बठिंडा. ठीक एक साल पहले 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को कंट्रोल करने के लिए जनता कर्फ्यू लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद जिले में कोरोना से संक्रमित लोगों की तादाद में भी एकाएक बढ़ोतरी ने सभी को चिंता में डाल दिया। लोग घरों में कैद होकर रह गए तो फिल्ड में लोगों की सेहत का ख्याल रखने व उन्हें इस महामारी से बचाने के लिए सेहत कर्मियों की टीम उतर पड़ी। इन दौरान लोगों के सैंपल लेने से लेकर उनके उपचार के लिए जुटी टीमें लोगों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आई। इसमें सिविल अस्पताल में तैनात माइक्रोबाइलोजी विभाग की दो महिला कर्मी ऐसी थी जिन्होंने दिन व रात की परवाह किए बिना, परिवार व दोस्तों से दूर बिना किसी भेदभाव के अपनी ड्यूटी को कर्मनिष्ठा से निभाते नई मिशाल पैदा की।
ममता दौपर व संदीप कौर ने एक लाख लोगों के सैंपल हासिल करने व उनकी रिपोर्ट फरीदकोट कालेज भेजने के साथ स्थानीय लैब में जांच करने में अहम रोल अदा करते लाखों लोगों को जागरुक करने का काम भी किया। उनकी इसी निष्ठा को देखते एक साल लाकडाउन के बीतने पर सेहत विभाग ने सोमवार को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान सिविल सर्जन डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों के साथ डैटल अफसर व कोविड के नोडल अफसर नरेश सिंगला हाजिर रहे। उन्होंने दोनों सेहत कर्मियों के कार्य की प्रशंसा करते उन्हें प्रशंसा पत्र दिया। सिविल सर्जन बठिंडा डा.तेजवंत सिंह ढिल्लों ने बताया कि कोरोना महामारी के फैलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती इससे लड़ने की थी। अधिकतर लोग इतने भयभीत थे कि वह कोविड संक्रमित के पास से गुजरने में भी कतराते थे लेकिन सेहत विभाग की टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया व दिन रात एक कर पिछले एक साल से कोविड संक्रणम से ग्रस्त लोगों सेवा में जुटे रहे।
ममता व संदीप ने पूरे कोआर्डिनेशन का काम संभाला। रोपिड टेस्ट से लेकर लैब टेस्ट को सुचारु ढंग से चलाने, गली मुहल्ले व बाजारों में लोगों के सैंपल हासिल करने जैसे कार्यों को सुचारु ढंग से पूरा किया। बठिंडा में 29 अप्रैल, 2020 को पहली बार दो कोरोना केस मिले थे जो अब 21 मार्च 2021 तक बढ़कर पूरे जिले में 10367 हो चुके हैं यानी पिछले 10 माह में रोजाना करीब 34 लोग संक्रमित हुए हैं जबकि 236 की मौत हो चुकी है। इस स्थिति में सेहत विभाग की अहम भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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