जालंधर. रेवेन्यू विभाग के अफसरों व कर्मचारियों से साठगांठ कर नौसरबाज दंपती ने बैंक में गिरवी जमीन को बिना लोन चुकाए आगे बेच दिया। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों के सहारे इस जमीन पर 5.50 लाख का कृषि लोन होने की बात को छुपा लिया गया। इसका पता चला तो बैंक ने पुलिस को शिकायत दी। जिसमें उन्होंने जमीन मालिक से लेकर गवाही देने वालों व सब रजिस्ट्रार पर भी आरोप लगाए।
पुलिस ने फिलहाल दंपती के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है क्योंकि सब रजिस्ट्रार व उनके कर्मचारियों की भूमिका के बारे में पुलिस को तहसीलदार की रिपोर्ट नहीं मिली लेकिन केस दर्ज हेने के बाद इन्हें जांच में शामिल किया जाएगा।
बैंक ने दंपती के साथ सब रजिस्ट्रार के खिलाफ भी दी थी शिकायत
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया नकोदर के चीफ मैनेजर ने बताया कि परजियां कलां की मलकीत कौर पत्नी जसवीर सिंह के नाम पर उनके बैंक से 12 लाख की कृषि लोन की लिमिट मंजूर हुई थी। मलकीत कौर व उसके पति ने बैंक का लोन क्लियर कराए बिना ही यह जमीन कुलदीप राय को बेच दी।
इसमें बैंक के चीफ मैनेजर ने दंपती के साथ पटवारी मक्खन सिंह, तत्कालीन सब रजिस्ट्रार , जमीन खरीदने वाले कुलदीप राय, नंबरदार प्यारा सिंह व गवाही देने वाले हरदयाल सिंह व हरप्रीत सिंह पर आरोप लगाए थे कि इस पूरे फर्जीवाड़े को इनकी साठगांठ से अंजाम दिया गया।
पुलिस जांच में साबित हुआ फर्जीवाड़ा, दंपती को माना कसूरवार
पुलिस ने जांच के बाद कहा कि मलकीत कौर व उसके पति जसवीर सिंह के नाम पर गांव खुरलापुर में 10 कनाल 13 मरले जमीन है। जिस पर उन्होंने 5.50 लाख कृषि लोन लिया है। इस बारे में नकोदर के सब रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड में दर्ज भी कराया जा चुका है कि इस जमीन के बदले यह लोन लिया गया है। इसी जमीन को दंपती ने रेवेन्यू विभाग के कर्मचारियों व अफसरों के साथ साठगांठ कर जाली फर्द जमाबंदी व अन्य दस्तावेज तैयार कर इसे कृषि लोन से हटवा दिया गया।
इसके बाद कृषि लोन वाली के साथ कुल 13 कनाल 3 मरले जमीन बेच दी। पुलिस ने इस मामले में खरीदार कुलदीप राय को क्लीन चिट दी कि उसने पूरी कीमत देकर यह जमीन खरीदी। वह जमीन खरीद व रजिस्ट्री के वक्त मौजूद नहीं था। नंबरदार व हरदयाल सिंह ने व्यक्तिगत पहचान की वजह से गवाही दी। हरप्रीत सिंह ने बैंक में कृषि लोन लिमिट खाता खुलवाते वक्त गवाही दी थी लेकिन कोई जाली दस्तावेज नहीं बनाया।
रेवेन्यू विभाग की साठगांठ साबित लेकिन नहीं दिया जवाब
मामले की जांच के दौरान मेहतपुर पुलिस के इंस्पेक्टर ने रेवेन्यू विभाग की साठगांठ सामने आने पर उनके बारे में नकोदर के तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी। तहसीलदार को पहले पत्र व फिर रिमाइंडर भी भेजा गया लेकिन कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई। जांच अफसर ने केस दर्ज करने की सिफारिश करते हुए कहा कि रेवेन्यू विभाग के अफसरों व कर्मचारियों की साठगांठ को तहसीलदार से मांगी रिपोर्ट आने के बाद जांच में शामिल किया जाएगा।
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