बठिडा: चार साल पहले कोट फत्ता में बली दिए गए दो दलित मासूम भाई-बहनों के मामले में सोमवार को अदालत ने संबंधित एसएचओ को 25 मार्च को तलब किया है।
आठ मार्च 2017 को कोर्ट फत्ता में दो मासूमों पांच वर्षीय रणजोध सिंह तथा तीन वर्षीय अनामिका कौर की डेरा चालक लखविदर सिंह उर्फ लक्की तांत्रिक के कहने पर बलि दे दी गई थी। इस मामले में एक्शन कमेटी के नेताओं ने बताया कि मृतक मासूम बच्चों की बुआ अमनदीप कौर के औलाद नहीं थी। लक्की तांत्रिक ने कहा था की बहन भाई की बलि देने से औलाद की प्राप्ति हो जाएगी। चार साल बीत जाने के बावजूद तत्कालीन एसएचओ कृष्ण कुमार ने बहुत ज्यादा लापरवाही दिखाते हुए न तो चार आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया और न ही कोई और कार्रवाई की। अदालत ने समन करके एसएचओ को सोमवार को अदालत में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उसने अदालती हुक्मों की कोई परवाह नहीं की। इस पर अतिरिक्त सेशन जज ने उसे 25 मार्च को तलब किया है।
इंसाफ संघर्ष कमेटी की तरफ से भाई परमजीत सिंह जग्गी तथा बलजिदर सिंह कोट भारा ने कहा कि पुलिस की आरोपितों के साथ मिलीभगत से साफ जाहिर है कि पुलिस मासूम बच्चों के कातिलों को बचाने के प्रयास कर रही है। ट्रेन से टकराकर किसान की मौत बठिडा-संगरियां रेलवे लाइन पर बड़िग खेड़ा रेलवे स्टेशन पर एक किसान की ट्रेन से टकराकर मौत हो गई। सहारा जनसेवा के सदस्यों ने थाना जीआरपी की मदद से शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया। मृतक की पहचान सवराज सिंह पुत्र गुरनाम सिंह निवासी बड़िग खेड़ा के तौर पर हुई। मृतक पांच बच्चों का पिता था।
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