चंडीगढ़। किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लेकर कैबिनेट मीटिंग में कैबिनेट ने एक सुर में कहा कि इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं होगा। मीटिंग के दौरान यह बात पर भी चर्चा की गई कि जब केंद्र इन कानूनों में संशोधन करने को तैयार है तो उसे इसे रद्द करने में क्या आपत्ति है। कैबिनेट की मीटिंग में सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कहा कि केंद्र सरकार के खेती कानूनों को रद्द
करने से कम मंजूर नहीं होगा। कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार जमीनी हकीकतों से कोसों दूर है। मंत्रिमंडल के सदस्यों ने एकसुर में एलान किया कि मौजूदा मुश्किल हालात के साथ निपटने के लिए खेती कानूनों को वापस लेना ही हल है। कैबिनेट ने केंद्र की तरफ से एमएसपी को किसानों का कानूनी अधिकार बनाया जाने की मांग की।
एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाने की मांग का प्रस्ताव पास
कहा-78 किसानों की मौत हो चुकी, तुरंत हल निकाले केंद्र
मीटिंग से पहले कैबिनेट ने किसान आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई उनकी याद में दो मिनट का मौन रखा। किसानी संघर्ष में अब तक 78 किसानों की मौत हो चुकी है। कैबिनेट ने कहा कि इस संघर्ष को और जानी नुकसान से बचने के लिए समस्या का जल्द निपटारा किये जाने की जरूरत है।
केंद्र की जिद्द समझ से बाहर... कैबिनेट ने कहा कि केंद्र सरकार को प्रतिष्ठा और अभिमान का सवाल नहीं बनाना चाहिए। मुद्दा हल नहीं हुआ तो देश को कीमत चुकानी पड़ेगी। सुनील जाखड़ ने कहा कि केंद्र बदलाव कर सकता है तो इन्हें वापस न लेने की जिद्द समझ से बाहर है।
कृषि, प्रांतीय विषय इसलिए कानून रद्द करने को कहा...
एक औपचारिक प्रस्ताव में मंत्रिमंडल ने स्पष्ट शब्दों में पंजाब विधान सभा की तरफ से 28 अगस्त 2020 और 20 अक्टूबर, 2020 को पास किए गए प्रस्तावों को लेकर इस बात पर जोर दिया कि किसानों की सभी जायज मांगें मानी जानी चाहिए। मंत्रिमंडल ने भारत सरकार को यह खेती कानून रद्द करने के लिए कहा क्योंकि भारत के संविधान के तहत कृषि, प्रांतीय विषय है और इसी तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी अधिकार बनाया जाए।
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