलरशिप फंड रुकी हुई है। इस दौरान सूबे से करीब 10 लाख बच्चे विभिन्न कॉलेजों से पढ़ाई कर चुके हैं।
31 मार्च तक सूबा सरकार ने यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया तो सभी फंड होंगे लैप्स - कन्फेडरेशन ऑफ अनएडिड स्कूल एंड कॉलेजेस के अनुसार निजी कॉलेजों का सरकार पर 1850 करोड़ रुपये बकाया है। 31 मार्च 2021 तक अगर सूबा सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी फंड का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिए और संशोधित पॉलिसी के अनुसार 40 फीसदी हिस्सा नहीं दिया तो सभी फंड लैप्स हो जाएंगे। दूसरी तरफ, कॉलेजों को मजबूर होकर एससी छात्रों के एडमिशन या बंद करना पड़ेगा या फिर छात्रों को पूरी फीस देनी पड़ेगी। कई कालेज तो बंद भी हो चुके हैं।
1650 अनएडेड कॉलेजों का 1850 करोड़ बकाया
सूबे में 1650 निजी कॉलेज का 1850 करोड़ रुपए बकाया है। अगर सूबा सरकार के पास पैसा नहीं है तो 25 मार्च 2020 को केंद्र से आए 309 करोड़ रुपए वह कॉलेजों को रिलीज करे, ताकि कॉलेज बंद होने बच सकें।’ -विपिन शर्मा, उप प्रधान, जाइंट एसोसिएशन ऑफ कॉलेज
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